क्या पॉलीसिस्टिक किडनी रोग केवल वंशानुगत होता है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या पॉलीसिस्टिक किडनी रोग केवल वंशानुगत होता है?

किडनी हमारे शरीर के लिए जितने आवयश्क काम करती है, वह उतनी तरह की बीमारियों से भी घिरती है। किडनी से जुड़े वैसे तो सभी रोग हमारी खराब लाइफस्टाइल के कारण होते हैं, लेकिन कई रोग ऐसे भी हैं जो कि वंशानुगत होते हैं। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, किडनी से जुड़ा एक ऐसा ही रोग जो कि वंशानुगत है, यानि यह रोग माता-पिता से बच्चों में जीन से चलता है। लेकिन अगर हम आपसे कहे कि पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वंशानुगत होने के साथ-साथ गैर वंशानुगत भी हो सकता है। हाँ, किडनी से जुड़ा यह रोग वंशानुगत होने के अलावा, गैर वंशानुगत भी हो सकता है। गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग संतान को अपने परिवार द्वारा नहीं मिलता, बाकि यह रोग उन्हें अन्य कारणों से होता है। बाकि किडनी रोगों की तरह यह भी किडनी से जुडी एक गंभीर समस्या है, जिसके बारे में आज के इस लेख में हम आपसे चर्चा करेंगे।

गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग क्या है?

गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, किडनी से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जिसमे पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की तरह किडनी पर द्रव से भरे हुए सैकड़ों की गिनती में सिस्ट विकसित होने लगते हैं। सिस्ट के आकर के कारण इनकी गिनती नहीं की जा सकती। कुछ सिस्ट आकार में बड़े होते हैं, तो कुछ सिस्ट आकार में इतने छोटे होते हैं कि उन्हें खुली आँखों से देखना असंभव सा होता है। किडनी पर विकसित हुए यह सिस्ट किडनी के आतंरिक हिस्सों और उसके कार्यों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देते हैं। वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग 35 की उम्र के बाद होना शुरू होता है, लेकिन गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग बच्चों और वयस्कों दोनों को हो सकता है (किसी भी उम्र में)।

गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग किसे होता है?

किडनी से जुड़ा यह गंभीर रोग वैसे तो यह किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन जो लोग पहले से किसी अन्य किडनी रोग से पीड़ित है उन्हें इस रोग के होने का खतरा अधिक होता है जो कि निम्नलिखित है –

  • जो लोग पहले से क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित है, उन्हें यह रोग होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
  • जो किडनी फेल्योर के पांचवे स्टेज पर होते हैं, जिन्हें एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) के रूप में भी जाना जाता है, उन्हें भी यह रोग हो सकता है।
  • जो लोग काफी लंबे समय से डायलिसिस से जूझ रहे हैं, उन्हें इस बीमारी के होने का खतरा रहता है।
  • यदि किसी व्यक्ति के शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ जाए तो और समय पर उचित उपचार ना मिले तो भी व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है।
  • अगर कोई व्यक्ति हाइपोकैलिमिया जैसी समस्या से जूझ रहा हो और उपचार ना मिले तो उस दौरान भी व्यक्ति को गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक रोग हो सकता है।
  • किसी कारण से किडनी में घाव या चोट लग जाने पर भी गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग हो सकता है।
  • किडनी रोग होने पर पेशाब या संक्रमण हो जाने पर भी यह यह जानलेवा बीमारी हो सकती है।

लगभग हर मामले में, यह स्वास्थ्य स्थिति लक्षणों को दिखाती है जब किडनी केवल अपने समग्र कार्यों का 10-20 प्रतिशत प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं। यही कारण है कि हम हर व्यक्ति को समय पर स्वास्थ्य जांच कराने और ऐसे सामान्य स्वास्थ्य विकारों से अवगत रहने की सलाह देते हैं।

वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग और गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के बीच अंतर

विरासत में मिला वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग  के मामले में, जीन उत्परिवर्तन द्रव से भरे अल्सर के लिए विकसित होने का एकमात्र कारण है। इसमें बड़े सिस्ट के कारण किडनी का आकार बढ़ जाता है। जबकि गैर-वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में किडनी का आकार सामान्य रहता है या छोटा होता है। आनुवांशिक पीकेडी वाले लोगों में इस स्वास्थ्य विकार के साथ रक्त रिश्तेदार हैं। गैर-वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी की बीमारी को यकृत और अग्नाशयी अल्सर के साथ जोड़ना नहीं पाया जाता है।

गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में किडनी की क्या स्थिति होती है?

किडनी की इस बीमारी में किडनी पर सिस्ट बन जाते हैं जिससे किडनी की हालत में बड़ा बदलाव आता है। बता दें की सभी सिस्ट आकार में भिन्न होते हैं। जो बढ़ने के साथ किडनी को दुष्प्रभाव देते हैं। जैसा की आपने ऊपर जाना की गैर-वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में किडनी का आकार सामान्य रहता है या छोटा होता है लेकिन इसके साथ साथ किडनी पर कई दुष्प्रभाव देखे जाते हैं जो निम्नलिखित है –

  • जिन किडनी सिस्ट को खुली आँखों से नहीं देखा जाता वह किडनी को अंदरूनी रूप से ज्यादा नुकसान दे सकते हैं। जैसे किडनी फिल्टर्स को खराब करना। यह समस्या दोनों प्रकार के पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में सामान होती है।
  • जब सिस्ट अपने आकार से बड़े होने लगते हैं तब किडनी आकार में छोटी होना शुरू हो जाती है। लेकिन हर किसी की किडनी अपना आकार नहीं बदलती।
  • सिस्ट बढ़ने से रोगी का रक्तचाप बढ़ने लगता है। क्योंकि जब सिस्ट बढ़ने लगते हैं तब किडनी पर दबाव बढ़ता है जिससे रक्त प्रवाह में समस्या के साथ अन्य समस्याएँ भी उत्पन होती है, जिसके चलते रोगी की उच्च रक्तचाप की समस्या होती है।
  • सिस्ट बढ़ने से किडनी किडनी में सूजन भी देखि जाती है। किडनी की सूजन के साथ साथ शरीर के कुछ अंगों में भी सूजन आ कस्ती है, जैसे – आँखों के आसपास, पैरों में और पंजो में।
  • अगर यह किडनी रोग किसी महिला को हो जाए तो इस दौरान होने वाले मासिक धर्म में भी समस्या हो सकती है। इस दौरान होने वाले मासिक धर्म में महिलाओं को विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि इससे किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इस दौरान महिलाओं को गर्भ धारण करने में समस्या हो सकती। अगर महिला पहले से गर्भवती है तो महिला को अपना और भूर्ण का अच्छे से ख्याल रखना चाहिए। वहीँ वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में डिलीवरी के दौरान समस्या उत्पन्न हो सकती है। जो गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में हो सकता है।
  • अगर यह बीमारी कई सालो तक रह जाने के कारण तो यह बीमारी क्रोनिक किडनी डिजीज में परिवर्तित हो सकती है। किडनी फेल्योर हो जाने के कारण रोगी की हालत और भी खराब हो जाती है। जिसके कारण रोगी को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत पड़ जाती है।

गैर-वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की जटिलताएँ

एक पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का रोगी कई स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना कर सकता है जैसे:

  • अल्सर का संक्रमण
  • अल्सर का रक्तस्राव जो दर्द और हेमट्यूरिया का कारण बन सकता है
  • ट्यूमर का विकास
  • कैंसरग्रस्त किडनी ट्यूमर की बढ़ी हुई सीमा

कर्मा आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

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