भागती जिंदगी और काम के बोझ के तले आज कल हमअपने स्वास्थ्य का ठीक रूप से ध्यान नहीं रख पा रहे हैं।अपने स्वास्थ्य का ठीक से ख्याल न रखने की वजह से वर्तमान में कई ऐसी बीमारियाँ आम होती जा रही है जो पहले के समय में आम थी और इन बीमारियों में “मधुमेह” सबसे आम बीमारी के रूप में सामने आई है।अन्य बीमारियों की तुलना में मधुमेह बहुत गंभीर बीमारी है, क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जो कि मरते दम तक रोगी के साथ रहती है। मधुमेह की बीमारी होने पर इसका असर शरीर के बाकि अंगों पर भी पड़ता है। हालांकि,इस रोग का असर एक दम से बाकि अंगों पर दिखाई नहीं पड़ता, इसमें सालों का समय लग सकता है। हाँ, अगर रक्त में शर्करा (SUGAR) की मात्रा अपने अधिकतम स्तर पर पहुंच जाएं तो कुछ ही सालों में इससे दूसरे अंग भी प्रभावित होने शुरू हो जाते हैं, जिसमे आँखों से जुड़ी समस्याओं से लेकर किडनी खराब होने तक का भी खतरा बना रहता है।
मधुमेह है क्या?
जब शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन (एक प्रकार का हार्मोन) पहुंचना कम हो जाता है, तो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है, ऐसी स्थिति को मधुमेह कहा जाता है। इंसुलिन का काम शरीर में भोजन को एनर्जी में बदलना होता है और इसी हार्मोन की वजह से रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।वहीं,जब किसी को मधुमेह हो जाता है, तो भोजन को एनर्जी में बदलने में दिक्कत होती है, जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है और मधुमेह की वजह से शरीर में कई अन्य बीमारियां उत्पन्न होने लग जाती हैं|
क्या मधुमेह कई प्रकार का हो सकता है?
आम लोगों की धारणा में मधुमेह सिर्फ एक प्रकार का ही होता है जो कि ‘वंशानुगत’ हैं। वंशानुगत मधुमेह में अगर माता, पिता या किसी पूर्वज को मधुमेह की बीमारी रही है तो उनके बच्चों को भी मधुमेह होने का खतरा रहता है।आपको जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद में 20 तरह के प्रमेहों का वर्णन है, जिनका अगर समय पर उपचार ना किया जाए तो यह सभी प्रमेह मधुमेह में बदल जाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि मूलतः मधुमेह तीन प्रकार का होता है, जिसे हम टाइप 1, टाइप 2 और गर्भावधि मधुमेह के नाम से जानते हैं|
टाइप 1 मधुमेह –यानि इंसुलिन डीपेन्डेन्ट डायाबिटीज (IDDM-Insulin Dependent Diabetes Mellitus)
साधारणत, कम उम्र में होने वाले इस प्रकार के मधुमेह के उपचार में इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। टाइप 1 मधुमेह रोग से जूझ रहे रोगियों में 30 से 35 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब होने का खतरा रहता है। एलोपैथी में इस मधुमेह रोग में मरीज को इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं, ताकि शरीर में इंसुलिन की मात्रा सही तरीके से बनी रहे। मधुमेह रोग बच्चों और युवाओं में होने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। इस मधुमेह रोग को ही “वंशानुगत मधुमेह” कहा जाता है।
टाइप 2 मधुमेह –यानि की नॉन- इंसुलिन डीपेन्डेन्ट डायाबिटीज (NIDDM – Non-Insulin Dependent Diabetes Mellitus)
इस मधुमेह केअधिकतर मरीज पाए जाते हैं।वयस्क (Adult) मरीजों में इसी प्रकार के मधुमेह के होने की संभावनाएँ ज्यादा होती है, जिसे मुख्यतःऔषधि और आहार की मदद से नियंत्रण में लाया जा सकता है।इसी प्रकार के मधुमेह के मरीजों में, 10 से 40 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब होने की संभावना रहती है। इसमें शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता।
गर्भावधि मधुमेह (gestational diabetes) –गर्भावधि मधुमेह रोग गर्भवती महिला और उनके होने वाले बच्चे को हो सकता है।जब गर्भवती महिला के रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, तब उसे गर्भावधि मधुमेह रोग कहा जाता है। उस दौरान गर्भवती महिला को टाइप 2 मधुमेह रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है।इसमें बच्चे की उपेक्षा माँ को मधुमेह होने की ज्यादा संभावना होती है। समय पर उचित उपचार देकर इससे बड़ी आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
बीमारियों का घर है मधुमेह
यदि किसी व्यक्ति को मधुमेह हो जाएं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि वह व्यक्ति मधुमेह के साथ-साथ और भी अन्य कई बीमारीयों से लड़ रहा है। मधुमेह के कारण किडनी में, आंखों में और पैर की नसों में भी खराबी आ सकती है। इसके कारण उच्च रक्तचाप और दिल से जुड़ी बीमारी होने की संभावना अधिक बनी रहती है।मधुमेह होने पर रोगी के रक्त संचार में कठिनाई आने लगती है जिसके कारण लकवा लगने का भी खतरा बना रहता है। मधुमेह के कारण सबसे खतरनाक होने वाली बीमारी है “किडनी का खराब होना”। मधुमेह के कारण होने वाली किडनी की बीमारी को “डायाबिटिक किडनी डिजीज” कहा जाता है, वैज्ञानिक भाषा में इसे “डायाबिटिक नेफ्रोपौथी” कहा जाता है।
मधुमेह के कारण अगर रक्त धमनी बाधित हो जाए तो रोगी को दिल के दौरे का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, मधुमेह रोगी को ब्रेनस्ट्रोक की समस्या होने की संभावना भी बनी रहती है। यह स्थिति अचानक से नहीं आती है, जब कोई व्यक्ति कम से कम बीते 10 साल से मधुमेह से जूझ रहा होता है तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा माइक्रो वैस्कुलर संबंधित समस्याएं भी होने लगती है, जिसकी वजह से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है।अगर इस समस्या का जल्द समाधान ना किया जाए तो किडनी खराब हो सकती है जिसका एलोपैथी द्वारा उपचार बहुत जटिल होता है, रोगी को डायलिसिस जैसे उपचार से गुजरना पड़ता है। लेकिन अगर रोगी आयुर्वेदिक उपचार का रूख करता है तो वह बड़ी आसानी से इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा पा सकता है।
मधुमेह से किडनी खराब होने के कारण क्या हैं?
किडनी हमारे शरीर का एक अभिन्न अंग है, यह हमारे शरीर में रसायनों का संतुलन बनाने का विशेष कार्य करती है। मूलतःकिडनी रक्त शोधन का कार्य करती है,एकस्वस्थकिडनीमेंप्रत्येकमिनटमें 1200 मिलीलीटररक्त प्रवाहितहोकरशुद्धहोताहै।लेकिन किडनी खराब होने के दौरान किडनी अपना यह अहम कार्य नहीं कर पाती जिससे व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वैसे तो किडनी खराब होने के कई कारण होते हैं, लेकिन अन्य कारणों की तुलना में ‘मधुमेह’ किडनीखराबहोनेका सबसेबड़ाकारणहै।मधुमेह की समस्या से जूझने वाले लोगों के रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक होने के कारण किडनी को उसे शुद्ध करने में ज्यादा कार्य करना पड़ता है। शर्करा युक्त रक्त को शुद्ध करने के दौरान किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगते हैं, जिसके चलते किडनी भी खराब हो जाती है। अगर रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रण में न रखा जाए तो रोगी को किडनी खराब होने के साथ-साथ अन्य समस्याओं जैसे कि उच्च रक्तचाप की समस्या से भी जूझना पड़ता है। एलोपैथी में मधुमेह के कारण किडनी की विफलता से जूझने वाले रोगियों को डायलिसिस जैसे जटिल उपचार से भी जूझना पड़ता है।
ध्यान दें, “कर्मा आयुर्वेदा” डायलिसिस के बिना किडनी फेल्योर का उपचार आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से करता है।
मधुमेह के कारण किडनी खराब होने के पीछे अन्य कारण निम्नलिखित है
- मधुमेह कम उम्र में हुआ हो या लम्बे समय सेइस रोग से जूझ रहें हो
- उपचार करने में इंसुलिन की अधिक आवश्यकता
- रक्त में लगातार शर्करा की अधिक मात्रा होना
- बार-बार शर्करा का संतुलन बिगड़ना
- पेशाब में प्रोटीन और बढ़ा हुआ सीरम लिपिड डायाबिटिक आना
- मोटा पे के साथ मधुमेह
- मधुमेह में धूम्रपान और शराब का सेवन
- परिवार में पहले किसी की मधुमेह के कारण किडनी खराब हुई हो
मधुमेह से किडनी खराब होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
बढ़ते मधुमेह का उचित उपचार न होने के कारण किडनी का खराब होना लाज़मी हैं। शुरूआती समय में इस के लक्षण दिखाई नहीं देते,लेकिन जाँच द्वारा इस की पहचान हो सकती है।यदि पेशाब की जाँच में पेशाब में आल्ब्यूमिन (प्रोटीन) पाया जाएं तो यह मधुमेह से किडनी खराब होने कीपहली निशानी है। इस बीमारी के दौरान निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं –
- उच्च रक्तचाप की समस्या
- हाथ-पैर और चेहरे पर सूजन आना
- रक्त से जुड़ी समस्या होना जैसे – रक्त गाढ़ा होना, रक्त में थक्का जमना, रक्त के रंग में परिवर्तन आदि
- अचानक या लगातार रक्त शर्करा का स्तर गिरना। इस स्थिति में रोगी को लगता है कि मधुमेह काबू में आ रहा है, जिसके कारण वह औषधियों को त्याग देता, लेकिन यह किडनी खराब होने का एक साफ संकेत है।
- मधुमेह में आँखों से जुड़ी किसी समस्या का होना
- रक्त शर्करा स्तर का लगातार बढ़ना
- सामान्य से गाढ़ा पेशाब आना
मधुमेह होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
मधुमेह होने के समय पर शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं, जिनकी पहचान करने के बाद आप इस गंभीर समस्या को आगे बढ़ने से रोक सकते हैं। मधुमेह होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं –
- बार-बार पेशाब आना,
- लगातार शरीर में दर्द की शिकायत होना,
- बार-बार त्वचा और गुप्तांग में संक्रमण होना,
- चोट लगने पर घाव का जल्दी न भरना,
- लगातार पानी पीने पर भी गला सूखना या बार-बार प्यास लगना,
- आंखों की रोशनी कमजोर होना,
- वजन में अचानक बदलाव होना,
- लगातार थकान या कमजोरी महसूस होना,
- जरूरत से ज्यादा भूख लगना,
- व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना।
मधुमेह रोगी को क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
मधुमेह जैसी गंभीर समस्या को उचित उपचार से हराया जा सकता है। मधुमेह का उचित उपचार कर आप अपनी किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं। आप मधुमेह का उपचार करने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का सहारा लें सकते हैं या फिर आप अपनी दिनचर्या में बदलाव कर इस समस्या से निदान पा सकते हैं। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए मधुमेह रोगियों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- रक्त शर्करा की मात्रा को काबू में रखें,
- रक्तचाप को बढ़ने ना दें,
- मधुमेह की पहचान होते ही आयुर्वेदिक उपचार लें,
- रक्त शर्करा में अचानक आई गिरावट नुकसानदेह होती है, ऐसा होने पर किडनी की जांच करवाए
- रोजाना व्यायाम करें, एक दिन में दो से तीन किलोमीटर की सैर जरूर करें। आप सुबह-शाम दोनों समय सैर कर सकते हैं, इससे आपकी किडनी स्वस्थ बनी रहेगी,
- कम कैलोरी वाला भोजन खाएं,भोजन में मीठे का सेवन ना करें।सब्जियां, ताजे फल, साबुतअनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने भोजन में शामिल कीजिये। इसके साथ आप अपने आहार में फाइबर को भी शामिल करें.
- नमक और चीनी की मात्रा कम लें। डिब्बा बंद जूस का सेवन बिलकुल ना करें, मिठाइयों और तले हुए भोजन से दुरी बनाएं.
- धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें,
- कार्य की ज्यादा टेंशन ना रखे, रात को पर्याप्त नींद लें।कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं होती। तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या शांत संगीत सुनें,
- कार्य का अधिक भार ना लें, तनाव होने के कारण अनिद्रा की समस्या हो सकती है जो कि किडनी के लिए नुकसानदायक है।
मधुमेह रोगी को आहार में क्या लेना चाहिए?
मधुमेह रोगी को अपने आहार का खास ख्याल रखना चाहिए। इस दौरान रोगी को उचित आहार लेने की सलाह दी जाती है, जिससे ना केवल उनका मधुमेह काबू में रहेगा बल्कि किडनी भी स्वस्थ बनी रहेगी। मधुमेह रोगी आयुर्वेदिक औषधियों के साथ-साथ अपने आहार में निम्नलखित चीजों को अपना सकते हैं –
- गेहूं और जौ की लगभग बराबर मात्रा लें साथ मेंउनके अकेले की मात्रा से आधे चने को मिला एक साथ पिसवालें और इसी आटे से बनी रोटियों का सेवन करें।उदाहरण के लिए दो किलो गेहूं ले तो एक किलो जौ लें और आधा किलों चना लें।
- मधुमेह के रोगियों को अपने भोजन में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलजम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, पत्तागोभी और दूसरी अन्य पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
- मधुमेह रोगी मांसाहार का सेवन कम मात्रा में करें,हो सके तो इसे एक दम त्याग दें।
- शर्करा को नियंत्रण में रखने के लिए रोगी को जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चाअमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती जैसे फलों का सेवन करना चाहिए।
- आम, केला, सेब, चीकू, खजूर और अंगूर जैसे फलों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए इन फलों में मीठे की अधिक मात्रा होती है।
कुछ मसालों की मदद से भी शुगर को नियंत्रण में रख सकते हैं, जैसे
- करी पत्ता – करी पत्तेके नियमित सेवन से आपके शरीर में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। इन्सुलिन रक्त शर्करा को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। साथ ही,करी पत्ता वजन और कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रण में रखता है।
- अदरक – अदरक के सेवन से आपका रोजाना बढ़ने वाला शुगर कम होता है।आप इसे सीधा या भोजन में डालकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
- लहसुन – नियमित रूप से लहसुन का सेवन करने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है। जब लहसुन को पीसा या कुचला जाता है, तो इसमें से एलिसिन नाम का एंटीऑक्सीडेंट निकलता है। यह तत्व एंटीडायबिटिक होता है, जो मधुमेह को प्रभावी ढंग से रोकने में मदद करता है।
उपरोक्त बताए गये तमाम घरेलु उपायों के आदि ना बने, बदल-बदल कर इनका प्रयोग करें और चिकित्सक की सलाह भी जरूर लें।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा में प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का उपचार किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत संभाल रहे हैं, जिन्होंने अपने आयुर्वेदिक उपचार से 1 लाख 20 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं।