मध्यवर्ती नेफ्रैटिस को कैसे समझे?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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मध्यवर्ती नेफ्रैटिस को कैसे समझे?

हमारे शरीर में रक्त का बहुत बड़ा महत्व है, जिसे किडनी द्वारा साफ़ किया जाता है और दिल की मदद से पूरे शरीर में प्रसारित किया जाता है। अगर आप एक स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, तो आपके पास साफ, स्वस्थ और पूर्ण रक्त होना काफी आनिवार्य है। किडनी हमारे शरीर में निरंतर प्रवाहित होने वाले रक्त को साफ कर उसमे मौजूद सभी अपशिष्ट उत्पादों को अलग कर देती है। हमारे रक्त में पोटेशियम, सोडियम, यूरिक एसिड, यूरिया और अतिरिक शर्करा जैसे कई गैर जरूरी तत्व या उत्पाद होते हैं, जिन्हें किडनी रक्त साफ करने के दौरान पेशाब के जरिये शरीर से बहार निकाल देती है।

इसी से आप समझ सकते हैं कि किडनी हमारे शरीर का कितना जरूरी अंग है। लेकिन हमारे शरीर का यह सबसे जरूरी अंग बहुत से कारणों के चलते कई रोगों से घिर भी जाता है, जिसके चलते किडनी अपने कार्यों को करने में असमर्थ हो जाती है। किडनी से जुड़े सभी रोग जानलेवा होते हैं, क्योंकि किडनी से जुड़े किसी भी रोग की पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है (किडनी में हुई पथरी को छोड़ कर)। आज के इस लेख हम किडनी से जुड़े एक ऐसे ही रोग के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसे “मध्यवर्ती नेफ्रैटिस (Interstitial Nephritis)” के अलावा बीचवाला नेफ्रैटिस और अंतरालीय नेफ्रैटिस के नाम से जाना जाता है।

मध्यवर्ती नेफ्रैटिस क्या है?

मध्यवर्ती नेफ्रैटिस किडनी से जुड़ी एक बीमारी या स्थिति है, जिसमे किसी पुराने संक्रमण (किडनी संक्रमण, लीवर संक्रमण, मूत्र संक्रमण और रक्त संक्रमण) के कारण किडनी की नलिकाओं और नेफ्रोन से जुड़ने वाली नालियों के बीच सूजन आ जाती है। किडनी का मुख्य कार्य रक्त साफ करने होता है और उसमे मौजूद सभी अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकलना होता है। किडनी के इस कार्य में किडनी की सभी नलिकाएं विशेष भूमिका अदा करती है, लेकिन नलिकाओं मे सूजन आने के चलते किडनी का कार्य बाधित हो जाता है और व्यक्ति को कई शारीरिक समस्याएँ होने लगती है।

नलिकाओं में सूजन आने के कारण किडनी और किडनी से जुड़ी नलिकाओं के ऊतक क्षतिग्रत होने लग जाते हैं। अगर सूजन तेजी से बढ़ती है, तो ऊतक तेजी से नष्ट होने लगते हैं जो कि काफी गंभीर स्थिति होती है। किडनी से जुड़ी यह बीमारी एक्यूट और क्रोनिक, दोनों हो सकती है और यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है, जिसमे नवजात शिशु से लेकर एक वृद्ध व्यक्ति शामिल है। लेकिन, विशेषकर इस बीमारी की चपेट में 55 से अधिक उम्र के लोग आते हैं।

मध्यवर्ती नेफ्रैटिस होने के पीछे क्या कारण होते हैं?

एक्यूट मध्यवर्ती नेफ्रैटिस अक्सर एक एलर्जी प्रतिक्रिया का परिणाम होता है। एक्यूट मध्यवर्ती नेफ्रैटिस के होने के पीछे किडनी या किडनी से जुड़े किसी अंग में हुआ संक्रमण होता है। मूलतः इसके होने के पीछे खराब और अधिक मात्रा में ली गई दवाएं होता है, इन दवाओं में 100 से अधिक एलोपैथीक दवाएं शामिल हैं, जैसे -

  • एंटीबायोटिक दवाये
  • स्टेरॉयडमुक्त प्रज्वलनरोधी दवाएं (non-steroidal anti-inflammatory drug (NSAIDs))। इन दवाओं को अक्सर दर्द निवारक के रूप में उपयोग किया जाता है
  • प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स, यह दवा अतिरिक्त पेट के एसिड के इलाज के लिए उपयोग की जाती है।
  • एंटी-ट्रांसलेशन पोस्ट-ट्रांसलेशन दवाएं (Anti-translation post-translation drugs)
  • एंटीवायरल ड्रग्स (Antiviral Drugs) :- चिकनपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एसाइक्लोविर दवाएं आपकी किडनी की सूजन और शरीर में सूजन का कारण बन सकती है।

वयस्कों और वृद्धों में दवा के सेवन से मध्यवर्ती नेफ्रैटिस होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि इस उम्र में इस उम्र वर्ग के लोगो की किडनी की कार्यक्षमता अपने आप कम होने लगती है और किडनी खराब होने आशंका भी बढ़ने लगती है।

बिना किसी संक्रमण (नॉनएलर्जिक) के मध्यवर्ती नेफ्रैटिस होने के पीछे निम्नलिखित कारण शामिल है

  • ऑटोइम्यून विकार, जैसे - ल्यूपस एरिथेमेटोसस
  • रक्त में पोटेशियम का निम्न स्तर
  • रक्त में कैल्शियम का स्तर उच्च होना
  • मूत्र पथ में कोई बाधा
  • ऊतक से संबंधित कोई रोग
  • कुछ संक्रमण

नॉनएलर्जिक इंटरस्टीशियल नेफ्रैटिस क्रोनिक या एक्यूट हो सकता है। क्रोनिक मध्यवर्ती नेफ्रैटिस कई महीनों या उससे अधिक समय तक रह सकता है। क्रोनिक मध्यवर्ती नेफ्रैटिस आमतौर पर पुरानी अंतर्निहित स्थितियों के कारण होता है।

मध्यवर्ती नेफ्रैटिस होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं?

मध्यवर्ती नेफ्रैटिस की पहचान कर पाना अन्य किडनी रोगों के भांति काफी मुश्किल होता है। क्योंकि अन्य किडनी रोगों की तरह इस रोग के दौरान भी दिखाई देने वाले लक्षण बहुत ही आम होते हैं। हाँ, कुछ लोगो में इस रोग के दौरान पेशाब की मात्रा बढ़ सकती है या कम हो सकती है, जिससे इसकी पहचान कर पाना आसान हो जाता है। मध्यवर्ती नेफ्रैटिस होने पर दिखाई देने वाले लक्षण उस समय दिखाई देते हैं, जब यह बीमारी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी होती है। इसके होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-

  • तेज बुखार होना
  • मूत्र में रक्त आना
  • थकावट होना
  • मस्तिष्क में उलझन
  • थकान होना
  • जी मिचलाना
  • बार-बार उल्टी आना
  • जल्दबाजी लगना या घुटन होना
  • पानी प्रतिधारण
  • सूजन होना
  • पानी प्रतिधारण से वजन बढ़ना
  • पेट और शरीर का फूलना
  • उच्च रक्तचाप
  • मधुमेह की समस्या बढ़ना (अगर पहले से इस समस्या से जूझ रहे हैं)

मध्यवर्ती नेफ्रैटिस से बचने के क्या उपाय है?

किडनी से जुड़ी मध्यवर्ती नेफ्रैटिस जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आने से बचने के लिए आपको सबसे पहले इस बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए कि इसके होने के पीछे मूल कारण क्या है? मध्यवर्ती नेफ्रैटिस होने का मूल कारण दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन होता है। कुछ लोग और (खासकर महिलाऐं) हर छोटी से समस्या से जल्द निदान पाने के लिए दर्द निवारक दवाओं का सेवन अधिक करते हैं। बार-बार दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने से किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त होने लग जाते हैं, जिससे मध्यवर्ती नेफ्रैटिस होने के साथ-साथ और भी किडनी से जुड़ी कई बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए दवाओं के अधिक सेवन से बचना चाहिए।

इसके अलावा व्यक्ति को अपने रक्तचाप को काबू में रखना चाहिए, क्योंकि उच्च रक्तचाप किडनी से जुड़ी हर बीमारी का सबसे बढ़ा कारण होता है। इसके लिए तनाव मुक्त रहने की कोशिश करनी चाहिए और नमक के सेवन को जितना हो सके कम करना चाहिए। नमक का अधिक सेवन करने से रक्तचाप बढ़ने लगता है, आप सादे नमक के स्थान पर सेंधा नामक का सेवन कर सकते हैं। वहीं तनाव मुक्त रहने के लिए योगाभ्यास सबसे उत्तम उपाय है।

मध्यवर्ती नेफ्रैटिस से बचने के लिए पेशाब से जुड़ी किसी भी समस्या को नज़रन्दाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि पेशाब से जुड़ी समस्या का जल्द से जल्द उपचार ना किया जाए तो मूत्र पथ संक्रमण और किडनी संक्रमण होने की आशंका तेजी से बढ़ने लगती है, जिसकी वजह से भविष्य में मध्यवर्ती नेफ्रैटिस हो सकता है।

अगर आप किडनी से जुड़ी किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो आपको आयुर्वेदिक उपचार लेना चाहिए। क्योंकि आयुर्वेद हर रोग को जड़ से खत्म करने की ताकत रखता है, वहीं एलोपैथी केवल बीमारी के लक्षणों पर ही काम करता है। किडनी से जुडी किसी समस्या से निदान के लिए कर्मा आयुर्वेदा से संपर्क करे।

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