नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लिए हल्दी अच्छी है या नहीं?

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नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लिए हल्दी अच्छी है या नहीं?

हल्दी हमारी किचन में बहुत आसानी से मिल जाती है जिसे ‘भारतीय केसर’ या भारत का ‘सुनहरा मसाला’ भी कहा जाता है। एक शोध के मुताबिक यह बात सामने आई है कि हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन हमारी सेहत के लिए अत्यधिक लाभदायक है। हल्दी का सेवन करने से कई तरह के लाभ होते हैं चाहे वह एक खरोंच हो या कोई पुरानी से पुरानी बीमारी क्यों न हो, हल्दी उसे ठीक करने में मददगार है। मगर जब नेफ्रोटिक सिंड्रोम की बात आती है तो कई सवाल मान में होते हैं जैसे कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लिए हल्दी अच्छी है या नहीं?

आपके प्रश्न का जवाब है- हां! हल्दी अच्छी है। एक नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के रोगी को सामान्य से थोड़ी कम हल्दी का सेवन करना चाहिए लेकिन कुछ सीमाएं हैं जो कि एक नेफ्रोटिक सिंड्रोम के रोगी को विचार करने ज़रुरत होती है। हम पूरे ब्लॉग में ऐसी सीमाओं के बारे में चर्चा करेंगे लेकिन, पहले हम नेफ्रोटिक सिंड्रोम के बारे में जान लें कि आखिर यह क्या है, इसके कारण, लक्षण और उपचार कौन-से है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है?

नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जब आपका शरीर आपके रक्त और शरीर से बड़ी मात्रा में प्रोटीन खोना शुरू कर देता है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम आमतौर पर आपकी किडनी में छोटे रक्त वाहिकाओं के समूहों को नुकसान पहुंचने के कारण होता है, जो आपके रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त पानी को फ़िल्टर करते हैं। इसको आप एक उदाहरण के ज़रिए समझ सकते हैं जैसे कि-

जब आप चाय तैयार करते हैं, तो उसके बाद आप क्या करते हैं? इसे छलनी से छानते हैं लेकिन अगर छलनी फटी हुई है या कुछ समान उसमें उलझा हुआ है? तो क्या यह छाननी उपयोगी होगी? आप इसकी मरम्मत करवाएंगे या इसे नए से बदलवाएंगे?

इसी तरह, किडनी में ये छोटे-छोटे अलग-अलग फिल्टर होते हैं जो शरीर में मौजूद अपशिष्ट उत्पाद और विषाक्त पदार्थों को छानने में मदद करती है। यदि इनमें से एक किडनी भी क्षतिग्रस्त हो जाए तो शरीर में बदलाव आने लगते हैं जैसे कि मूत्र में अधिक प्रोटीन आने लग जाता है जिसे किडनी खराब होने का एक अहम लक्षण माना जाता है।

प्रोटीन इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

प्रोटीन मांसपेशियों के निर्माण में शरीर की मदद करता है  और रक्त से अतिरिक्त तरल पदार्थ के साथ-साथ संक्रमण से लड़ने में मददगार है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम का क्या कारण है?

किडनी का काम शरीर से अपशिष्ट उत्पाद और विषाक्त पदार्थों को पेशाब के ज़रिए बाहर निकालने का होता है। उन फिल्टर में से एक ग्लोमेरुली है जो स्वस्थ ग्लोमेरुली रक्त प्रोटीन (मुख्य रूप से एल्बुमिन) को बनाए रखता है। जिसे आपके शरीर में तरल पदार्थ की सही मात्रा बनी रहती है और मूत्र के रिसता नहीं है। यदि ग्लोमेरुली क्षतिग्रस्त हो जाता है तो यह आपके शरीर में से बहुत अधिक रक्त प्रोटीन को छोड़ने लगता है, जिसका नतीजा नेफ्रोटिक सिंड्रोम होता है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण निम्नलिखित हैं-

  • मधुमेह नेफ्रोपैथी
  • एसएलई या सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस
  • हेपेटाइटिस बी
  • मलेरिया
  • झिल्लीदार नेफ्रोपैथी
  • रक्त में रक्त का थक्का जमना

हालांकि नेफ्रोटिक सिंड्रोम किसी भी इंसान को हो सकता है या बीमारी किसी को चयन करके नहीं होती है।  यह जानलेवा बीमारी मानी जाती है और इसके कुछ उच्च जोखिम हैं, जैसे कि-

  • जो अधिक मात्रा में एनएसएआईडी (NSAIDs ) का सेवन करते हैं
  • जो लोग किडनी की बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं
  • 15 से कम उम्र के बच्चे

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण-

अब जानते हैं कि आपको कैसे पता चलेगा कि आपको नेफ्रोटिक सिंड्रोम हो रहा है? आपका शरीर आपको हमेशा एक संकेत है देता है, जिसे आप अक्सर अनदेखा कर रहे होंगे। नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन, मुख्य रूप से पैरों और हाथों में
  • भूख में कमी
  • कमजोरी
  • थकान
  • झागदार पेशाब

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लिए हल्दी कितनी अच्छी है?

हल्दी अदरक परिवार से संबंधित एक पौधा है। इसकी मूल भूमि भारतीय उपमहाद्वीप है। हल्दी का उपयोग आयु से आयुर्वेदिक दवा के रूप में किया जाता है और इसे हीलिंग एजेंट भी माना जाता है। यह घाव और बीमारियों को रोकने में सहायक है। एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी गुणों जैसे इसके लाभकारी घटकों के कारण कई बीमारियों के इलाज के लिए यह व्यापक रूप से उपयोगी है।

हल्दी के एक चम्मच (लगभग 7 ग्राम) में लगभग 24 कैलोरी और 4.4 ग्राम कार्ब्स होते हैं। इसमें यह भी शामिल है:

  • 0.5 मिलीग्राम मैंगनीज (दैनिक मूल्य का 26%)
  • 2.8 मिलीग्राम आयरन (दैनिक मूल्य का 16%)
  • विटामिन सी का 1.7 मिलीग्राम (दैनिक मूल्य का 3%)
  • 13 मिलीग्राम मैग्नीशियम (दैनिक मूल्य का 3%)

हल्दी के 6 फायदे निम्नलिखित हैं जो आपको यह बताएंगे कि हल्दी नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लिए क्यों अच्छी है:

  1. हल्दी सूजन को कम करती है- आमतौर पर सूजन के कारण किडनी की बीमारियां होती हैं और हल्दी सूजन को कम करने में मददगार है।
  2. हल्दी में मौजूद है एंटीऑक्सीडेंट- हल्दी को शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है जो विषाक्त पदार्थों को प्रभावी रूप से बेअसर करता है और बेहतर प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एक अच्छा विकल्प है।
  3. हल्दी एडिमा के इलाज में मदद करती है- हल्दी एडिमा के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद करती है, जो नेफ्रोटिक सिंड्रोम की चपेट में आने का तीसरा कारण है।
  4. हल्दी मधुमेह के खतरों को कम करने में मदद करती है- केवल एक एंटी-ऑक्सीडेंट होने के अलावा, आपके शरीर में इंसुलिन के प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए हल्दी को एक लाभकारी एजेंट माना जाता है।
  5. हल्दी याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाने में भी मदद करती है। हर समय उलझन में रहना और याददाश्त के कारण खो जाना भी विभिन्न किडनी की बीमारियों के सामान्य लक्षणों में से एक है, जिसमें नेफ्रोटिक सिंड्रोम भी शामिल है।
  6. किडनी के रोगों के कारण क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतकों को ठीक करने के लिए हल्दी उपयोगी है।

हल्दी में केमिकल करक्यूमिन होता है। हल्दी में करक्यूमिन और अन्य रसायन सूजन को कम कर सकते हैं। इस वजह से, हल्दी को सूजन कम करने वाली स्थितियों के इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है।

आप इसे करी में मसाले के रूप में सबसे अच्छा जान सकते हैं जो इसका विशिष्ट स्वाद और पीला रंग प्रदान करता है। इस मसाले में गुण तो बहुत होते हैं जो आपको संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं, कैंसर को रोकने में मदद करते हैं और पाचन समस्याओं में भी मददगार है। जबकि हल्दी पोटेशियम का एक स्रोत है  जो एक पोषक तत्व है, जिसे किडनी की बीमारी वाले लोगों को सीमित करने की आवश्यकता हो सकती है। यह मसाला किडनी के स्वास्थ्य के लिए नुकसान की तुलना में अधिक अच्छा करने में सहायक है। हल्दी और अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर चर्चा करने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें। हल्दी का उपयोग कॉस्मेटोलॉजी में लाभ, घावों और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतकों की ठीक करने में किया जाता है।

आप निम्न तरीकों से हल्दी का सेवन कर सकते हैं:

  • भुनी हुई सब्जियों में एक चुटकी पिसी हुई हल्दी मिलाएं। भुना हुआ आलू और फूलगोभी के साथ मसाला विशेष रूप से अच्छी तरह से चला जाता है।
  • अपने सलाद में थोड़ी हल्दी छिड़कें। इससे पोषण मूल्य बढ़ेगा।
  • सूप किसे पसंद नहीं है? उन्हें हल्दी से जोड़ें और आप एक स्वस्थ जीवन के लिए तैयार है।
  • हल्दी आपकी सुबह / शाम की स्मूदी के लिए एक शानदार अतिरिक्त हो सकती है।
  • आप हल्दी की चाय बना सकते हैं। आराम देने वाले पेय के लिए नारियल के दूध के साथ हल्दी डालें। आप स्वाद के लिए शहद भी मिला सकते हैं।

कर्मा आयुर्वेद उपचार केंद्र

वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया कर्मा आयुर्वेदा किडनी से जुड़ी हर समस्या का इलाज करता है जिसका आज के समय में संचालन धवन परिवार की पाचंवी पीढ़ी के डॉ. पुनीत धवन द्वारा किया जा रहा है। कर्मा आयुर्वेदा के ज़रिए डॉ. पुनीत धवन ने हर साल कई हजारों किडनी रोगियों का इलाज कर, उन्हें एक नया जीवनदान दिया है।

यह बात सब ने ही सुनी होगी कि आयुर्वेद के ज़रिए किसी भी बीमारी का इलाज संभव है, उसी प्रकार कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल की मदद से किसी भी प्रकार की किडनी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक औषधि का ही इस्तेमाल करता है और आयुर्वेद पर ही विश्वास करता है। अब तक, कर्मा आयुर्वेदा ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें किडनी के रोग से मुक्त किया है, वो भी किसी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना। यहां किडनी रोगियों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ एक उचित आहार के बारे में भी बताया जाता है। सबसे बेहतरीन बात यह की आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यदि आप या आपके किसी जानने वाले को डायलिसिस जैसे दर्दनाक उपचार से गुज़रना पड़ रहा है तो कर्मा आयुर्वेदा से उचित सलाह लेकर एक रोगमुक्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

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