पॉलिसिस्टिक किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक उपचार और दवा

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा एक आयुर्वेदिक किडनी फेल्योर उपचार केंद्रो के क्षेत्र में प्रसिद्ध नाम हैं। ये सभी प्रकार के किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। साथ ही किडनी को ठीक करने के लिए यहां मरीजों के लिए एक उचित डाइट चार्ट भी दिया जाता हैं और डायलिसिस को भी दूर कर देते हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल 1937 में स्थापित किया गया था। इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। वह 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं।

पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज

वंशानुगत किडनी रोगों में पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज सबसे ज्यादा पाया जानेवाला रोग हैं। इस रोग में मुख्य असर किडनी पर होता हैं। दोनों किडनियों में बड़ा संख्या में सिस्ट जैसी रचना बन जाती हैं। क्रोनिक किडनी फेल्योर के मुख्य कारणों में से एक कारण पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज भी होता हैं। किडनी के अलावा की मरीजों में ऐसी सिस्ट लीवर, तिल्ली, आंतों और दिमाग की नली में भी दिखाई देती हैं।

पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज का फैलाव:

पी.के.डी महिलाओं, पुरूष और अलग-अलग जाती और देशों के लोगों में एक जैसा होता हैं। अनुमानत: 1000 लोगों में से एक व्यक्ति में ये रोग दिखाई देता हैं। किडनी रोग के मरीज जिन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती हैं, उनमें से 5% रोगियों में पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज नाम की बीमारी पाई जाती हैं।

स्वस्थ आहार के लिए युक्तियां:

  • भोजन में उच्च फाइबर जोड़ा जाना चाहिए
  • आहार में कार्बोहाइड्रेड का सेवन कम से कम करें
  • ताजे फलों और सब्जियों को आहार में शामिल करना चाहिए
  • चीनी का सेवन कम करना चाहिए
  • बहुत पानी पिएं

नियमित व्यायाम के लिए सुझाव जो उपचार को बढ़ावा देगा

  • टहलने जाएं
  • तैराकी करें
  • नृत्य करें
  • सायक्लिंग
  • योग

पी.के.डी. का किडनी पर क्या असर होता हैं?

  • विविध आकार के असंख्य सिस्ट में से छोटे सिस्ट का आकार इतना छोटा होता हैं कि सिस्ट को नंगी आंखों से देखना संभव नहीं होता हैं और बड़े सिस्ट का आकार दस में से अधिक व्यास का भी हो सकता हैं।
  • इसमें दोनों किडनी में गुब्बारे या बुलबुले जैसे असंख्य सिस्ट पाए जाते हैं।
  • इन छोटे बड़े सिस्टों का आकार बढ़ने लगता हैं, जिससे किडनी का आकार भी बढ़ता जाता है।
  • इस प्रकार बढ़ते हुए सिस्ट के कारण किडनी के कार्य करने वाले भागों पर दबाव आता हैं, जिसकी वजह से उच्च रक्तचाप हो जाता हैं और किडनी की कार्यक्षमता को जाती है।
  • इस बीमारी में कई सालों के बाद क्रोनिक किडनी फेल्योर हो जाता हैं और मरीज गंभीर किडनी की खराबी की ओर अग्रसर हो जाता हैं। अंत में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हैं

पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज के मरीजों के परिवार से कौन-कौन से सदस्यों की जांच की जानी चाहिए?

पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज मरीज के भाई, बहन और बच्चों की जांच पी.के.डी. के लिए करनी चाहिए। इसके अलावा उसके माता-पिता के भाई-बहन जिनके ये बीमारी मरीज को विरासत में मिली हैं, उनकी भी जांच करवानी चाहिए।

पॉलिसिस्टिक किडनी रोग का आयुर्वेदिक उपचार

किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक इलाज काफी फायदेमंद साबित हुआ हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक की जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क थिस्टल, एस्ट्रगुलस, लाइसोरिस रूट, पुनर्नवा, गोकशुर आदि शामिल हैं।

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