प्रोटीनुरिया किडनी से जुड़ी सबसे गंभीर समस्या है जोकि शरीर में प्रोटीन की कमी के कारण होती है. प्रोटीनुरिया की समस्या होने किडनी खराब होने का एक लक्षण है। प्रोटीन हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत जरुरी होता है। प्रोटीन हमारे रक्त में पाया जाता है, रक्त में पाए जाने वाले प्रोटीन को एल्बुमिन कहा जाता है। रक्त में मौजूद प्रोटीन हड्डियो को मजबूत करने के साथ हड्डियों के विकास में ही मदद करता है, इसके अलावा प्रोटीन मांसपेशियों को बनने में मदद करता है। स्वस्थ किडनी शरीर में प्रोटीन को प्रवाह करने में मदद करती है और अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से निकाल कर पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। लेकिन जब किडनी में आई किसी समस्या के चलते या प्रोटीन की अधिकता के कारण किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके कारण प्रोटीन शरीर से बाहर जाने लगता है. एक स्वस्थ किडनी जहां प्रोटीन को शरीर के विकास में प्रयोग करती है वहीं खराब किडनी इसे शरीर से बाहर निकाल देती है. पेशाब में प्रोटीन आना नेफ्रोटिक सिंड्रोम होने की तरफ संकेत करता है।
प्रोटीनुरिया की समस्या होने के पीछे क्या कारण है?
- जब किसी समस्या के कारण किडनी के फिल्टर्स खराब हो जाते या किसी अन्य समस्या के चलते किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती हाँ तो उस दौरान किडनी प्रोटीन को रक्त के साथ शरीर में प्रवाहित करने में असमर्थ हो जाती है। इस कारण प्रोटीन पेशाब के द्वारा शरीर से बहार आने लगता है जिसे प्रोटीन लोस और प्रोटीनुरिया भी कहा जाता है।
- जब शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा हो जाती है यो उस दौरान प्रोटीन पेशाब के साथ शरीर से बाहर आने लगता है। प्रोटीनुरिया की समस्या होने का यह कारण पहले कारण से थोडा कम गंभीर होता है। क्योंकि इसमें किडनी को को क्षति नहीं होती, अगर इस समस्या का जल्द उपचार न किया जाए तो किडनी जल्द खराब हो सकती है।
- यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से मधुमेह की बीमारी से जूझ रहा है तो उसे प्रोटीनुरिया की समस्या होने का खतरा रहता है। रक्त में शर्करा की मात्रा होने से किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगते है। फिल्टर्स खराब होने के कारण किडनी प्रोटीन को रक्त में प्रवाह ही कर पाती, जिससे प्रोटीनुरिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- लगातार उच्च रक्तचाप होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे किडनी को कार्य कार्य करने में समस्या होती है साथ ही उसके फिल्टर्स पर भी असर पड़ता हैं। किडनी पर दबाव होने के चलते वह प्रोटीन की संतुलित मात्रा को रक्त में नहीं पहुंचा पाती। ऐसे में किडनी शरीर में प्रोटीन का सन्तुलन नहीं बना पाती जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती है और प्रोटीनुरिया जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- जिन लोगो के परिवार में पहले से किडनी से जुडी कोई समस्या पहले से रही हो उनको भी प्रोटीनुरिया की समस्या होने का खतरा रहता है। इसमें पोलिसिस्टक किडनी रोगी को यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है।
प्रोटीनुरिया में आयुर्वेद कितना लाभकारी है?
अगर आप या आपका कोई अपना प्रोटीनुरिया की समस्या से समस्या से जूझ रहा है तो आपको आयुर्वेदिक उपचार ही लेना चाहिए. क्योंकि प्रोटीनुरिया के दौरान एलोपैथी दवाओं के सेवन से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ जाती है, लेकिन पेशाब में प्रोटीन आने की आयुर्वेदिक दवा शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालती. यूरिन में प्रोटीन आना आयुर्वेदिक इलाज का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन आप चिकित्सक की सलाह के बिना औषधियों का सेवन ना करें :-
- गोखरू किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। यह औषधि ना केवल किडनी के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह और भी कई बीमारियों में लाभकारी है। गोखरू की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए इसका प्रयोग सर्दियों में करने की सलाह दी जाती है। गोखरू के पत्ते, फल और इसका तना तीनों रूपो में उपयोग किया जाता है, इसके फल पर कांटे लगे होते हैं। किडनी के लिए गोखरू किसी वरदान से कम नहीं है। गोखरू कई तरीकों से किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है, जिससे प्रोटीनुरिया की समस्या नहीं होती।
- गिलोय की बेल की तुलना अमृत से की जाए तो गलत नहीं होगा। इस बेल के हर कण में औषधीय तत्व मौजूद है। इस बेल के तने, पत्ते और जड़ का रस निकालकर निकालकर प्रयोग किया जाता है। इसका खास प्रयोग गठिया, वातरक्त (गाउट), प्रमेह, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तेज़ बुखार, रक्त विकार, मूत्र विकार, डेंगू, मलेरिया जैसे गंभीर रोगों के उपचार में किया जाता है।
- पुनर्नवा, इस जड़ी बूटी का नाम दो शब्दों - पुना और नवा से प्राप्त किया गया है। पुना का मतलब फिर से नवा का मतलब नया और एक साथ वे अंग का नवीकरण कार्य करने में सहायता करते हैं जो उनका इलाज करते हैं। यह जड़ीबूटी किसी भी साइड इफेक्ट के बिना सूजन को कम करके गुर्दे में अतिरिक्त तरल पदार्थ को फ्लश करने में मदद करती है। यह जड़ी बूटी मूल रूप से एक प्रकार का हॉगवीड है।
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