क्या पालक किडनी के लिए हो सकता है लाभदायक?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या पालक किडनी के लिए हो सकता है लाभदायक?

पालक न्यूट्रिएंट्स से भरपूर हरी सब्जियों में से एक है। इसका इस्तेमाल खाने में और दवा बनाने के लिए किया जाता है। यह वानस्पतिक नाम स्पाइनेसिया ओलेरेसिया (Spinacia oleracea) है। डार्क ग्रीन कलर की ये पत्तियां स्किन से लेकर बालों और हड्डियों के लिए बेहद फायदेमंद होती है। पालक प्रोटीन, आयरन, विटामिन्स और मिनरल्स का अच्छा स्त्रोत है। औषधीय गुणों से भरपूर पालक का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। 100 ग्राम पालक में 28.1 माइक्रोग्राम विटामिन-सी होता है, इसलिए इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

किडनी की समस्याओं मे न लें पालक

अगर आप किडनी की किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो पालक का सेवन न करें। क्योंकि यह किडनी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। साथ ही किडनी स्टोन होने पर पालक तो बिल्कुल न खाएं, क्योंकि पालक के ऑक्सालेट (Oxalate) नामक पदार्थ होता है जो शरीर में मौजूद कैल्शियम के साथ मिलकर कैल्शियम-ऑक्सालेट यानी किडनी स्टोंस बनाते है। पालक में अधिक प्रोटीन होता है, इसलिए ऐसे रोगी जिन्हें ब्लड यूरिया की वजह से घुटनों में दर्द की समस्या हो तो वह पालक का सेवन न करें। जितना हो सके इससे बचें।

किन चीजों में पालक है अच्छी

डाइट में पालक का सेवन करना हमेशा ही लाभदायक होता है, लेकिन कुछ खास शारीरिक परेशानों में इसका सेवन करना अधिक लाभदायक है जैसे कि,

  • डायबिटीज – पालक में अल्फा लिपोइक एसिड नामक एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो शरीर में ग्लूकोज के लेवल को कम करने में मदद करते हैं। यह ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को भी कम करता है। इसके नियमित और संतुलित मात्रा में सेवन करने से शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • कैंसर से बचाव – पालक में क्लोरोफिल मौजूद होते है। शोध में पाया गया है कि, क्लोरोफिल हेट्रोसायक्लिक एमाइंस के कार्सिनोजेनिक प्रभावों को रोकने में प्रभावकारी है। जो कैंसर को बढने से रोकता है, इसलिए ये हरी पत्तेदार साग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
  • ब्लड प्रेशर को रखें सामान्य – पालक में विटामिन-सी, विटामिन-ए और फोलेट जैसे एंटीऑक्सिडेंट अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं। फोलेट हानिकारक रसायनों को हानिरहित यौगिकों में परिवर्तित करता है। साथ ही ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है। यदि ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित हैं, तो आहार विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार इसका सेवन कर सकते हैं और अपने ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रख सकते हैं।
  • सिरदर्द या माइग्रेन – एंटी-इंफ्लमेटरी गुणों से भरपूर होने की वजह से सिरदर्द में राहत मिलती है। यदि आप माइग्रेन की समस्या से परेशान रहते हैं, तो तब इसके संतुलित सेवन से राहत मिल सकती है।
  • कब्ज से दिलाए राहत – पालक हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते है। साथ ही कब्ज की समस्या से भी राहत दिलाता है। पाचनक क्रिया को दुरूस्त रखने के लिए पालक का जूस पीने की सलाह दी जाती है। कब्ज की समस्या से बचने के लिए आप पालक के जूस के साथ-साथ अपने आहार का भी खास ध्यान रखें। यह भी ध्यान रखें कि तेल-मसाले जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
  • अर्थराइटिस की परेशानी – जैसा की पालक में एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं, जो अर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही यह कार्टिलेज को ठीक करने का काम कर सकते हैं।

पालक से होने वाले नुकसान

पालक कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए लाभदायक तो होते हैं। साथ ही यह औषधीय रूप से भी फायदे होते हैं, लेतिन पालक को अधिक खाने पर स्वास्थ्य को इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जैसे कि

पेट की बीमारी – पालक में फाइबर पाया जाता है जो सिर्फ एक कप पालक की पकाकर खाने से छड ग्राम पोषक तत्व होते हैं। यह हमारे शरीर को इसकी जरूरत अधिक होती है, लेकिन यह आदत पेट संबंधी कई बीमारियों पैदा कर देता है। साथ ही यह ऐंठन, मरोड़, सूजन और कब्ज की समस्या हो जाती है, इसलिए हो सके तो पालक को नियमित लें, लेकिन कम मात्रा में।

डायरिया होना – अधिक पालक खाने से गैस्ट्रोइन्टेसटाइनल संबंधी समस्या हो सकती है, जिससे आपको डायरिया हो सकता है। डायरिया तब होता है जब हम अधिक मात्रा में फाइबर युक्त भोजन खा लेते हैं। यदि पालक की बात करें तो पालक में फाइबर की काफी अधिक मात्रा में होता है। जिससे आपको पेट में दर्द और डायरिया हो सकता है।

एनीमिया की समस्या – पालक खाने से आपके शरीर में खून की कमी हो सकती है। जी हा, पालक में अधिक मात्रा में आयरन होता है, लेकिन हमारे शरीर सिर्फ अपनी आवश्यकतानुसार ही आयरन सोक लेता है। साथ ही हरे पत्तेदार सब्जियों में भरपूर मात्रा में नॉन हीम या आयरन होता है, जिसे हमारे शरीर आसानी से अवशोषित नहीं कर पाता है जिसकी वजह से शरीर में ब्लड की कमी हो जाती है और हम एनीमिया से ग्रस्त हो जाता है।

किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेदिक किडनी उपचार एक प्राचीन पद्धति है, जिसका शब्दिक अर्थ है जीवन का विज्ञान है। यह मनुष्य के समग्रतावादी ज्ञान पर अधारित है। यह पद्धति मानवीय शरीर के उपचार तक ही सीमित रखने की बजाय, शरीर, तन-मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता है। इस पद्धति की एक और उल्लेखनीय विशिष्टिता है। यह औषधीय गुण रखने वाली वनस्पतियों व जड़ी-बूटियों के जरिए बीमारियों का इलाज करती है। आयुर्वेद में निदान व उपचार से पहले मनुष्य के व्यक्तित्व की श्रेणी पर अधिक ध्यान दिया जाता है। आयुर्वेद में मुताबित, मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है - दोष, धातू, मल और अग्नि। आयुर्वेद में शरीर की इन बुनियादी बातों का अत्यधिक महत्व है। इन्हें ‘मूल सिद्धांत’ या आयुर्वेदिक उपचार के बुनियादी सिद्धांत कहा जाता है।

आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जो हर रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है। कर्मा आयुर्वेदा में किडनी का आयुर्वेदिक उपचार किया जाता है और यह भारत का एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र है। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने सफलता के साथ 35,000 से अधिक मरीजों का इलाज करके उन्हें किडनी की गंभीर बीमारी से छुटकारा दिलाया है। साथ ही, जिन लोगों को किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की नौबात आ गई थी उन्हें भी इन दर्दनाक प्रक्रियाओं से मुक्त किया है।

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