फतेहपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज

अल्कोहोल और किडनी रोग

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हमारे शरीर में दो किडनियां होती है, दोनों किडनियों का एक ही काम होता है। हमारे शरीर से अपशिष्ट को शुद्ध करना और उन्हें पेशाब के रूप में शरीर से बाहर निकलना जिससे हमारे शरीर में संतुलन बना रहे। दोनों किडनियों का एक ही काम होता है। किडनी शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनने में सहायता प्रदान करने के साथ-साथ रक्तचाप को भी संतुलित बनाए रखती है।

किडनी की खराबी, किसी गंभीर बीमारी या मौत का कारण भी बन सकता है। किडनी हमारे शरीर में जरुरी कार्य करती है, यह शरीर से  हानिकारक अपशिष्ट उत्पादों और विषैले कचरे को शरीर से बाहर  निकालने  और  शरीर में पानी, तरल पदार्थ और खनिजों (इलेक्ट्रोलाइट्स के रूप में सोडियम, पोटेशियम आदि) नियमन करना है, लेकिन जब किडनी अस्वस्थ हो तब किडनी अपना कार्य सामान्य रूप से नहीं कर पाती। परिणाम स्वरुप किडनी ख़राब हो जाती है।

आमतौर पर एक समय में एक ही किडनी खराब होती है। जिसके चलते कई बार पीड़ित को इसके बारे में ठीक समय पर पता नहीं चलता, लेकिन ठीक समय पर इलाज न मिलने पर दोनों किडनी खराब हो जाती है।

किडनी ख़राब होने के लक्षण :-

हमारी किडनी धीरे-धीरे और एक लंबे समय के बाद ख़राब होती है। इस बारे में जब तक पता चलता उस समय तक काफी देर हो चुकी होती है। जब हमें अपनी खरब किडनी की खबर मिलती है उस समय हमारी किडनी 60-65% तक ख़राब हो चुकी होती है। किडनी ख़राब होने की स्थिति में हमें इसके कई लक्षण दिखाई देते है। जिसकी पहचान कर हम इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति पा सकते है। लेकिन जागरूकता कम होने के कारण हमें इस बारे में पता ही नहीं चल पता। किडनी ख़राब होने के समय हमारे शरीर में निम्न लिखित बदलाव या लक्षण दिखाई देते है -

  • बार-बार पेशाब आना
  • पेशाब करते वक्त जलन या दर्द होना
  • भूख कम लगना
  • उच्च रक्तचाप
  • पेशाब में प्रोटीन या रक्त आना
  • अनिद्रा
  • जी मिचलाना

 किडनी फेल्योर से रोकथाम :-

मरीज का ब्लड शुगर ज्यादा है, तो उसको नियंत्रित करें, ग्लाईकोसाइलेटेड हीमोग्लोबिन (एचबीए1सी) को 6 से 7 प्रतिशत तक रखें। यह टेस्ट पिछले तीन महीने की ब्लड शुगर की स्थिति को बताता है) , ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें। नमक और फैट किडनी की समस्या के बड़े कारण हैं। भोजन में ऊपर से नमक न डालें। इसके बजाय नींबू या कोई हर्ब डालें।

सोडायुक्त पेय व फास्टफूड से दूरी बनाएं।  नियमित रूप से व्यायाम करें और वज़न पर नियंत्रण रखना किडनी की सेहत के लिए अच्छा होता है।  35 साल की उम्र के बाद समय-समय पर ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच कराएं। ब्लड प्रेशर या मधुमेह के लक्षण मिलने पर हर छह महीने में पेशाब और खून की जांच करानी चाहिए।

ऐसी स्थितियां बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण होती हैं जैसे कम मात्रा में पानी पीना, नमक व शक्कर की अधिकता वाला भोजन करना (फास्ट या प्रोसेस्ड फूड), दर्दनाशक दवाओं का अधिक सेवन करना, मांस का अधिक सेवन करना, धूम्रपान या अल्कोहल लेना, अधिक सोडायुक्त ड्रिंक्स पीना, नींद में कमी और व्यायाम कम व आराम ज्यादा करना।  आजकल लोगों में क्रॉनिक किडनी डिजीज यानी गुर्दे खराब होने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अगर वक्त रहते हमें किडनी की परेशानी का मालूम हो जाए तो इसका इलाज कराके ठीक कराया जा सकता है।

आयुर्वेदिक किडनी उपचार :-

आयुर्वेद की सहयता से हम इस जानलेवा बीमारी से हमेशा के लिए मुक्ति पा सकते है। वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के। आयुर्वेद में इतनी ताकत है की वह इस जानलेवा बीमारी तक को ठीक कर सकता है। आज "कर्मा आयुर्वेदा" भी आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी को ठीक कर रहा है।

कर्मा आयुर्वेदा के पास ऐसे कई उदाहरण है जिससे यह साबित होता है की 'आयुर्वेद' की मदद से किडनी फेल्योर का इलाज संभव है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। धवन परिवार बीते कई वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहा है। वर्तमान समय में कर्मा आयुर्वेदा की बागदौड  डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है।

डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35  हज़ार से भी ज्यादा लोगो को किडनी फेल्योर की बीमारी से मुक्त किया है। फतेहपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं।आपको बता दें कि आयुर्वेद में किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी ठीक करने को लेकर चमत्कार के रूप में साबित हुआ हैं।

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