किडनी मानव शरीर का सबसे सक्रिय एवं व्यस्त अंग हैं| किडनी में होने वाले किसी भी प्रकार की खराबी को अनदेखा करने से जान भी जा सकती है| व्यस्त जीवनशैली,असंतुलित खानपान और नियमित रूप से शरीर की जाँच न करवाना किडनी खराब होने के प्रमुख कारण है| आज 10 में से 1 व्यक्ति क्रोनिक किडनी फेलियर जैसी बीमारी से जूझ रहा हैं| जितनी तेजी से पर्यावरण में बदलाव हो रहा हैं और फसलों व सब्जियों की पैदावार बढ़ने के लिए इनमें रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता हैं, इसका सीधा असर प्रत्यक्ष रूप से हमारी सेहत पर पड़ता है|
आज हम इतना व्यस्त हो चुके हैं कि हमारे पास खाना खाने तक का समय नहीं होता| नाश्ता हम 11 से 12 बजे बीच करते हैं, दिन का खाना 4 से 5 के बीच करते हैं,रात का खाना 11 से 12 बजे तक करते हैं और कभी-कभी तो बिना खाए भी सो जाया करते हैं| ना हमारे खाना खाने का कोई निश्चित समय होता हैं, ना हमारे सोने और उठाने का कोई निश्चित समय होता है, हम बस अपने मन की इच्छा के हिसाब से ही सब कुछ करते हैं, जिसके कारण हम अनेक बीमारी से घिरे रहते है और थोड़े समय के बाद किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर बिना किसी डॉक्टर के सलाह से कोई भी दर्द निवारक दवाई लेकर खा लेते हैं और नतीजा यह होता हैं, कि एक दिन हम किडनी बीमारी का रोना रो रहे होते है|
किडनी की खराबी को मुख्यता चारप्रकार से समझा जा सकता है:-
एयूक्ट किडनी फेलियर
एयूक्ट किडनी फेलियर इसमें किडनी में खराबी होने के सामान्य लक्षण दिखाई नहीं देते है, किडनी अचानक काम करना बंद कर देती हैं, लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की घबराने वाली बात नहीं होती क्योंकि डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाइयां लेने से हम ठीक हो जाते है| क्या होता हैं कि कभी-कभी कुछ ऐसा खा लेते जिससे किडनी पर दबाव पड़ने लगता है, और किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है और आपकी तबीयत अचानक खराब होने लगती है, जिससे अधिक दर्द महसूस होने लगता है और बिना डॉक्टर के सलाह से पेन किलर खा लेते हैं, जिसे खाने के बाद आराम तो मिलता हैं, लेकिन दवाई का असर खत्म होते फिर से दर्द उठाना शुरू हो जाता है| पेनकिलर और एंटीबायटिक्स एयूक्ट किडनी फिलियर होने के मुख्य कारणों में एक है|
क्रोनिक किडनी फेलियर
क्रोनिक किडनी रोग किडनी रोग में होने वाली एक गंभीर रोग है जिसका सामान्यता कोई लक्षण दिखाई तो नहीं देता,क्रोनिक किडनी रोग में धीरे-धीरे किडनी में खराबी आना शुरू हो जाती हैं लेकिन इसका कुछ अधिक प्रभाव देखने को नहीं मिलता आम तौर पर इसमे सामान्य पेट दर्द की तरह दर्द रहता है जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है इस बीमारी का पता अधिकतर तब पता चलता हैं जब किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है जिसे क्रोनिक किडनी फेलियर कहा जाता है|
डायबिटीज़ नेफ़्रोपौथी रोग
मधुमेह नियंत्रित न होने के कारण किडनी की समस्या होती है,जिसे डायबिटिक किडनी रोग कहते हैं| इसमें रोगी बहुत लंबे समय से मधुमेह से ग्रसित होता हैं और नियमित रूप से मधुमेह की दवाई न खाने के कारण बल्ड शुगर हाई रहता है, जो धीरे धीरे किडनी की कार्य क्षमता को प्रभावित करता हैं, जिसके कारण पेशाब में प्रोटीन अधिक मात्रा में निकलना शुरू हो जाता है| हाई बल्ड प्रशर के कारण शरीर में सूजन आना शुरू हो जाती हैं, जो धीर-धीरे किडनी को अधिक नुकसान पहुंचता है और किडनी फेल होने की स्थिति में आ जाती हैं|
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
यह एक आनुवांशिक रोग है, इसमें किडनी में सिस्ट या छाले बन जाते हैं| किडनी के अंदर पानी जैसे तरल पदार्थ के सिस्ट या छाले बन जाते हैं, जिसके कारण किडनी सुचारु रूप से काम करना बंद कर देती हैं,यह रोग किडनी में खराबी का एक मुख्य कारण है और जब रोगी की स्थिति गंभीर होती है तो रोगी को डायलसिस या किडनी प्रत्यारोपन किया जाता है| लेकिन समय पर kft जाँच के बाद आयुर्वेद उपचार से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग को आयुर्वेदिक औषधियों के नियमित सेवन से आसानी से ठीक किया जा सकता हैं|
किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण
- पैरों और आँखों के नीचे सूजन
- चलाने पर जल्दी थकान और सांस फूलना
- रात में बार-बार पेशाब के लिए उठाना
- भूख न अलगाना और हाजमा ठीक न रहना
- खून की कमी से शरीर पीला पड़ना
किडनी को खराब होने से बचाने के उपाय
- डॉक्टर के परामर्श के अनुसार नियमित रूप से पानी, फल व सब्जियों का सेवन करें|
- ब्लड प्रेशर या डायबीटीज के लक्षण दिखने पर हर छह महीने में पेशाब और खून की जाँच जरूर कराएं|
- खाने में नमक, सोडियम, और प्रोटीन की मात्रा को कम कर दें|
- अंगूर खाएं क्योंकि यह किडनी से यूरिक एसिड निकालते हैं|
- मैग्नीशियम किडनी को सही काम करने में मदद करता है,इसलिए मैग्नीशियम वाली चीजें जैसे गहरे रंग की सब्जियाँ खाएं|
- अपनी जीवनशैली में बदलाव करके, खान पान में ध्यान देखकर और आयुर्वेदिक औषधियों के उपचार से हम किडनी जैसे गंभीर बीमारी से खुद को दूर रख सकते हैं|
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करता आ रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। डॉ. पुनीत ने 1 लाख 50 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है|