कुछ लोगों को कभी-कभी झागदार पेशाब होने लगती हैं। पेशाब में झाग या बुलबुले आने के कई सामान्य व असामान्य वजह से भी हो सकते हैं और इसे लेकर बहुत अधिक चिंतित होने की जरूरत नहीं हैं, लेकिन ये किसी भीतरी गड़बड़ी की ओर इशारा करता हैं, इसलिए मेडिकल टेस्ट से ही इसके कारणों का पता चल सकता हैं। कई बार बाथरूम में पहले से पड़े रह गए साबुन के पानी या डिटर्जेंट की वजह भी यूरिन में झाग उठता प्रतीत होता हैं, लेकिन हो सकता हैं ये किडनी की किसी खराबी के लक्षण भी हो सकता हैं इसलिए डॉक्टर को भी सारे लक्षण जल्दी बता देने चाहिए।
यूरिन झागदार आने के सामान्य कारण –
- गर्भावस्था – गर्भावस्था में कुछ महिलाओं की किडनी बढ़ जाती हैं जिससे यूरिन में बुलबुले आने लगते हैं। गर्भावस्था में महिलाओं की किडनियों को अधिक मात्रा में अमीनो एसिड फिल्टर करने पड़ते हैं। जब अमीनो एसिड की मात्रा रीनल ट्यूब्यूल्स की क्षमता से अधिक हो जाती हैं तो वे पेशाब के रास्ते बाहर आ जाते हैं और पेशाब में फॉम दिखने लगते हैं।
- हल्का डिहाईड्रेशन – हल्के डिहाईड्रेशन से भी पेशाब में झाग उठने लगते हैं शरीर में पानी की कमी हो जाने से पेशाब गाढ़ा और बुलबुलेदार हो जाता हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को डिहाईड्रेशन का रिस्क अधिक होता हैं, इसलिए उन्हें सामान्य लोगों की तुलना में पेशाब में झाग अधिक दिख सकता हैं। शरीर में पानी की बेहतर अपूर्ति होने से इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
- बार-बार पेशाब आना – पेशाब बार-बार होने से भी उसमें झाग दिख सकते हैं। डिहाईड्रेशन के कारण भी पेशाब जाने के फ्रेक्वेंसी बढ़ जाती हैं। बहुत बार तो प्रेशर करने या होने से भी उसमें झाग दिखने लगते हैं।
यूरिन झागदार आने के असामान्य कारण –
ऊपर बताए कारणों के अलावा पेशाब में झाग होने के कुछ असामान्य कारण होते है जिनसे किडनी के रोग या यूरिन इंफेक्शन प्रमुख हैं, इन कारणों से पेशाब में झाग दिखने को गंभीरता से लेना चाहिए।
- पेशाब में प्रोटीन आना – प्रोटीन ड्रिंक्स और बॉडी बिल्डिंग के लिए पिए जानेवाले डिंक्स में प्रोटीन की बहुत अधिक मात्रा होती हैं। अधिक मछली या प्रोटीन युक्त भोजन लेने से भी शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ सकती हैं। जब स्वस्थ शरीर को बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन की खुराक मिलती हैं तो वह उसे पेशाब के रास्ते बाहर निकालने लगते हैं। किडनियों को अपना काम करने दिक्कत होने लगती हैं और पेशाब में झाग आने असामान्य लक्षण दिखने लगते हैं। जब खून किडनियों से होकर गुजरता है तो स्वस्थ किडनियां सभी प्रकार के वेस्ट प्रोडक्ट को हटा देती हैं और उन्हीं प्रोडक्ट को खून में रहने देती हैं जो शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं, लेकिन किडनी से संबंधित गड़बड़ी के शिकार लोगों में किडनी का एक भाग ग्लोमेरूलाई काम करना बंद कर देता हैं। जिससे पेशाब में प्रोटीन का आना बढ़ जाता हैं। इस अवस्था में प्रोटीन की खुराक तुंरत बंद कर देनी चाहिए।
- यूरिनरी ट्रेक्ट इंफक्शन – यूरिन इंफेक्शन की वजह से भी पेशाब में झाग दिखता हैं। इस दशा में रोगाणु पेशाब के मार्ग में गैस रिलीज़ करते हैं जिससे बिल्कुल उठने लगते हैं। इस दशा में व्यक्ति को पेशाब करते समय दर्द या जलन भी हो सकती हैं। पेशाब की जांच के बाद यूरिन इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक दवाएं लेने पर इन लक्षणों का उपचार करते हैं।
- वेसीकोकोलिक फिश्चुआ – फिश्चुला एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें दो अंगों के बीचों-बीच किसी गड़गड़ी के कारण रक्त वाहिनियों का कनेक्शन बन जाता हैं। यूरिन ब्लैडर और आंत के बीच बने कनेक्शन को वेसीकोकोलिक फिश्चुला कहते हैं। ये पुरूषों में महिलाओं की अपेक्षा तीन गुना अधिक देखने में आती हैं, इसकी वजह से पेशाब में झाग आने की समस्या का पता डॉक्टर के द्वारा की गई जांच से चलता हैं, अगर पेशाब में झाग कभी-कभार दिखता है तो आपको चिंतित होने की जरूरत नहीं हैं, लेकिन झाग बहुतायत होना और साथ में दूसरे असामान्य लक्षण जैसे – मूत्रमार्ग में दर्द या जलन होना, हाथ-पैर व पेट में सूजन की उपस्थिति होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करनाएं।
झागदार पेशाब का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेदिक तन-मन, शरीर और आत्मा के लिए प्राचीन आयुर्वेदिक किडनी उपचार तकनीक हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, किसी भी तरह की शारीरिक बीमारियों से सभी परेशानियों को बाहर निकालती हैं जैसे- कफ, पित्त और वात शामिल हैं। किसी भी चैनल में अवरोध शरीर में बीमारियों और समस्याओं का कारण बन सकता हैं। आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य किडनी फेलियर के उपचार के लिए अपरिष्कृत जड़ी-बूटियों और दवाओं का इस्तेमाल करते हैं जो किडनी रोग के लिए फायदेमंद हैं।
कर्मा आयुर्वेदा भारत के सबसे प्रमाणिक आयुर्वेदिक किडनी उपचार केद्र हैं। ये 1937 में शुरू किया गया था और इसके बाद से कर्मा आयुर्वेदा दुनिया भर में लाखों मरीजों का इलाज किया जाता हैं। वे पूर्ण हर्बल और प्राकृतिक उपचार दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। जिनके पास एलोपैथी दवाओं के विपरित कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। वे तेजी से वसूली के लिए मरीजों को एक किडनी आहार चार्ट भी प्रदान करते हैं।