क्या मूत्र में प्रोटीन आने से किडनी फेल्योर हो सकता है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या मूत्र में प्रोटीन आने से किडनी फेल्योर हो सकता है?

किडनी हमारे शरीर का एक खास अंग तो है ही, साथ ही किडनी शरीर का सबसे संवेदनशील अंग भी है। किडनी से जुड़ी सभी समस्याएं गंभीर होती है। अगर किडनी से जुड़ी समस्याओं का ठीक समय पर उचित उपचार न किया जाए तो छोटी सी समस्या किडनी की विफलता का कारण बन सकती है। किडनी की विफलता से जुड़ी एक ऐसी ही समस्या है, “मूत्र में प्रोटीन आना”। मूत्र में प्रोटीन आना वैसे तो एक छोटी सी बात लगती है, लेकिन अगर इसका ठीक से उपचार ना किया जाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

प्रोटीन क्या है?

प्रोटीन शरीर के लिए अति आवश्यक होता है, यह मनुष्य के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। प्रोटीन हमारे रक्त में पाया जाता है। रक्त में पाए जाने वाले प्रोटीन को ‘एल्बुमिन’ कहा जाता है। रक्त में मौजूद प्रोटीन हड्डियो को मजबूत करने और मांसपेशियों के विकास में मदद करता है। स्वस्थ किडनी शरीर में प्रोटीन को प्रवाह करने में मदद करती है और अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से निकाल कर पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देती है। लेकिन प्रोटीनुरिया की समस्या होने पर प्रोटीन पेशाब के साथ शरीर से बाहर आने लगता है।

मूत्र में प्रोटीन क्यों आता है?

मूत्र में प्रोटीन आने की समस्या को वैज्ञानिक भाषा में प्रोटीनुरिया के नाम से जाना जाता है, इस समस्या को मूत्र संक्रमण की श्रेणी में रखा जाता है। पेशाब में प्रोटीन आना यानि प्रोटीनुरिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक समस्या है। यह समस्या किडनी रोग की ओर साफ संकेत करती है। प्रोटीनुरिया की समस्या होने के पीछे विशेष रूप से दो कारण कारण माने जाते है जो निम्नलिखित है –

पहला कारण – जब किडनी के फिल्टर्स खराब हो जाते हैं या काम किसी अन्य कारण से किडनी काम करने में असमर्थ होती है, उस दौरान किडनी प्रोटीन को रक्त के साथ शरीर में प्रवाहित करने में असक्षम होती हैं। इस कारण प्रोटीन पेशाब के द्वारा शरीर से बाहरआने लगता है, जिसे प्रोटीन लोस और प्रोटीनुरिया कहा जाता है। पेशाब में प्रोटीन आना नेफ्रोटिक सिंड्रोम होने की तरफ संकेत करता है।

दूसरा कारण – जब शरीर में प्रोटीन की मात्रा जरुरत से अधिक हो जाए, उस दौरान भी प्रोटीन पेशाब के साथ शरीर से बहार आने लगता है। शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा कई कारणों से हो सकती है, जैसे प्रोटीन युक्त आहार क्या सेवन, सप्लीमेंट्स का अधिक सेवन आदि। प्रोटीनुरिया होने का यह कारण पहले कारण से थोड़ा कम गंभीर है। लेकिन अगर इसका समय पर इलाज ना किया जाए तो इससे किडनी खराब हो सकती है। इसके आलावा इससे अचानक रक्त शर्करा का स्तर गिर सकता है। अचानक रक्त शर्करा का स्तर गिरने से बेहोशी, यादाश्त कमजोर हो सकती है और पीलिये जैसी समस्याएं हो सकती है।

मूत्र में प्रोटीन आने से हो सकती है किडनी विफल?

अक्सर लोगो का यह सवाल रहता है कि क्या मूत्र में प्रोटीन आने की वजह से किडनी विफल हो सकती है? हाँ, मूत्र में प्रोटीन आने के कारण किडनी की विफलता यानि किडनी फेल्योर जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। किसी कारण से जब नेफ्रोन यानि किडनी के फिल्टर्स खराब हो जाते हैं या काम किसी अन्य कारण से किडनी काम करने में असमर्थ होती है, उस दौरान किडनी प्रोटीन को रक्त के साथ शरीर में प्रवाहित करने में असक्षम होती हैं। इस कारण प्रोटीन पेशाब के द्वारा शरीर से बहार आने लगता है, जिसे प्रोटीन लोस और प्रोटीनुरिया कहा जाता है। अगर ठीक समय पर इसका उचित उपचार ना किया जा तो यह समस्या किडनी फेल्योर का रूप ले सकती है।

किडनी खराब हो जाने पर शरीर में रसायनों का संतुलन बिगड़ जाता है। शरीर में रसायनों का संतुलन बिगड़ने के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किडनी के अन्य रोगों के मुकाबले क्रोनिक किडनी डिजीज (किडनी फेल्योर) एक गंभीर समस्या है। इस बीमारी से बच पाना बहुत ही मुश्किल होता है। क्योंकि व्यक्ति को जब तक इस बीमारी के बारे में जानकरी मिलती है, उस समय तक रोगी की दोनों किडनियां 60 से 65 प्रतिशत तक खराब हो चुकी होती है।

आयुर्वेद द्वारा इस गंभीर समस्या का उपचार किया जा सकता है। आयुर्वेद हर बीमारी को जड़ से खत्म करता है। आयुर्वेद भले ही अपना असर धीरे-धीरे दिखाए लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई अन्य प्रभाव नहीं छोड़ता। क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता, जिसके चलते यह हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।

किन लोगों को मूत्र में प्रोटीन आने की समस्या हो सकती है?

पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या कुछ लोगों को होने की आशंका ज्यादा होती है, जो निम्नलिखित हैं -

  • जो व्यक्ति मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे हैं उन्हें पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या हो सकती है। दरअसल, मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे किडनी को रक्त शोधन करने में बाधा होती है। रक्त में शर्करा की मात्रा होने से किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगते हैं। फिल्टर्स खराब होने के कारण किडनी प्रोटीन को रक्त में प्रवाह ही कर पाती, जिससे प्रोटीनुरिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी प्रोटीनुरिया की समस्या हो सकती है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा होती है। लगातार उच्च रक्तचाप की समस्या रहने पर किडनी पर दबाव बढ़ता रहता है, जिससे किडनी को रक्त शुद्ध करते समय समस्या होती है, जिसके कारण किडनी के फिल्टर्स पर भी असर पड़ता हैं। किडनी पर दबाव होने के चलते वह प्रोटीन की संतुलित मात्रा को रक्त में नहीं पहुंचा पाती। ऐसे में किडनी शरीर में प्रोटीन का सन्तुलन नहीं बना पाती जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती है और प्रोटीनुरिया जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  •  जिन लोगो के परिवार में किडनी से जुड़ी कोई समस्या पहले से रही हो उनको भी पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या होने का खतरा रहता है। पोलिसिस्टक किडनी रोगी के परिवार को यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है।
  • जो लोग अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं, लेकिन प्रोटीन की खपत पूरी तरह नहीं हो पाती ऐसे में पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या हो सकती है। जिम जाने वाले युवा प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन करते हैं उन्हें यह समस्या होने का अधिक खतरा रहता है।
  • अधिक मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार जैसे – रेड मीट, सोया, पनीर आदि, खाने से भी प्रोटीनुरिया की समस्या हो सकती है।

मूत्र में प्रोटीन आने के लक्षण

जब किसी व्यक्ति को मूत्र में प्रोटीन आने की समस्या होती है तो उसके शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते है। इन लक्षणों की पहचान कर इस गंभीर समस्या का आसानी से पता लगाया जा सकता है। मूत्र में प्रोटीन आने के लक्षण निम्नलिखित है -

  • हाथ, पैर, चेहरे पर अचानक सूजन
  • झागदार पेशाब आना
  • पेशाब के रंग में परिवर्तन
  • सांस लेने में तकलीफ
  • सिने में दर्द और दबाव होना
  • मधुमेह होने पर अधिक पेशाब आना या कम पेशाब आना
  • पेशाब की मात्रा में परिवर्तन
  • देर रात को बार बार पेशाब आना आदि

पेशाब में प्रोटीन आने पर इन बातों का ध्यान रखें

पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या के बारे में आपने ऊपर विस्तार से जाना, अब हम आपको बताते हैं  इस समस्या से निजात कैसे पा सकते हैं। वैसे तो इसका इलाज औषधि द्वारा ही किया जा सकता है, लेकिन कुछ चीजों को अपना कर इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस समस्या के दौरान आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -

मछली का सेवन ना करें –

मछली के अंदर प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या को और बढ़ा सकता है। इसलिए आप सिर्फ माह में केवल एक बार ही मछली का सेवन करें।

मानसिक तनाव ना रखे –

मानसिक तनाव रखने से नींद की कमी हो सकती। मानसिक तनाव रखने से रोगी की डाईट पर प्रभाव पड सकता है। जिससे रोगी की हालत और खराब हो सकती है।

खूब पानी पिये –

मूत्र में प्रोटीन आने की समस्या से जूझ रहे व्यक्तियों को खूब पानी पीना चाहिए और सोडे के सेवन से परहेज करना चाहिए। अधिक पानी पीने से शरीर में पानी की कमी पूरी होगी, और किडनी की सफाई होगी।

व्यायाम करे –

रोजाना व्यायाम करने से शरीर में प्रोटीन की मात्रा संतुलित बनी रहती है। जिससे पेशाब में प्रोटीन आने का खतरा कम होता है।

नमक का सेवन कम करे –

नमक के अंदर सोडियम होता है जो किडनी को प्रभावित कर सकता है। जिससे किडनी अपना कार्य करने में असमर्थ हो सकती है। अधिक सोडियम लेने से उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा हो सकती है।

आयुर्वेदिक उपचार –

जैसे ही इस बीमारी का पता चले आप तुरंत आयुर्वेदिक उपचार लेना शुरू करे। आयुर्वेद उपचार द्वारा इस गंभीर समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार के लिए आप कर्मा आयुर्वेदा से संपर्क करें।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में एलोपैथी की तरह रसायनों का प्रयोग नहीं होता बल्कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। आप सभी इस बात से वाकिफ है कि आयुर्वेदिक उपचार से बेहतर कोई भी उपचार नहीं है। धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। आज के समय में आपको अनेक आयुर्वेदिक उपचार केंद्र मिल जाएंगे, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा किडनी सम्बंधित रोग को ठीक करने को लेकर रामबाण की तरह साबित हुआ है।

कर्मा आयुर्वेदा काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगो को मुक्त कर रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। आयुर्वेद हर बीमारी को जड़ से खत्म करता है। आयुर्वेद भले ही अपना असर धीरे-धीरे दिखाए लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई अन्य प्रभाव नहीं छोड़ता। क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता, जिसके चलते यह हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ता। डॉ. पुनीत धवन ने अब तक आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा किडनी रोगियों को इस गंभीर रोग से मुक्त किया है।

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