क्या होता है क्रिएटिनिन?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या होता है क्रिएटिनिन?

किडनी शरीर का अभिन्न अंग है इस बात से सभी भली भांति परिचित है। इसका कार्य बहुत ही जटिल होता है जिसकी तुलना हम किसी बड़ी मशीन से आसानी से कर सकते हैं। किडनी खराब होने में एक लम्बा समय लेती है। किडनी फेल्योर में दोनों किडनियां खराब हो हो जाती  है, जिसकी जानकारी जब तक रोगी को लगती है, उस समय काफी देर हो चुकी होती है। किडनी अंदरूनी रूप से कभी भी अचानक से खराब नहीं होती। हाँ किसी दुर्घटना के चलते किडनी एक दम जरूर खराब हो सकती है। किडनी खराब हो जाने पर क्रिएटिनिन बढ़ जाता है, यह किडनी खराब होने की तरफ साफ इशारा करता है।

क्रिएटिनिन क्या है?

क्रिएटिनिन एक खराब उत्पाद होता है, यह हमारे रक्त और यूरिन में मौजूद पाया जाता है। इसका निर्माण भोजन को उर्जा में बदलने के दौरान होता है। जब क्रिएटिन (creatine), जो कि एक मेटाबोलिक तत्व का एक खास सब्सटेन्स होता है वह खाए गये आहार को उर्जा में परिवर्तित करते हुए टूट जाता है। टूटे हुए क्रिएटिनि को क्रिएटिनिन कहा जाता है। वयस्क पुरुष के ब्लड में क्रिएटिनिन का सामान्य स्तर लगभग 0.6 से 1.2 मिलीग्राम प्रति लीटर प्रति दशमांश (डीएल) होता है जबकि वयस्क महिला में यह स्तर प्रति लीटर प्रति दशमांश 0.5 से 1.1 मिलीग्राम होता है।

किडनी और क्रिएटिनिन के बीच क्या संबंध है?

किडनी रक्त शुद्ध करते समय कई अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकालने का कार्य करती है। किडनी द्वारा बाहर निकाले गये अपशिष्ट उत्पादों में क्रिएटिनिन भी एक होता है। किडनी रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर सामान्य बनाए रखती है, जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है। लेकिन जब शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ जाता है तब शरीर को कई दिकत्तों का सामना करना पड़ता है। हाई क्रिएटिनिन का स्तर किडनी खराब होने की तरफ साफ-साफ संकेत देता है।

किसी कारण किडनी खराब हो जाने पर शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके कारण किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त होने लगते हैं, जिससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। वहीं अगर किसी कारण अचानक से शरीर में क्रिएटिनन का स्तर बढ़ने लग जाए तो भी किडनी खराब हो जाती है। शरीर में अचानक से क्रिएटिनिन दो कारणों से बढ़ सकता है, पहला – यदि आप उच्च मात्रा में प्रोटीन का सेवन करें, और दूसरा – अधिक व्यायाम (जिम) करने के कारण। क्रिएटिन बनाने वाले सप्लिमेंट्स भी रक्त और यूरिन में क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ा सकते हैं। क्रिएटिनन का स्तर अपने आप बढ़े या किडनी खराब होने के कारण बढ़े दोनों ही सूरतो में नुकसान नेफ्रोन को ही होता है।

क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने से क्या होता है?

क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ना काफी गंभीर होता है। इसके बढ़ने के कारण व्यक्ति को क्रोनिक किडनी डिजीज यानि किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी का सामना करना पड़ता है। इसके बढ़ने के कारण किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त होने शुरू हो जाते है, जिसके चलते किडनी रक्त शुद्ध करने में असमर्थ हो जाती है और शरीर में अपशिष्ट उत्पाद, क्षार और अम्ल का स्तर भी बढ़ने लगता है। क्षार बढ़ने के कारण व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या भी होने लगती है। इसके अलावा व्यक्ति को निम्नलिखित समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है -

  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • गंधदार पेशाब आना
  • सांस लेने में तकलीफ
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब में खून आना
  • अचानक कमजोरी आना
  • पेट में दाई या बाई ओर असहनीय दर्द होना
  • नींद आना
  • कमर दर्द होना
  • पेशाब करने में दिक्कत होना

क्रिएटिनिन के बढ़ते स्तर को कैसे करें काबू?

क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने से होने वाली परेशानियों के बारे में आपने उपचार विस्तार से जाना। अब आपको बताते है कि कैसे क्रिएटिनिन के बढ़ते स्तर को कैसे कम कर सकते हैं, आप इसके लिए निम्नलिखित उपायों को अपना सकते हैं -

पोटेशियम का सेवन कम करें

क्रिएटिनिन का स्तर कम करने के लिए पोटेशियम की मात्रा का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। यह किडनी पर दुष्प्रभाव डालता है जिससे क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ता है। अगर आप किडनी से जुड़े किसी भी रोग से पीड़ित है तो आपको केले का सेवन नहीं करना चाहिए। केले के अंदर सबसे ज्यादा पोटेशियम होता है जो किडनी को खराब कर सकता है।

प्रोटीन का सेवन कम करें –

क्रिएटिनिन का एक रासायनिक अपशिष्ट है जो स्वाभाविक रूप से शरीर द्वारा निर्मित होता है लेकिन जब आप बड़ी मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं तो आपका शरीर अस्थायी रूप से क्रिएटिनिन का उत्पादन करता है। आप जिस रेड मीट का सेवन करते हैं, उसमें क्रिएटिन की मात्रा अधिक होती है क्योंकि यह जानवर का एक मांसपेशी ऊतक होता है। यदि आप प्रोटीन अधिक खाते हैं, तो इसे सब्जी आधारित प्रोटीन के लिए स्वैप करें और अपने क्रिएटिनिन को तेजी से कम करें।

गहन कसरत से बचें (जिम) –

व्यायाम गुर्दे के रोगियों के लिए अच्छा है, लेकिन एक सख्त जोरदार आहार अपनाने से रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ सकता है। वैकल्पिक रूप से, आप कट्टर व्यायाम के बजाय दौड़ या योग कर सकते हैं।

नमक का सेवन कम करें -

अधिक मात्रा में नमक (सोडियम) लेने से शरीर में फ्लूड और स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाले स्तर तक एकत्रित करने लगता है, जिससे उच्च रक्तचाप की समस्‍या होने लगती है। इन दोनों कारणों से क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है। इसलिए कम सोडियम वाला आहार का ही सेवन करें। जिन खाद्य पदार्थों और पेय में नमक की मात्रा ज्यादा हो उनका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। आप साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

हाइड्रेटेड रहना –

डॉक्टर किडनी के मरीज को सामान्य से कम पानी लेने की सलाह देते हैं। लेकिन अगर आपका क्रिएटिनिन स्तर पहले से ही उच्च है, तो द्रव का निर्जलीकरण और कमी रक्त में क्रिएटिनिन स्तर को और अधिक बढ़ा सकती है। इसके अलावा, अधिक पानी पीने से आपके शरीर को प्राकृतिक रूप से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने की अनुमति मिलेगी।

क्रिएटिनिन आधारित उत्पादों से बचें –

क्रिएटिन लीवर में स्वभाविक रूप से बनता है जहां इसका उपयोग ऊर्जा के लिए किया जाता है और बचे हुए हिस्से को क्रिएटिनिन में बदल दिया जाता है। क्रिएटिनिन विभिन्न पूरक में भी उपलब्ध है जो एथलीट अपने प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए उपभोग करते हैं। इसलिए जो लोग क्रिएटिनिन कम करना चाहते हैं, उन्हें ऐसे उत्पादों की खपत को सीमित करना चाहिए।

आयुर्वेद द्वारा क्रिएटिनिन स्तर कम करे :-

आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा क्रिएटिनिन के लगातार बढ़ने से रोका जा सकता है, लेकिन उसे पूरी तरह खत्म करने में कठिनाई होती है। अगर आप आयुर्वेद द्वारा क्रिएटिनिन को कम करना चाहते है तो  आपको जल्द से जल्द आयुर्वेदिक उपचार शुरू करना चाहिए। क्रिएटिनिन के स्तर को कम करने के लिए आप घर में निम्नलिखित उपचार अपना सकते है -

  • दालचीनी को खनिज और विटामिन का एक बड़ा भंडार है, जो ना केवल खाने का स्वाद बढाता है साथ ही आयुर्वेदिक औषधि के रूप में काम करता है। दालचीनी के नियमित सेवन से यह किडनी की निष्पादन क्षमता को बढ़ाकर किडनी की उत्पादकता क्षमता में सुधार करने में मददगार साबित होता है।
  • यदि आपको मधुमेह, उच्च रक्तचाप का स्तर, मूत्र पथ के संक्रमण और अन्य स्थितियां हैं जो गुर्दे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं, तो इस जड़ी बूटी का सेवन करने से आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे।
  • कैमोमाइल चाय के नियमित सेवन से आपकी किडनी स्वस्थ बनी रहती साथ ही यह आपको क्रोनिक किडनी रोग से भी दूर रखें में मदद करती है। यह सामान्य चाय और ग्रीन टी के मुकाबले अधिक गुणों से भरपूर है। यह क्रिएटिनिन के स्तर को ना केवल कम करने में सहायता देता है साथ ही रक्त शर्करा को को भी कम करने में मदद करता है। बता दें की रक्त शर्करा बढ़ने के कारण किडनी खराब हो जाती है जिससे क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है।
  • खीरे के अंदर पानी की मात्रा 90 प्रतिशत तक होती है। यह शरीर में पानी की कमी को दूर करता है जिससे पेशाब की मात्रा बढने लगती परिणामस्वरूप रोगी को पेशाब से जुडी समस्यों से रहत मिलती है और क्रिएटिनिन का स्तर भी कम होने लगता है। बता दें की मूत्र संक्रमण के दौरान क्रिएटिनिन जोकि एक खराब उत्पाद है वह शरीर से बाहर नही निकल पाता।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से निदान पाया जा सकता है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।

वैसे तो आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेद बाकी केन्द्रों से खास है।  कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ। पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे है। डॉ। पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं।जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ। पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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