आज विश्व भर में आयुर्वेद का लोहा माना जा रहा है। आयुवेद में लोगो की विश्वनीयता और आयुर्वेद में मौजूद ज्ञान के कारण ही आयुर्वेदिक किडनी उपचार हर जगह हमेशा से अंग्रेजी उपचार से कहीं ज्यादा बेहतर माना जाता है। आयुर्वेद में किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी का भी सफल उपचार मौजूद है । एक तरफ जहां अंग्रेजी उपचार में ख़राब किडनी को ठीक करने के लिए सबसे पहले डायलिसिस का सहारा लिया जाता है, और बाद में जब डायलिसिस से भी कोई खास परिणाम सामने नहीं आते तो रोगी की किडनी प्रत्यारोपण करने की बात कही जाती है । वहीँ आयुर्वेद में केवल जड़ी-बूटियों की मदद से ही रोगी की ख़राब किडनी को फिर से ठीक किया जाता है ।
हाल ही में ‘इंडो अमेरिकन जर्नल ऑफ़ फार्मास्यूटिकल रिसर्च’ द्वारा प्रकशित एक पुस्तक में आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर के सफल उपचार के बारे में विस्तार से लिखा गया गया है। अमेरिका में प्रकशित इस पुस्तक में न केवल आयुर्वेद बल्कि कुछ ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है जिनकी मदद से ख़राब किडनी को पुनः ठीक किया जा सकता है। प्रकाशित इस शोध में निम्नलिखित औषधियों के बारे में उल्लेख किया गया है -
- पुनर्नवा
- गोखरू
- वरुण
- पत्थरपूरा
- पाषाणभेद
- कमल ककड़ी
कर्मा आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का आयुवेदिक उपचार :-
कर्मा आयुर्वेदा पिछले 82 वर्षों से केवल आयुर्वेद की मदद से ही किडनी फेल्योर के मरीजों का सदल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा अपने मरीजों का उपचार बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के ही करता है। कर्मा आयुर्वेदा द्वारा ठीक किये गये मरीजों से यह साबित होता है की बिना किडनी ट्रांसप्लांट और बिना डायलिसिस की मदद से ख़राब किडनी को पुनः ठीक किया जा सकता है।
कर्मा आयुर्वेद की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। फ़िलहाल कर्मा आयुर्वेद का नेतृत्व डॉ.पुनीत धवन कर रहे है। धवन परिवार की यह पांचवी पीढ़ी है। डॉ.पुनीत धवन ने ना केवल भारत बल्कि विश्व भर में किडनी फेल्योर के मरीजों का आयुर्वेदिक तरीके से उपचार कर उन्हें इस जानलेवा बीमारी से मुक्त किया है।
कर्मा आयुर्वेद द्वारा देश भर में किडनी फेल्योअर का आयुर्वेदिक उपचार किया किया जा रहा है । उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है । डॉ.पुनीत धवन ने अपने तजुर्बे से 35 हज़ार से भी ज्यादा लोगो को इस जानलेवा बीमारी से मुक्त किया है । वो भी बिना डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट किये। आपको बता दें की आयुर्वेद में केवल प्राकृतिक जड़ी-बूटियों की मदद से ही रोगी को रोगमुक्त किया जाता है।
किडनी ख़राब होने के लक्षण :-
जैसा की आप सभी को ज्ञात है की किडनी हमारे शरीर के लिए कितनी उपयोगी है। हमारे शरीर को साफ़ रखने और शरीर में संतुलन बनाए रखने में हमारी मदद करती है । किडनी हमारे शरीर से अतिरिक नमक और एसिड को पेशाब के रूप में हमारे शरीर से बहार निकालने का कार्य करती है । यदि किडनी ऐसा न करे तो हमारा शरीर रोगों का घर बन जायगा। ऐसे में हमें चाहिए की हम अपनी किडनी का ख्याल रखे और उसे स्वस्थ रखे। लेकिम हमारी गलत आदतों के कारण हमारी किडनी ख़राब हो जाती है। हमारी किडनी धीरे-धीरे ख़राब होती है । इसलिए अक्सर हमें इसके ख़राब होने के लक्षण समझ नहीं आते। लेकिन निम्नलिखत कुछ लक्षणों की पहचान से हम अपनी किडनी की बीमारी की पहचान कर सकते है -
- शरीर में सूजन (एडिमा)
- उच्च रक्तचाप
- शरीर में खून की कमी
- बार-बार पेशाब आना
- पेशाब करते समय जलन या दर्द होना
- भूख में कमी होना
- नींद न आना
- वजन अचानक बढ़ना या घटना
अगर आप उपरोक्त लिखे लक्षणों को अपने अंदर या अपने किसी परिजन में देख रहे है तो तुरंत कर्मा आयुर्वेदा से इस बारे में सम्पर्क करे ।