नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा

अल्कोहोल और किडनी रोग

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नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम एक आम किडनी रोग है। जिसमें पेशाब में प्रोटीन का जाना, रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और शरीर में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं। साथ ही किडनी के इस रोग की वजह से किसी भी उम्र में शरीर में सूजन हो सकती है, लेकिन ये रोग बच्चों में देखा जाता हैं और उचित उपचार से रोग पर नियंत्रण होना और बाद मे दौबारा सूजन दिखाई देना, ये सिलसिला सालों तक चलते रहना ये नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की विशेषता हैं। लम्बे समय तक बार-बार सूजन होने से ये रोग मरीज और उसके पारिवारिक सदस्यों के लिए एक चिन्ताजनक रोग हैं। “नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा”

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण

इस रोग को प्राथमिक या इडियोपैथिक नेफ्रोटिक सिंड्रोम भी कहा जाता हैं। इस रोग को होने के कोई खास कारण सामने नहीं आए हैं, लेकिन डॉक्टर की माने तो श्वेतकणों में लिन्फोसाइट्स के कार्य की कमी के कारण ये रोग होता है। साथ ही आहार में परिवर्तन या दवाई को इस रोग के लिए जिम्मेदार मानना बिल्कुल गलत है। इस बीमारी के 90% मरीज बच्चे होते हैं। जिनमें नेफ्रोटिक रोग का कोई निश्चित कारण नहीं मिल पाता हैं और वयस्कों को नेफ्रोटिक सिंड्रोम के 10% से कम मलों में इसकी वजह अलग-अलग बीमारियां सामने आई हैं। जैसे- संक्रमण, किसी दवाई से हुआ नुकसान, कैंसर, वंशानुगत रोग, मधुमेह, एस. एल. ई. और एमाइलॉयडोसिस आदि में ये सिंड्रोम उपरोक्त बीमारियों के कारण हो सकता है। “नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा”

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लक्षण:

  • ये 2 से 6 साल के बच्चों में दिखाई देता हैं। अन्य उम्र के व्यक्तियों में इस रोग की संख्या बच्चों की तुलना में बहुत कम दिखाई देती हैं।
  • ज्यादातर इस रोग की शुरुआत बुखार औऱ खांसी के बाद होती हैं।
  • रोग की शुरुआत के खास लक्षणों में आँखों के नीचे एवं चेहरे पर सूजन दिखाई देती है। आँखों पर सूजन होने के कारण कई बार मरीज सबसे पहले आँख के डॉक्टर के पास जाँच के लिए जाते हैं। “नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा”
  • यह सूजन जब मरीज सोकर सुबह उठता है तब ज्यादा दिखती है, जो इस रोग की पहचान है। यह सूजन दिन के बढ़ने के साथ धीरे-धीरे कम होने लगती है और शाम तक बिलकुल कम हो जाती है।
  • रोग के बढ़ने पर पेट फूल जाता है, पेशाब कम होता है, पुरे शरीर में सूजन आने लगती है और वजन बड़ जाता है।
  • कई बार पेशाब में झाग आने और जिस जगह पर पेशाब किया हो, वहाँ सफेद दाग दिखाई देने की शिकायत होती है।
  • इस रोग में लाल पेशाब होना, साँस फूलना अथवा खून का दबाव बढ़ना जैसे कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। “नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा”

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम का निदान:

जिन मरीजों के शरीर में सूजन है उनके लिए पहला स्टेज होता है नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम का निदान करना। प्रयोगशाला परिक्षण से इसकी पुष्टि करनी चाहिए।

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम के आयुर्वेदिक उपचार:

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम रोग में उपचार का लक्ष्य है। मरीज को लक्षणों से राहत दिलवाना, पेशाब में जो प्रोटीन का नुकसान हो रहा हैं, उसमें सुधार लाना, जटिलताओं को रोकना और उनका इलाज करना और किडनी को बचाना हैं। इस रोग का उपचार आमतौर पर एक लंबी अवधि या कई वर्षों तक चलता है।

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