गोरखपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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हमारा शरीर ईश्वर द्वारा बनाया गई एक ऐसी नायब चीज़ है जो कुदरत की बाकी सभी चीज़ों से हमें अलग बनाती है। हमारे शरीर की संरचना बहुत जटिल है। हमारा शरीर कई अंगों के जोड़ से काम करता है। जब हमारे शरीर के सभी अंग एक साथ अपना-अपना काम करते है, तो हमारा शरीर ठीक तरीके से अपना काम करता है। यदि हमारे शरीर का कोई भी अंग अपना काम करना कुछ पलों के लिए बंद कर दें तो इसका खामियाजा बाकि सभी अंगों को भुगतना पड़ता है।

सभी अंगों का अपना-अपना काम होता है।  लेकिन किडनी हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी हमारे शरीर में संतुलन बनाने का काम करती है। किडनी हमारे शरीर में रक्त का शुद्धिकरण, अपशिष्ट उत्पादों को निकलना, शरीर में पानी का संतुलन, अम्ल और क्षार का संतुलन, रक्त के दबाव पर नियंत्रण, रक्तकणों के उत्पादनमें सहायता, हड्डियों की मजबूती आदि। इसके साथ ही किडनी हमारे भोजन को भी पचाने में अपना एक जरुरी भूमिका  अदा करती है। आहार की विविधता के कारण शरीर में पानी की मात्रा, अम्लीय और क्षारिय पदार्थों की मात्रा में निरंतर परिवर्तन होता हैं। आहार के पाचन के दौरान कई अनावश्यक पदार्थ शरीर में उत्पन्न होना। शरीर में अनावश्यक द्रव्यों और पदार्थों को पेशाब द्वारा दूर कर रक्त को शुद्धिकरण करती हैं

आजकल  खान पान और दिनचर्या में बदलाव के चलते दुनियाभर में किडनी की बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। देश में 7 से 8 फीसदी आबादी किडनी फेल होने की गंभीर परेशानियों से जूझ रही है। शुरुआती अवस्था में बीमारी के लक्षण पकड़ में नहीं आते, किडनी के 60 प्रतिशत खराब होने के बाद ही मरीज को इसका पता चल पाता है। किडनी या गुर्दा राजमा की शक्ल जैसा अंग है, जो पेट के दाएं और बाएं भाग में पीछे की तरफ स्थित होता है। किडनी खराब होने पर शरीर में खून साफ नहीं हो पाता और क्रिएटिनिन बढऩे लगता है। यदि दोनों किडनी अपना कार्य करने में सक्षम नहीं हों, तो उसे आम भाषा में किडनी फेल हो जाना कहते हैं।

किडनी ख़राब होने के लक्षण

किडनी ख़राब  होने की स्थिति में हमारे शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देते है। जिनकी पहचान कर हम यह जान सकते है की क्या हमारी किडनी ख़राब है या नहीं।

  • सांस लेने में तकलीफ
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब विसर्जन में दिक्कत
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • आंखों के नीचे सूजन
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना

किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

किडनी फेल्योर की खबर सुनते ही रोगी और उसके परिजन दर जाते है। जोकि स्वाभाविक भी है। क्यूंकि किडनी फेल्योर का इलाज बहुत ही खर्चीला और लम्बा होता है। यहाँ तक की लाखों में खर्च करने के बाद भी रोगी की किडनी फेल्योर की बीमारी छुटकारा नहीं मिलता। क्यूंकि अंग्रेजी दवाओं से किसी भी बीमारी की रोकथाम ही जा सकती है। अंग्रेजी दवाओं से हमें रोग से कुछ समय के लिए राहत भले ही मिलती है। जबकि आयुर्वेद में हर बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जाता है।

आयुर्वेद किसी तिजोरी में छिपा एक ऐसा खजाना है जिसमे हर रोग का उपचार मौजद है। आयुर्वेद में हर हानिकारक रोग से मुक्ति पाई जा सकती है। "कर्मा आयुर्वेदा" भी आयुर्वेद की सहायता से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा ने हज़ारों लोगो को इस गंभीर रोग से रोगमुक्त कर यह साबित किया है की आयुर्वेद में किडनी फेल्योर का इलाज मौजूद होने के साथ-साथ संभव है।

कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। तभी कर्मा आयुर्वेदा इस क्षेत्र में काम करता आ रहा है। फ़िलहाल कर्मा आयुर्वेदा को डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन एक जाने मने आयुर्वेदिक चिकित्सक  है। आज कर्मा आयुर्वेदा द्वारा गोरखपुर में भी किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने अब तक आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से 35  हज़ार से ज्यादा लोगो को किडनी फेल्योर से मुक्त किया है। बता दें की कर्मा आयुर्वेद में किडनी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांप्लांट के ही किडनी फेल्योर का सफल इलाज किया जाता है।

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