किडनी हमारे शरीर में रक्त शुद्ध कर अपशिष्ट उत्पादों, अतिरिक्त क्षार और अम्ल को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है, जिससे शरीर में संतुलन बना रहता है। लकिन कई कारणों के चलते किडनी खराब हो जाती है, उस दौरान शरीर में क्रिएटिनिन का स्तर लगातार बढ़ता रहता है और इसके कारण किडनी की कार्यक्षमता कम होने लगती है, इस स्थिति को क्रोनिक किडनी डिजीज कहा जाता है। इस रोग में व्यक्ति की दोनों किडनियां 60 से 65 प्रतिशत तक खराब हो जाती है। जानकारी के आभाव के कारण इस बीमारी की पहचान अंतिम चरण में होती है। क्रोनिक किडनी डिजीज में व्यक्ति की किडनी खराब होने में एक लम्बा समय लगता है। किडनी खराब होने पर रोगी को औषधियों के साथ-साथ कई बातों का खास ध्यान रखना चाहिए, जैसे – खानपान, योग, किडनी खराब होने के कारक आदि।
आहार का ध्यान रखें क्रोनिक किडनी रोग
क्रोनिक किडनी डिजीज वाले रोगियों को अपने आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि दवाओं के मुकाबले आहार रोगी को जल्द ठीक होने में मदद करता है। अगर आप क्रोनिक किडनी रोग से जूझ रहें तो आपको आहार से जुड़ी निम्नलिखित बातों का ख्याल रखना चाहिए -
- क्रोनिक किडनी रोगी को अपने आहार में ब्रोकली, फूलगोभी, सेब, ब्लूबेरी आदि को शामिल करना चाहिए। इन सभी चीजों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट का संतुलन बना रहता है। शरीर में कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
- क्रोनिक किडनी डिजीज के साथ उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझने वाले रोगियों अपने आहार में बैंगन, नारियल पानी, मशरूम, ओट्स, दही जैसी चीजों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। आप इसके लिए अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें। साथ ही रोगी को नमक का सेवन ना के बराबर ही करना चाहिए, आप साधारण नमक की जगह सेंधा नमक को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। उच्च रक्तचाप किडनी की विफलता का मुख्य कारण माना जाता है।
- मधुमेह के कारण किडनी फेल्योर से जूझने वाले रोगियों को अपने आहार मीठे को बिल्कुल शामिल नहीं करना चाहिए। रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखने के लिए मधुमेह किडनी रोगी को जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती जैसे फलों का सेवन करना चाहिए। साथ ही ऐसे किडनी रोगियों को अपने आहार में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलजम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, पत्तागोभी और दूसरी अन्य पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
- प्रोटीन वैसे तो शरीर के लिए बहुत जरुरी होता है, लेकिन किडनी रोगी को प्रोटीन का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए। शरीर में अधिक मात्रा में प्रोटीन होने पर किडनी के फिल्टर्स पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है। इसी कारण किडनी रोगी को प्रोटीन युक्त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर रोगी मांसाहारी है, तो वह चिकित्सक की सलाह से आहार में अंडे का सफेद भाग और ताजा चिकन को शामिल कर सकते हैं। ध्यान दें, इन खाद्य प्रदार्थों में प्रोटीन अधिक होता है, इसलिए रोगी इनका सेवन सप्ताह में एक बार ही करें।
- क्रोनिक किडनी रोगी को वसा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इसकी जगह रोगी को अपने आहार में खीरा और तरबूज को शामिल करना चाहिए।
- इस गंभीर समस्या से जूझने वाले रोगियों को सब्जियों को खूब सेवन करना चाहिए। रोगी लौकी, खीरा, गाजर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, तुरई जैसी सब्जियों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। अगर रोगी सब्जियों का सेवन करने में असमर्थ हैं, तो वह सब्जियों का सेवन को जूस के रूप में भी कर सकते हैं। किसी भी सब्जी को आहार में शामिल करने से पहले चिकित्सक ही सलाह जरूर लें।
- क्रोनिक किडनी रोगी घनिये की पत्तियों के जूस का सेवन कर सकते हैं। इस जूस के सेवन से निश्चित ही किडनी को आराम मिलता है। घनिया किडनी को साफ करने में मदद करता है।
- सेब का सिरका किडनी को साफ कर उसकी क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं को राहत देने का कार्य करता है। क्रोनिक किडनी डिजीज के रोगी चिकित्सक की सलाह से सेब के सिरके को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
- किडनी रोगी को अपने आहार में लहसुन को शामिल करना चाहिए। लहसुन को पीसने या कुचलने से इसके अंदर से एलिसिन नाम का एक खास एंटीऑक्सीडेंट तत्व निकलता है। यह एंटीऑक्सीडेंट तत्व एंटीडायबिटिक की तरह काम करता है, जो मधुमेह और उच्च रक्तचाप को प्रभावी ढंग से रोकने में मदद करता है।
- किडनी फेल्योर के रोगियों को आम, केला, सेब, चीकू, खजूर और अंगूर जैसे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। इन फलों में पोटेशियम, प्रोटीन, और मीठे की मात्रा अधिक होती है, जो किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
योग आसन करे क्रोनिक किडनी रोगी
योग करते रहने से किसी भी प्रकार का रोग, तनाव, अनिद्रा और बीमारी पास नहीं फटकती है। यदि आपके पास योगासन करने का समय नहीं है तो आप सूर्यनमस्कार करने ही स्वस्थ बने रह सकते हैं। योग व्यक्ति तन-मन दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन व्यायाम है। नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर न केवल बाहरी गतिविधियों के लिए फिट रहता है, बल्कि नर्वस सिस्टम, पाचन आदि पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आप किडनी की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो योग आपके लिए फायदेमंद है। शोध के अनुसार, योग किडनी रोगियों के लिए फायदेमंद है। क्रोनिक किडनी डिजीज का सामना कर रहे लोग निम्नलिखित व्यायाम को अपना सकते हैं -
मत्स्यासन –
यह आसन रोगियों के पीठ के दर्द, गर्दन के दर्द और किडनी के ये फायदेमंद होता है।
- पहले आप दाहिने पैर को बांयी जांघ पर रखें
- फिर अब बाएं पैर को दाहिनी जांघ पर रखें
- अब अपनी पीठ के बल लेट जाएं
- अपनी कोहनी के साथ अपने सिर को जकड़ें
- इस स्थिति में 30 सेकंड तक रहें
केवला कुसंगका –
आप स्वच्छ वातावरण में सिद्धासन में बैठ जाएं। अब नाक से अंदर की तरफ सांस खींचे इसके बाद क्षमता अनुसार सांस को रोक कर रखें, फिर उसके बाद सांस को छोड़ें। इस योग में आप एक मंत्र के आंतरिक जप के साथ सांस लें, अगर आप नेफ्रोटीक सिंड्रोम के मरीज है तो साथ ही इसे 11 मिनट तक करें।
शून्यका कुंभक –
- आप पूरी तरह से सांस छोड़ें
- अपनी क्षमता अनुसार सांस रोकिए और फिर आंतरिक मंत्र के जप के साथ छोड़ें
- अब सिर पर चंद्रमा की कल्पना करें
- जब आप सांस को बाहर नहीं खींच सकते हैं, तो धीरे-धीरे सांस लें
- ऐसा 21 बार करें, क्योंकि योग से आपका रक्त साफ होता है जिसे किडनी स्वस्थ बनी रहती है।
भोरोलिका –
इसमें आप एक ध्वनि के साथ सांस को नाक के जरिए अंदर की तरह खींचे फिर नाक को ऊंगली से बंद किए बिना ही सांस को अंदर रोक कर रखे फिर ध्वनि के साथ हल्के से सांस को छोड़ें। ऐसा 21 बार करने से आपकी किडनी के कार्यों में सुधार आता है, लेकिन इन योग को करने से पहले आप ध्यान रखें कि यह योग बुजर्ग, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे और जो महिलाएं गर्भवती हैं, वह इन रोग का अभ्यास बिल्कुल न करें।
किडनी खराब होने पर इन बातों का भी रखें ध्यान :-
क्रोनिक किडनी डिजीज होने के कारणों को काबू में रखना जरुरी होता है। किडनी खराब होने के कारणों को काबू में ना रखने पर रोगी को और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
मधुमेह –
मधुमेह किडनी खराब होने का मुख्य कारण माना जाता है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, शर्करा युक्त रक्त को शुद्ध करते समय किडनी पर दबाव पड़ता है। किडनी पर लगातार दबाव पड़ने के कारण किडनी खराब हो जाती है। अगर किडनी रोगी मधुमेह की समस्या से जूझ रहे हैं, तो उन्हें रक्त शर्करा को काबू में रखना चाहिए।
उच्च रक्तचाप –
किडनी खराब होने के पीछे उच्च रक्तचाप सबसे बड़ा कारण माना जाता है। रक्त में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाने पर व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होने लगती है। उच्च रक्तचाप के कारण शरीर में रक्त प्रवाह में समस्या होती है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण किडनी को रक्त शुद्ध करने के दौरान फिल्टर्स पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है। बता दें उच्च रक्तचाप के कारण व्यक्ति को दिल से जुडी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
दर्द निवारक दवाओं का सेवन –
कुछ लोगो को हर छोटी सी बीमारी में दवा लेने की आदत होती है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। जिससे किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है। जिसे हम आम भाषा में किडनी फेल्योर कहते हैं। इसलिए हर छोटी समस्या में दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने से बचे ज्यादा जरुरत होने पर ही दवाओं का सेवन करें। अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से व्यक्ति को उच्च रक्तचाप जैसी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
हम आयुर्वेद के जरिये हर बीमारी का इलाज कर सकते है। आयुर्वेद में एलोपैथी की तरह रसायनों का प्रयोग नहीं होता बल्कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। आज के समय में “कर्मा आयुर्वेदा” प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के जरिए “किडनी फेल्योर” जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। आप सभी इस बात से वाकिफ है की आयुर्वेदिक उपचार से बेहतर कोई भी उपचार नहीं है।
धवन परिवार द्वारा “कर्मा आयुर्वेदा” की स्थापना वर्ष 1937 में की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा का नेतृत्व कर रहे है। आज के समय में आपको अनेक आयुर्वेदिक उपचार केंद्र मिल जाएंगे, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा किडनी सम्बंधित रोग को ठीक करने को लेकर रामबाण की तरह साबित हुआ है। कर्मा आयुर्वेदा काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगो को मुक्त कर रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा कर उन्हें रोगमुक्त किया है।
आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। आयुर्वेद हर बीमारी को जड़ से खत्म करता है। आयुर्वेद भले ही अपना असर धीरे-धीरे दिखाए लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई अन्य प्रभाव नहीं छोड़ता। क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता, जिसके चलते यह हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ता। डॉ. पुनीत धवन ने अब तक आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा किडनी रोगियों को इस गंभीर रोग से मुक्त किया है।