प्रचीन काल से ही आयुर्वेद में नीम का भरपूर प्रयोग किया जा रहा है। नीम एक ऐसा वृक्ष है जिसका कण-कण आयुर्वेदिक औषधि है। अगर आप आज भी गाँव देहात की ओर जाएंगे तो आपको नीम के पेड़ तक़रीबन घर-घर में मिल जाएंगे और ऐसे बहुत से लोग भी मिलेंगे जो आपको नीम के फायदों की जानकारी भी देंगे।नीम का हर एक भाग चाहे नीम की जड़ हो, नीम के पेड़ की छाल, पत्तियां, फूल और नीम के बीज की गुठली और बीज का तेल इन सबका अपना अलग महत्व है।नीम के युवा फलों को टॉनिक और कसैले के रूप में उपयोग किया जाता है, और छाल का उपयोग एनाल्जेसिक के रूप में और मलेरिया और त्वचा रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।
नीम वृक्ष (अज़ाडिराछ इंडिका) एक सदाबहार पेड़ है जो महोगनी परिवार का हिस्सा है। भारत में, नीम को आमतौर पर "गांव की फार्मेसी" कहा जाता था क्योंकि इसमें असंख्य स्वास्थ्य लाभ हैं।नीम में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है जिससे यह बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा नीम इंफेक्शन, त्वचा संबंधी बीमारियां, मलेरिया, एक्जिमा जैसी कई बीमारियों के इलाज में भी उपयोग किया जाता है। नीम के पत्तों में पाए जाने वाले तत्व कई तरह के फंगल इंफेक्शन को रोकने में सहायक सिद्ध होते हैं। नीम हर तरह से शरीर के रोगों को दूर करने में लाभकारी है। नीम का पेड़ आपकी किडनी को भी स्वस्थ रखने में आपकी सहयता करता है, यदि आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको नीम का प्रयोग जरूर रखना चाहिए।
नीम इस प्रकार किडनी को रखे स्वस्थ
किडनी हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई जरूरी कार्यों को अंजाम देती है। यह हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ करने का कार्य करती है, जिसके कारण से ही हमारे शरीर में रासायनिक संतुलन (chemical equilibrium) बना रहता है, साथ ही किडनी हमारी हड्डियों को मजबूत बनाने का कार्य भी करती है। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति आती है जिसके चलते किडनी खराब हो जाती है और उस दौरान किडनी अपने जरूरी कार्यों को अंजाम नहीं दे पाती। इसके अलावा व्यक्ति को उस दौरान कई शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, जिन्हें हम सभी किडनी खराब होने के लक्षणों के रूप में जानते हैं। ऐसे में हमें चाहिए की हम नीम की मदद से अपनी किडनी को स्वस्थ रखे और हमेशा स्वस्थ बने रहे, तो चलिए जानते हैं नीम कैसे किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है –
खून साफ़ करने में मदद करे नीम
अगर खून ठीक से साफ़ ना हो तो व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किडनी हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ करने का काम करती है।नीम एक शक्तिशाली रक्त शोधक और विषहरण के रूप में काम करता हैं। यह हानिकारक विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है और शरीर के सभी भागों में आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है।प्रत्येक दिन कई हफ्ते के लिए 2 या 3 नर्म नीम के पत्ते शहद के साथ खाली पेट खाने से आप अपने शरीर और त्वचा में परिवर्तन महसूस करने लग जाएंगे। आप नीम की चाय भी पी सकते हैं।आपको बता दे कि किडनी खराब होने पर किडनी अपने इस काम को नहीं कर पाती जिससे व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मधुमेह को काबू करे नीम
अगर आप मधुमेह से जूझ रहे हैं तो आपको प्रतिदिन 4 या 5 नर्म नीम की पत्तियां खाली पेट चबा सकते हैं। इससे आपका मधुमेह का बढ़ा हुआ स्तर काबू में आने लगता है। लेकिन, फ़िलहाल यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मधुमेह के इलाज में नीम कितना उपयोगी है। हाँ पर नीम के पत्ते खाने से शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ता है। नीम में कुछ ऐसे रसायन मौजूद होते हैं जो इंसुलिन को सक्रिय करते हैं जिससे शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ जाता है और मधुमेह की समस्या उत्पन्न नहीं होती है। आपको बता दें कि मधुमेह किडनी खराब होने का सबसे बढ़ा कारण माना जाता है, इसलिए इसको हमेशा काबू में ही रखना चाहिए।
गठिया से छुटकारा दिलाए नीम
गठिया जोड़ो से जुडी हुई एक ऐसी समस्या है जिसमे रोगी को काफी दर्द का सामना करना पड़ता है और गठिया किडनी खराब होने की ओर भी साफ संकेत करता है। गठिया होने का अर्थ है कि आपकी किडनी या तो खराब हो चुकी है या फिर निकट भविष्य में खराब हो सकती है। ऐसे में नीम के सेवन से गठिया से छुटकारा पाया जा सकता है। नीम के प्रयोग से पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस (अस्थिसंधिशोथ) और रुमेटी गठिया से बड़ी आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए आप निम्न वर्णित विधि का प्रयोग कर सकते हैं :-
1 कप पानी लें और उसमे एक मुट्ठी नीम की पत्तियों और फूलों को उबाल अच्छे से लें। उबलने के बाद आप इस काढ़े को छानकर ठंडा होने दे। यह दिन में दो बार 1 महीने तक सेवन करने से गठिया के दर्द और सूजन को कम करता है। या फिर आप नीम तेल के साथ नियमित मालिश भी मांसपेशियों के दर्द और जोड़ों के दर्द से प्रभावी राहत देती है। नीम के तेल की मालिश पीठ के निचले हिस्से में दर्द को भी कम करने में फायदेमंद है।
क्या नीम से कोई नुकसान भी हो सकता है?
हाँ, नीम के प्रयोग से कई नुकसान भी हो सकते हैं। इसके आपको नीम का प्रयोग करने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए जो कि निम्नलिखित है :-
- यदि आप गर्भवती हैं या गर्भवती हो सकते हैं तो आपको हर रूप में नीम से दूर के सेवन से दूर रहना चाहिए। प्रतिरक्षा प्रणाली अत्यधिक नीम के संपर्क में अति सक्रिय हो जाती है। यह शरीर को शुक्राणु कोशिकाओं को अस्वीकार करने या गर्भवती भ्रूण को बाहर निकालने का कारण बन सकता है।
- नीम खाने से रक्त में शर्करा का स्तर कम होने लगता है। इसलिए यदि आप उपवास कर रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप नीम के मौखिक सेवन से बचें।
- जैसा की हम सभी को मालूम है कि नीम का प्रयोग दर्द निवारक के रूप में किया जाता है इसलिए नीम का सेवन सही मात्रा और सही तरीके से करें अन्यथा आपको थकान और सुस्ती भी हो सकतीहै।
- मधुमेह के मरीजों को ब्लड शुगर नियंत्रित करने के लिए नीम के तेल के सेवन की सलाह दी जाती है लेकिन अधिक मात्रा में इस तेल का सेवन करने से मरीज को शरीर में सुन्नता का भी अनुभव हो सकता है और वह कोमा में जा सकता है।
- यदि आप बालों के लिए नीम के तेल का उपयोग कर रहे हैं (जैसे रूसी के मामले में), तो यह बालों को धोते समय आंखों में जलन का कारण बन सकता है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना आयुर्वेदिक किडनी उपचार किया जाता है। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित को बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।