आलू की तरह दिखाई देने वाला फल चीकू प्रकृति द्वारा दिया गया एक औषधीय गुणों से भरपूर फल है। चीकू देखने में भले ही साधारण सा फल होता है लेकिन यह अपने गुणों के कारण अपना एक खास स्थान रखता है। कुछ लोग अक्सर इसे खाना पसंद नहीं करते क्योंकि यह मरीजो का फल माना जाता है।
आप चीकू की गुणवत्ता को इस बात से समझ सकते हो की चिकित्सक इसे रोगी को खाने की सलाह जरुर देते है, चाहे किसी भी प्रकार का रोग क्यों ना हो लेकिन रोगी के आहार में चीकू जरुर शामिल होता है। हमें अपने स्वास्थ को ठीक रखने के लिए रोजाना खाने के बाद एक चीकू का सेवन जरुर करना चाहिए।
चीकू के पोषक तत्व :-
चीकू हर मोसम में बड़ी आसानी से मिल जाता है। यह कई रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है। इसके अंदर काफी पोषक तत्व मिलते है जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करते है, इसमें पोटेशियम, फासफोरस, कैल्सियम, आयरन, के साथ विटामिन, मिनरल्स और क्षार (नमक) भी पाया जाता है। चीकू के अंदर घुलनशील फाइबर और कार्बोहाइड्रेट भी मिलता है जो हमारे शरीर के लिए उपयोगी है। चीकू खाने में मीठा होता है क्योंकि इसमें 14 प्रतिशत शर्करा मिलता है जिसके कारण इसे मधुमेह के रोगियों को कम खाने की सलाह दी जाती है।
रोगो के उपचार में चीकू :-
चीकू के पोषक तत्वों से आप पूरी तरह वाकिफ़ हो चुके हो। तो चलिए अब जाने की यह कौन कौन से रोगों से हमारी रक्षा करता है। चीकू हमारी किडनी के लिए बहुत उपयोगी है। यह हमारी किडनी को ख़राब होने से बचाता है। दरअसल चीकू हमे कुछ ऐसे रोगों से मुक्त करने में सक्षम है जिनके होने से हमारी किडनी बड़ी आसानी से ख़राब हो सकती है। चीकू हमें निम्नलिखित रोगों से बचाता है -
पाचन –
हमारे शरीर में सबसे जल्दी अगर कोई चीज़ ख़राब होती है तो वो है पाचन। पचाना ख़राब होने के कारण व्यक्ति कई रोगों के कब्जे में आता चला जाता है। पाचन को ठीक करना आसान तो है लेकिन थोडा जटिल है। अच्छे पाचन के लिए आप रोजाना कम से कम दो चीकू का सेवन करना शुरू कर दीजिये। चीकू के अंदर फाइबर अच्छी मात्रा में मिलता है जो आपको पाचन से जुडी तमाम दिक्कतों से दूर रखता है।
किडनी स्टोन –
यदि आप या आपका कोई परिजन किडनी स्टोन की समस्या से जूझ रहा है तो आपको चीकू के बीज की मदद से इससे छुटकारा मिल सकता है। इसके लिए आप चीकू के बीज को अच्छे से पीस उसका चूर्ण बना ले। बीज से तैयार इस चूर्ण को दिन में दो बार एक - एक चमच्च गुनगुने पानी के साथ ले। ऐसा करने से आपकी पथरी पेशाब के साथ बहार निकल आयगी। साथ ऐसा करने से आपकी किडनी की सदी भी हो जायगी।
मूत्र विकार –
नियमित चीकू खाने से आपको मूत्र विकारों से मुक्ति मिलटी है। साथ ही अगर आप चीकू के बीजों से बने चूर्ण का सेवन करते है तो आपका मूत्र पथ साफ़ होने लगेगा जिससे आपको किसी भी प्रकार का कोई मूत्र विकार होने की आशंका खत्म हो जायगी।
हड्डियों को करे मजबूत -
बच्चों की हड्डियाँ बहुत नाजुक होती है। उनकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए उन्हें कैल्शियम की गोलियां खिलाई जाती है। इन गोलियों के स्थान पर अगर आप बच्चों को चीकू खिलाएं तो बच्चों की हड्डियाँ तेज़ी से मजबूत होंगी। चीकू के अंदर प्रचुर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूती देने का काम करता है। कैल्शियम के साथ चीकू में फास्फोरस, और आयरन भी मिलता है, यह दोनों खनिज भी हड्डियों को मजबूत कर्ण एमे सहायक होते है। चीकू ना केवल बछो बल्कि हर उम्र के लोगो की हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होता है। हड्डी टूट जाने पर चीकू का सेवन जरुर करना चहिये।
उच्च रक्तचाप –
चीकू के सेवन से आप अपने बढे हुए रक्तचाप को नियंत्रण में कर सकते है। चीकू में दो ऐसे पोषक तत्व मिलते है जो अलग अलग तरह से रक्तचाप को नियंत्रण करने में आपकी मदद करते है। पहला पोटाशियम – पोटाशियम रक्त में सोडियम की मात्रा को कम करने में सायक होता है। रक्त में सोडियम की अधिकता के कारण से ही रक्तचाप में वृधि होती है। दूसरा मैग्नीशियम - मैग्नीशियम रक्त परिसंचरण करने में काफी असरदार होता है। मैग्नीशियम के रक्त वाहिकाओं को साफ़ करने का भी कार्य करता है जिसके कारण रक्त सुचारू रूप से प्रवहित होता है। आपको बता दें की किडनी ख़राब होने पर रक्तचाप उच्च रहता है, जिसे नियंत्रण में करना मुश्किल होता है।
वजन –
अगर आप अपना वजन कम करने के लिए तमाम तरीके अपना चुके है और वजन कम नहीं हो रहा तो आपको एक बार अपने खाने में चीकू को अपना कर देखे। चुकू के नियमित सेवन से आपका वजन जल्द ही कम होने लगेगा। चीकू में घुलनशील फाइबर होता है जो आपके शरीर में जमा अतिरिक वसा को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह पेट में जमा अतिरिक पानी को पेशाब के जरीर बहार निकाल देता है। जिससे आपका वजन तेज़ी से कम होने लगता है। वजन कम करने के लिए आप रोजाना खाने के बाद एक या दो चीकू का सेवन जरुर करे।
चीकू से सावधानियां :-
चीकू एक औषधीय फल है इसके सेवन से कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुचता। लेकिन हमें इसके सेवन के दौरान कुछ बातों का ध्यान जरुर रखना चाहिए, जिससे हम चीकू से होने वाले कुछ नुकसानों से बच सकते है। तो चलिए जानते है की चीकू के सेवन के दौरन किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- उम्र के अनुसार ही चीकू का सेवन करना चाहिए। बच्चों को एक बार में ही पुरे चीकू का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही वृद्ध लोगो को एक साथ दो से अधिक चीकू का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अधिक मात्रा में चीकू खाने से पेट संबंधित कोई आम रोग हो सकता है।
- अधपके चीकू के सेवन से दस्त, खांसी, और जुखाम होने की आशंका रहती है।
- चीकू एक गरिष्ठ खाद्य पदार्थ है इसके अधिक सेवन से मोटापा बढ़ सकता है। इसलिए इसका सेवन सिमित मात्रा में ही करना उचित रहता है।
- यदि आप मधुमेह के रोगी है तो आपको चीकू का सेवन करने से बचना चाहिए। इसमें 14% से अधिक शर्करा होती है जो आपके शरीर में मिर्हे की मात्रा को बढ़ा सकता है।
- यदि आप इसके बीज से बने चूर्ण का सेवन किसी अन्य दवा के साथ करते है तो दोनों के बीच कुछ समय का अन्तराल रखे।
कर्मा आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पा सकते है वो भी बिना डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण किए। ‘कर्मा आयुर्वेदा’ किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी का सफल आयुर्वेदिक किडनी उपचार की मदद कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद कई दशकों से किडनी फेल्योर के मरीजो को रोगमुक्त कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। तभी से यह किडनी के रोगियों को केवल आयुर्वेद की मदद से रोगमुक्त कर रहा है।
इस समय कर्मा आयुर्वेदा की बागड़ोर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है। यह धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी है जो कर्मा आयुर्वेद का नेतृत्व कर रही है। डॉ. पुनीत धवन ने ना केवल भारत बल्कि विश्व भर में किडनी फेल्योर के रोगियों का आयुर्वेदिक किडनी उपचार उन्हें इस जानलेवा बीमारी से निदान दिलाया है । डॉ. पुनीत धवन एक जाने माने आयुर्वेदिक चिकित्सक है। इन्होने अब तक 35 हज़ार से भी ज्यादा लोगो की ख़राब किडनी को ठीक किया है। आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेद में बिना डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बिना ही रोगी की किडनी ठीक की जाती है।
आपको बता दें की किडनी हमारे शरीर का अभिन्न अंग है। किडनी हमारे शरीर में बनने वाले अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के जरिये शरीर से बहार निकालने का कार्य करती है। लेकिन हमारी गलत आदतों के कारण हमारी किडनी अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाती जिससे वह ख़राब हो जाती है। किडनी ख़राब हो जाने के बाद उसे ठीक करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। किडनी ख़राब होने के बाद लोगो के सामने उसे ठीक करने के लिए सबसे पहले दो ही विकल्प आते है। पहला डायलिसिस और दूसरा किडनी प्रत्यारोपण, यह दोनों ही उपचार बहुत ही महंगे तो होते ही है साथ ही बहुत लम्बे समय तक भी चलते।