आज के समय में सभी लोग बहुत-पढ़े लिखे होते हैं लेकिन फिर भी सही जानकारी न होने के कारण लोगों को अपनी बीमारियों के बारे में पता नहीं होता या फिर अधूरे इलाज के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। उन बीमारियों में से एक बीमारी है किडनी की समस्या!
किडनी खराब होने पर लोग अक्सर डायलिसिस जैसे दर्दनाक उपचार से गुजरते हैं, जबकि आयुर्वेद में ऐसी दवाएं मौजूद हैं जो न सिर्फ किडनी के मरीजों को डायलिसिस पर जाने से रोकती है साथ ही बचाती भी है।
वैसे आज के समय में किडनी की समस्या आम हो गयी है और कई लोगों को इस समस्या के कारण डायलिसिस जैसे उपचार से गुजरना भी पड़ रहा है जो बहुत ही दर्दनाक है। वैसे किडनी खराब होने के कई कारण हो सकते हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज करते आ रहे होते हैं या उन पर हमारा ध्यान ही नहीं जा पाता है। अगर किडनी की समस्या के उपचार के बारे में बात की जाए तो इस रोग में करीब 90 प्रतिशत लोग अंग्रेजी दवाओं या अंग्रेजी उपचार का इस्तेमाल करते हैं। किडनी डायलिसिस की जगह आप आयुर्वेद से किडनी की किसी भी समस्या का इलाज कर सकते हैं। आयुर्वेद में किडनी की हर समस्या का इलाज मौजूद है।
किडनी खराब होने के लक्षण
हमारे व्यस्त लाइफस्टाइल के कारण आजकल हम बहुत ही ज्यादा बेवक्त और ग़लत खान-पान का सेवन करते हैं, जिसका सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ रहा है और वह एक समय के बाद धीरे-धीरे अपना काम करना बंद कर सकती है। जिसका साफ मतलब है कि हमारी किडनी खराब हो सकती है। आमतौर पर जब तक किसी व्यक्ति को अपनी किडनी खराब होने के बारे में पता चल पाता है, तब तक काफी देर हो जाती है और इस कारण मरीज को दर्दनाक उपचार से गुजरना पड़ता है।
इंसान को अपनी किडनी के खराब होने की खबर जब तक मिल पाती है, उस समय तक किडनी लगभग 60-65% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी के खराब होने पर शुरुआत में कोई खास लक्षण नज़र नहीं आते हैं लेकिन जब किडनी की समस्या जैसे-जैसे गंभीर होने लगती है, वैसे-वैसे उस स्थिति में कई लक्षण आपको दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। यदि इन लक्षणों के बारे में समय के रहते पता चल जाए तो किडनी से जुड़ी कई जानलेवा बीमारियों से बचा जा सकता है। मगर लोगों में जागरूकता की कमी के कारण किडनी की समस्या के बारे में, उन्हें कोई जानकारी नहीं होती है। आइए जानते हैं कि किडनी खराब होने के क्या लक्षण होते हैं-
- आंखों के नीचे सूजन
- बुखार और कंपकंपी होना
- पेशाब में खून और प्रोटीन आना
- नींद की कमी होना
- कमर दर्द होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- बार-बार मतली जैसा महसूस होना
- पेशाब करने में दिक्कत
- पेशाब में बदबू आना
- कमजोरी महसूस होना
- पेट दर्द
- शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
डायलिसिस क्या है?
किडनी खराब होने के बाद की जाने वाली प्रक्रिया को डायलिसिस का नाम दिया गया है। यह एक तरह की कृत्रिम प्रक्रिया जिसे अंग्रेजी में artifical process कहा जाता है। जब हमारी किडनी अपना कार्य करने में असफल होने लगती है या अपनी काम करने की क्षमता के हिसाब से काम करने में असमर्थ हो जाती है, तब इस प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है।
किडनी खराब होने पर हमारे शरीर में विषैले पदार्थ धीरे-धीरे बढ़ने लग जाते हैं। शरीर के अंदर से पूरी तरह से विषैले पदार्थ को बाहर निकालना बेहद ज़रूरी होता है। यदि ऐसा नहीं हो पाया तो शरीर में क्रिएटिनिन और यूरिया जैसे पदार्थ लगातार बढ़ने के कारण व्यक्ति को किडनी फेल्योर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में मशीनों की मदद से खून को साफ करने की प्रक्रिया को डायलिसिस कहा जाता है।
शायद आप जानते न हो कि किडनी फेल्योर की वजह से कई अन्य प्रकार की भी समस्याएं भी आपके शरीर में उत्पन्न हो सकती है, जिससे जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है।
डायलिसिस कब करवाया जाता है?
किडनी खराब होने के कारण शरीर में बढ़ते विषैले पदार्थ को बाहर निकालने के लिए अंग्रेजी डॉक्टर डायलिसिस का सुझाव देते हैं। व्यक्ति के शरीर के अंदर पानी इकठ्ठा होने लगता है जिसे पहले डॉक्टर दवा देकर ठीक करने की पूरी कोशिश करते हैं।
यदि किसी कारण फायदा नहीं हो पाता है तब डायलिसिस करवाने की सलाह दी जाती है। कई बार अगर किडनी की समस्या के दौरान किसी भी वजह से शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ने लग जाए और दिल की धड़कने अनियमित होने लग जाए, उस परिस्थिति में डॉक्टर अलग-अलग दवाईयों के इस्तेमाल से बीमारी को पूरी तरह कण्ट्रोल करने की कोशिश करते हैं। यदि फिर भी बीमारी कण्ट्रोल नहीं हो पाती तब डायलिसिस का सुझाव सामने रख दिया जाता है।
डायलिसिस से बचने के तरीके
किडनी खराब होने पर अंग्रेजी डॉक्टर डायलिसिस कराने के सलाह देते हैं जो बहुत ही दर्नाक उपचार प्रक्रिया है। इस दर्दनाक प्रक्रिया से बचने के लिए आप कुछ बातों का ध्यान रख सकते हैं, जिससे आपकी किडनी स्वस्थ रहें और आपको इस प्रक्रिया से न गुज़रना पड़े।
बेकिंग सोडा- किडनी की बीमारी से बचने के लिए ब्रिटिश शोधकर्ताओं के मुताबिक सोडियम बाइकार्बोनेट का सेवन फायदेमंद माना गया है। बेकिंग सोडा के इस्तेमाल से किडनी की बीमारियों की गति को कम करने में मदद मिलती है। बेकिंग सोडा के सेवन से खून में होने वाली एसिडिटी की समस्या को भी खत्म करने में सहायता मिलती है, जो कि किडनी की समस्याओं का एक मुख्य कारण मानी जाती है।
विटामिन का सेवन- किडनी को स्वस्थ बनाने के लिए कुछ खास तरह के विटामिन k+ का प्रयोग कर सकते हैं। आमतौर पर तो विटामिन हमारे पूरे शरीर के लिए फायदेमंद हैं इसलिए कुछ खास विटामिन के सेवन से हम अपनी किडनी को पूर्ण रूप से स्वस्थ रख सकते हैं।
यदि कोई विटामिन D का सेवन करता है तो वह उसकी किडनी के रोगों के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यदि कोई व्यक्ति रोजाना विटामिन B6 का सेवन करता है तो वह किडनी स्टोन की समस्या से अपना बचाव कर सकता है। विटामिन C के सेवन करने से किडनी को क्षतिग्रस्त होने से भी बचाया जा सकता है।
नमक की मात्रा कम करें- किडनी की समस्या से जूझ रहे किसी भी मरीज को सबसे पहले अपने आहार पर खास ध्यान देना चाहिए। किडनी के रोगी को अपने भोजन में नमक के साथ-साथ प्रोटीन की मात्रा को कम रखना चाहिए, जिससे किडनी पर काम का दबाव कम पड़े। इसके आलवा आपको अपनी डाइट में से फास्फोरस और पोटेशियम युक्त आहार को भी बंद कर देना चाहिए।
सब्जियों के रस का सेवन- आप किडनी की समस्या होने पर गाजर, खीरा, पत्तागोभी तथा लौकी का रस पी सकते हैं, जिससे आपको काफी फायदा हो सकता है। इन रस के इस्तेमाल से आप किडनी की बीमारियों से निजात पा जा सकते हैं और अपनी किडनी को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं। इसके सिवा आप तरबूज और आलू के रस का भी इस्तेमाल कर, अपनी किडनी की बीमारी को ठीक कर सकते हैं। किडनी रोगी इन सब्जियों के रस का सेवन सुबह-शाम कर सकते हैं।
पानी का ज्यादा सेवन- शरीर के लिए पानी काफी फायदेमंद माना जाता है और जितना ज्यादा पानी का सेवन एक व्यक्ति करेगा, उतना ही उसकी सेहत के लिए फायदेमंद होगा। अपने शरीर से किसी भी बीमारी को दूर रखने के लिए, आपको हर थोड़ी देर में पानी का सेवन करते रहना चाहिए। इससे खून में मौजूद सभी व्यर्थ पदार्थ यूरीन के जरिए बाहर निकल जाएगें और आपका किडनी के सभी रोगों से बचाव होगा। यदि आप साधा पानी पीना नहीं पीना पसंद करते हैं तो उसकी जगह नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। इससे शरीर में विटामिन C और पानी की कमी खत्म हो जाएगी।
किडनी की बीमारी का इलाज
किडनी की बीमारी के लिए आप एलोपैथी की जगह आयुर्वेद का इस्तेमाल करें, जिसका आपके शरीर पर किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है साथ ही आयुर्वेद आपकी किडनी की बीमारी को जड़ से ख़त्म कर देता है। आयुर्वेद में सही आहार, योग और कुछ जड़ी-बूटी की मदद से किडनी से जुड़ी समस्या का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद में किडनी की समस्या के लिए यह कुछ जड़ी-बूटी में शामिल है-
- गोरखमुंडी- यदि किसी व्यक्ति को किडनी का इन्फेक्शन है या पेशाब के लिए बार-बार जाना पड़ता है, पेशाब मे जलन और पेशाब मे खून आ रहा है तो यह जड़ी-बूटी उसके लिए बहुत लाभदायक मानी जाती है।
- वरुण- यह प्राकृतिक रूप से किडनी स्टोन की समस्या को ठीक करने में मददगार है। इसके सेवन से किडनी से जुड़ी अन्य समस्याओं से भी छुटकारा पाया जा सकता है। यह हमारे खून को साफ करने में किडनी की मदद करता है और यूरिन चैनल फंक्शन को मजबूत बनाता है।
- कासनी- भारत में इस औषधि को चिकोरी के नाम से जाना जाता है। कासनी एक बारहमासी पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम सिकोरियम इंट्यूबस है। इसके इस्तेमाल से कई तरह की बीमारियों से निजात मिलता है, जैसे कि कैंसर जो एक गंभीर बीमारी मानी जाती है यह उसको रोकने में मदद करती है, किडनी खराब होने पर पैरों में आनी वाली सूजन से राहत दिलाती है, मोटापा कम करने में मदद करती है और दिल के रोगियों के लिए भी यह फायदेमंद है।
- चंद्रप्रभा वटी- किडनी की समस्या होने पर खून में मौजूद विषैले पदार्थ बढ़ने लग जाते हैं। चंद्रप्रभा वटी के सेवन से विषैले पदार्थ को शरीर के बाहर निकलने में किडनी की मदद करने लगता है और किडनी स्वस्थ होने लगती है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से व्यक्ति के शरीर से दूषित पदार्थ धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं और खून साफ हो जाता है।
- पुनर्नवा- इसका वैज्ञानिक नाम बोरहैविया डिफ्यूजा है। यह खून की सफाई के कार्य में किडनी मदद करती है।
आयुर्वेदिक उपचार केंद्र
वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया कर्मा आयुर्वेदा किडनी से जुड़ी हर समस्या का इलाज करता है जिसका आज के समय में संचालन धवन परिवार की पाचंवी पीढ़ी के डॉ. पुनीत धवन द्वारा किया जा रहा है। कर्मा आयुर्वेदा के ज़रिए डॉ. पुनीत धवन ने हर साल कई हजारों किडनी रोगियों का इलाज कर, उन्हें एक नया जीवनदान दिया है।
यह बात सब ने ही सुनी होगी कि आयुर्वेद के ज़रिए किसी भी बीमारी का इलाज संभव है, उसी प्रकार कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल की मदद से किसी भी प्रकार की किडनी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक औषधि का ही इस्तेमाल करता है और आयुर्वेद पर ही विश्वास करता है। अब तक, कर्मा आयुर्वेदा ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें किडनी के रोग से मुक्त किया है, वो भी किसी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना।
यहां किडनी रोगियों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ एक उचित आहार के बारे में भी बताया जाता है। सबसे बेहतरीन बात यह की आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यदि आप या आपके किसी जानने वाले को डायलिसिस जैसे दर्दनाक उपचार से गुज़रना पड़ रहा है तो कर्मा आयुर्वेदा से उचित सलाह लेकर एक रोगमुक्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं।