जौनपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
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आज का हमारा जीवन किसी प्रतियोगिता से कम नहीं है। हर कोई किसी ना किसी से आगे निकलने के लिए अघोषित प्रतियोगिता में लगा हुआ है। इस अघोषित प्रतियोगिता में विजय पाने के लिए हम और आप अपनी हर संभव कोशिश करते है। और लक्ष्य एक ही होता है किसी भी तरह से अपने प्रतिदवंदी से जीत हासिल करनी है। इस अघोषित प्रतियोगिता में हर उम्र वर्ग के लोग शामिल है,क्या बच्चे और क्या बूढ़े।

लेकिन अपनी जीत निश्चित करने के चक्कर में हम अपने स्वास्थ का ध्यान रखना ही भूल जाते है। बढ़ती जीवनशैली के कारण हमारा शरीर बिमारियों का घर बन रहा है। क्यूंकि हम अपने शरीर का बिल्कुल ध्यान नहीं रख रहे है। कारण हमारे पास इसके लिए समय ही नहीं है। हम वक्त-बे-वक्त खा पी रहे है। शरीर को पूरा आराम नहीं दे रहे है। किसी ना किसी विषय को लेकर चिंता करते रहते है। जिसके कारण शरीर में और भी रोग पनपते रहते है।

जब शरीर बिमारियों का घर बन जाता है तो उस समय उन बिमारियों से निजात पाने के लिए दवाओं का सहारा लेते है। जो समय के साथ हमारे जीवन का एक हिस्सा बन जाता है। जैसे जीने के लिए सांस लेना जरुरी होता है उसी प्रकार दवाएं भी हो जाती है। शरीर में मधुमेह बढ़ने लगता है। दिल की बीमारी भी होने लगती है। सरदर्द भी अपने एक आम सी बात होने लगती है।

इन सभी बीमारीओं से निजात पाने के लिए हम दवाओं का इतना सेवन करने लगते है की इसका सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ने लगता है। अधिक दवाओं के सेवन के कारण हमारी किडनी ख़राब हो जाती है।

जिसका हमें पता तक नहीं चलता।  अगर आप छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पाने के लिए अक्सर पेन किलर्स का सहारा लेते हैं तो अपनी इस आदत को बदल दीजिए। दरअसल, ज्यादा पेन किलर्स खाने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और समय से पहले ही आपकी किडनी खराब हो सकती है।

प्राइमरी स्टेज में आमतौर पर किडनी खराब होने के लक्षण पकड़ में नहीं आते। फिर भी कुछ लक्षण किडनी में गड़बड़ी होने की ओर इशारा करते हैं, जिनसे व्यक्ति को सचेत हो जाना चाहिए और डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।

किडनी खराब होने के लक्षण :-

  • शरीर के हिस्सों में सूजन आना जैसे-चेहरे, पैर और टखनों में
  • कमजोरी और थकान महसूस करना- शरीर में अचानक बेवजह कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है।
  • किसी भी काम में कंसंट्रेट नहीं कर पाना- ऐसी स्थिति में हमारा काम करने का दिल नहीं करता। और हम काम ठीक से ध्यान नहीं लगा पाते।
  • भूख कम लगना - हमारी भूख कम हो जाती है। जिसके कारण शरीर में कमजोरी हो जाती है और हमें चक्कर तक आने लग जाते है।
  • पेट में जलन और दर्द रहना - हमारे पेट में बहुत ही जलन महसूस होने लगती है। पेट के दाईं और बाईं तरफ तेज़ दर्द होने लग जाता है। यह दर्द स्टोन और किडनी फेल्योर दोनों रोगो में हो जाता है।
  • घबराहट रहना - हमारा मन घबराया रहता है। कहीं भी दिल नहीं लगता। दिल मचला रहता है, उलटी आने को रहती है। लेकिन उलटी आती नहीं है।
  • मांसपेशियों में खिंचाव और ऐंठन होना - किडनी फेल्योर में हमारी मांसपेशियों में खिंचाव और ऐंठन होने लगती है। अक्सर हमें ऐसा कभी-कभी हो जाता है। लेकिन यह बार-बार और लम्बे समय तक रहे तो एक बार कर्मा आयुर्वेदा में डॉक्टर पुनीत धवन से जरूर मिले।
  • कमर के नीचे दर्द होना - किडनी फैल्योर के दौरान हमारी कमर के निचले हिस्से में तेज़ दर्द रहने लगता है। कभी-कभी सूजन भी हो जाती है। कोई भारी काम करने से भी कमर के निचले में दर्द के साथ सूजन आ जाती है। लेकिन यह अपने आप आ जाए और लम्बे समय तक रहे तो कर्मा आयुर्वेदा से जल्द से जल्द संपर्क करे।
  • यूरीन डिस्चार्ज में समस्या - इस स्थिति में हमें रात में बार-बार यूरीन डिस्चार्ज की इच्छा होती है लेकिन आता नहीं है। यूरिन के रंग में भी परिवर्तन देखने में आता है। यूरिन में प्रोटीन भी आ जाता है।

एक बार किडनी फेल्योर का पता चलने के बाद हमें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाने लगती है। रोगी भी अपनी जान बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है। किडनी फेल्योर (CKD) का उपचार और प्रबंधन एक लंबी प्रक्रिया है जिससे रोगियों और उनके परिवारों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानी होती है।

एलोपैथी तरीके से रोगी का उपचार शुरू करते ही सबसे पहले उसका लम्बे समय तक डायलिसिस किया जाता है। जो बहुत पीड़ादयक होता है। लेकिन डायलिसिस से भी रोगी को कोई आराम नहीं मिलता। अंत में नौबत किडनी बदलने की आ जाती है। रोगी को पुनः जीवन दान देने के लिए यह एक मात्र उपाय दिखाई देने लगता है।

किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

लेकिन हम आयुर्वेद के सहारे से किडनी को एक बार फिर से ठीक कर सकते हैं। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है। आयुर्वेद किसी मील के पत्थर के भातिं है। आयुर्वेद हर बीमारी को जड़ से खत्म करता है। आज "कर्मा आयुर्वेद" इस क्षेत्र में बेजोड़ काम कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा केवल आयुर्वेद की मदद से ही किडनी फेल्योर का इलाज करते है।  आयुर्वेद एक विश्वसनीय तरीका है जिससे हम किडनी फेल्योर जैसे रोग से मुक्ति पा सकते है।

कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना 1937 में हुई थी। इसकी स्थापना धवन परिवार द्वारा की गयी थी।  जिसकी बागडोर आज डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से ही 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। बता दें की कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक इलाज पर भरोसा किया जाता हैं।

डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। जौनपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। जौनपुर उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है, जहाँ अब कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं।

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