मानव शरीर में किडनी फिल्टर करने और अपशिष्ट उत्पादों को निकालने और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने की क्षमता में उल्लेखनीय कमी को किडनी फेल्योर कहते हैं। रक्त में क्रिएटिनिन और रक्त यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि का तात्पर्य किडनी की खराबी से होता हैं।
किडनी रोगों के लिए एकदम सही सबित होती हैं। किडनी रोग का काई संपूर्ण इलाज नहीं हैं और अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए को इसे अंतिम स्टेज की किडनी खराबी ई.एस.आर.डी में परिवर्तित होने में समय नहीं लगता हैं। जैसा की पिछले अध्याय में चर्चा की गई हैं कि लंबे समय चलने वाले किडनी के रोगियों में मरीज एकदम सामान्य हो और बीमारी के कोई लक्षण दिखाई ही न दें, तो ये बेहद खतरनाक हो सकता हैं। दुर्भाग्य से किडनी के कई गंभीर रोगों के लक्षण शुरूआती तौर पर ही इलाज शुरू कर देने पर इस बीमारी को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता हैं।
किडनी फेल्योर से होने वाले लक्षण:
- बार-बार पेशाब जाना
- पेशाब करते वक्त जलन या दर्द होना
- भूख कम लगना
- उच्च रक्तचाप
- पेशाब में प्रोटीन या रक्त का आना
- अनिंद्रा
- जी मिचलाना व उल्टी होना
किडनी फेल्योर के लिए रोकथाम
किडनी डिजीज का इलाज होने से बेहतर है कि इससे होने ही न दिया जाएं, इसलिए कुछ सुझावों को अपनाएं और किडनी संबंधी बीमारियों से बच सकते हैं जैसे-
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ में
- प्रोटीन कम लें
- नमक का सेवन कम करें
- धूम्रपान और शराब आदि से परहेज करें
- रोज़ व्यायाम करें और खुद को फिट रखें
किडनी रोग की जांच कब करवाएं
- मधुमेह होना
- रक्त का दबाव अनियंत्रित रहना
- परिवार में वंशानुगत किडनी रोग होना
- लंबे समय तक दर्द निवारक दवाईयां लेना
- तंबाकू का सेवन, मोटापा होना या 60 वर्ष से अधिक आयु का होना
- मूत्रमार्ग में जन्म से ही खराबी होना
उपरोक्त व्यक्तियों में अगर किडनी की बीमारियों के लिए उचित जांच की जाएं, तो ये किडनी के रोगों का निदान रोग के शुरूआत में ही हो सकता हैं और ये किडनी के रोगों का ज्यादा अच्छा इलाज करने में सहायक हो सकता हैं।
पटियाला में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
भारत और एशिया के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक कर्मा आयुर्वेदा हैं। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं जो हर साल हजारों किडनियों रोगियों का इलाज करके रोग को जड़ से खत्म करता हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आयुर्वेदिक दवाओं और उचित डाइट चार्ट की सलाह से किडनी रोगियों का जड़ से इलाज किया जाता है। साथ ही सभी डॉक्टर किडनी फेल्योर के लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। कर्मा आयुर्वेदा में डॉ. पुनीत धवन ने सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से किडनी मरीजों के रोग को जड़ से खत्म किया हैं।
आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग किए जाने वाली सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों मिल्क, थिस्टल, एस्ट्रगुलस, लाइसोरिस रूट, पुनर्नवा, गोकशुर, वरुण, कासनी, शिरीष शामिल हैं। हमारे शरीर में आयुर्वेदिक दवाओं से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।