आमतौर पर लोग मूत्र और मूत्र से जुड़ी समस्याओं के बारे में खुलकर बात नहीं करते, लेकिन मूत्र आपके स्वास्थ्य के बारे में सब कुछ बता देता है। पेशाब शरीर में जमा अपशिष्ट उत्पादों से बना हुआ है, एक तरल उत्पाद है जो कि किडनी द्वारा बनाया जाता है। किडनी रक्त को शुद्ध करते समय उसमे से अपशिष्ट उत्पाद, क्षार, अम्ल, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे कई गैर जरूरी तत्वों को रक्त से निकालकर उन्हें पेशाब के रूप शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी के इस कार्य से शरीर में सभी रसायनों के बीच संतुलन बना रहता है और शरीर ठीक से विकास कर पाता है। पेशाब आना हमारे शरीर के लिए बहुत जरुरी होता है, लेकिन कई बार हमें पेशाब से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पेशाब से जुड़ी हुई कई समस्याएं है, जिसमे से एक है रक्तमेह। पेशाब से जुड़ी अन्य समस्याओं के मुकाबले यह समस्या सबसे गंभीर मानी जाती है।
रक्तमेह क्या है?
पेशाब में रक्त आना एक गंभीर चिकित्सीय समस्या हैं, इसे हिंदी में रक्तमेह और अंग्रेजी में हीमट्युअरीया के नाम से जाना जाता है। पेशाब की यह समस्या आमतौर पर तब होती है जब आपके मूत्राशय या किडनी में कोई समस्या आई हो। रक्तमेह होने के पीछे सबसे बड़ा कारण किडनी में आई समस्या होती है। जब किडनी ठीक तरीके से रक्त छान नहीं पाती तो उस समय पेशाब के साथ रक्त शरीर से बाहर निकलने लगता है। कुछ लोग पेशाब में रक्त आने की वजह से कई समस्याओं का सामना करते हैं, जबकि अन्य लोग बिना अन्य लक्षणों के साथ पूरी तरह से स्वस्थ महसूस करते हैं।
मूत्राशय को कैसे समझें?
इस आलेख में हम पेशाब में रक्त के आने के विषय में बाते कर रहे हैं, इसी कारण हमें मूत्र प्रणाली को समझना भी जरुरी हो जाता है। किडनी हमारे शरीर में रक्त शोधन के दौरान पेशाब का निर्माण करती है, किडनी अपना यह काम निरंतर करती रहती है। किडनी से मूत्र बूंद-बूंद कर मूत्रनलिका की मदद से लगातार बहते हुए मूत्राशय तक पहुँचता रहता है। मूत्राशय मांसपेशियों से मिलकर बना है, यह किडनी द्वारा बनाए गये सारे पेशाब को अपने अंदर जमा करके रखता है।
जब मूत्राशय में पेशाब भरने लगता है तो वह एक गुब्बारे के समान फैलने लगता है। मूत्र के आउटलेट (मूत्रमार्ग) को आमतौर पर बंद रखा जाता है। इस कार्य में आपके मूत्राशय के चारों ओर की मांसपेशियों द्वारा मदद की जाती है, जो कि आपके मूत्रमार्ग को घेरे रहते हैं। जब मूत्राशय में एक निश्चित मात्रा में पेशाब जमा हो जाता है यानि मूत्राशय भर जाता तब आपको पेशाब करने की इच्छा महसूस होती है और आपके मूत्राशय की मांसपेशियाँ सिकुड़ (संकुचित हो) जाती है और मूत्रमार्ग और श्रोणि के सतह की मांसपेशियाँ मूत्र को बाहर निकलने की अनुमति देकर आराम की स्थिति में पहुँच जाती है।
रक्तमेह किडनी को कैसे प्रभावित करता है?
रक्तमेह से किडनी प्रभावित नहीं होती बल्कि रक्तमेह की गंभीर बीमारी किडनी में आई किसी गड़बड़ी के कारण से होती है। किडनी में कोई समस्या आने के कारण किडनी ठीक तरीके से रक्त को नहीं छान पाती, जिसके कारण खून पेशाब के साथ शरीर से बाहर जाने लगता है। ऐसा कई स्थितियों में हो सकता है, जिसमे से कुछ स्थितियां निम्न वर्णित है :-
किडनी संक्रमण : किडनी संक्रमण उस समय होता है जब किसी कारण से जीवाणु मूत्र पथ या गुदा (ANAL) से होते हुए किडनी में प्रवेश कर लेता है। किडनी संक्रमण और मूत्र संक्रमण होने के पीछे ई-कोलाई नामक जीवाणु होता है, जो कि पहले से ही हमारे शरीर में आंतों (Flames) में होता है। किडनी संक्रमण होने की संभावना लड़को के मुकाबले लड़कियों में होने की संभवना अधिक होती है, क्योंकि लड़कियों की मुत्रवाहिनी की लम्बाई में लड़कों की मुत्रवाहिनी से काफी छोटी होती है। जिसके कारण वह मलनलिका के एकदम समीप होती है। जिससे मल मुत्रवाहिनी या मुत्रनालिका में जाने की आशंका रहती है। किडनी संक्रमण होने पर किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके चलते पेशाब के साथ रक्त जाने की संभावना बढ़ जाती है।
मूत्र संक्रमण : मूत्र पथ संक्रमण (UTI), पेशाब से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। यह संक्रमण महिला, पुरुष और बच्चों को कभी भी हो सकता है। काफी बार यह समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है, लेकिन कई बार इस समस्या से निजात पाने के लिए चिकित्सक के पास जाना पड़ता है। बड़ों की तुलना में बच्चे इस बीमारी के अधिक शिकार होते हैं। यह गंभीर बीमारी विशेषकर 10 से कम वर्ष के बच्चों को होती है। इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा महिलाऐं आती है, प्रतिशत में बात करे तो 8-9 प्रतिशत महिलाऐं इस बीमारी की शिकार होती है और 5 प्रतिशत पुरुष इस बीमारी के शिकार होते हैं। मूत्र संक्रमण होने पर मूत्राशय में पेशाब आ सकता है, ऐसा किडनी और मूत्राशय क्षतिग्रस्त होने के कारण होता है। अगर इस दौरान किडनी में सूजन आ जाए तो भी पेशाब में खून आने की समस्या हो सकती है।
रक्तस्राव की बीमारी : कभी-कभी शरीर में कुछ ऐसी स्थितियां आती है जब शरीर में रक्त का थक्का जमने लगता है, उदाहरण के लिए हीमोफिलिया की समस्या। इस समस्या के चलते आपके पेशाब में रक्त आ सकता है। अगर आप किसी समस्या से निजात पाने के लिए रक्त पतला करने की दवाओं का सेवन कर रहें हैं और उस दौरान आपके पेशाब में रक्त आने लगता है तो आपको तुरंत अपने चिकित्सक से इस बारे में बात करनी चाहिए। ऐसा खून पतला करने की दवाओं के कारण से होता है।
मूत्राशय या किडनी की पथरी : जब आपके मूत्रमार्ग से पथरी बाहर निकलते समय मूत्रमार्ग के भीतरी दीवारों से टकराती है तो मूत्रमार्ग में रक्त स्राव होने की संभवना बनी रहती है। ऐसा होने पर आपके पीठ, पेट और श्रोणि (Pelvis) के आसपास दर्द हो सकता है। किडनी की पथरी वाले कुछ लोगों के पेशाब में केवल रक्त आ सकता है, जिसकी जाँच एक डीपस्टिक टेस्ट द्वारा की जा सकती है। हालाँकि कुछ लोगों में किडनी के पत्थरों को निकालने के लिए किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि वह स्वयं ही बाहर निकल जाती है। जबकि कुछ लोगों में किडनी की पथरी को निकालने के लिए विशिष्ट उपचार की आवश्यकता होती है।
रक्तमेह से बचाव के घरेलु उपाय क्या है?
रक्तमेह से बचने के लिए वैसे तो आपको आयुर्वेदिक औषधियों का ही सहारा लेना चाहिए। लेकिन आप कुछ घरेलु उपायों की मदद से भी इस समस्या से निदान पा सकते हैं। नीचे कुछ घरेलु उपाय बताएं गये है, जिनकी मदद से आप रक्तमेह से अपना बचाव कर सकते हैं :-
- रात को सोने से पहले एक गिलास पानी में कुछ मुन्नका बिगो दें। सुबह इसे छानकर इसमें थोड़ा भुना पिसा जीरा मिलाकर पी लें। इससे पेशाब की जलन मिट जाती है और पेशाब खुलकर आता है साथ ही खून का आना भी बंद हो जाता है। यह तासीर में गर्म होते हैं इसलिए इसका सेवन कम मात्रा में ही करें।
- लगभग 12 ग्राम आंवला लें, इसमें 12 ग्राम हल्दी को मोटा-मोटा पीसकर रात भर के लिए पानी मे डालकर भिगों दें। सुबह इस पानी को छानकर खाली पेट पीने से पेशाब मे खून आना बंद हो जायगा।
- 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम पानी के साथ लेने से पेशाब मे खून आना बंद हो जाता है।
- सात बूँद बड़ के पेड़ का दूध शक्कर के साथ देने से पेशाब तथा गुदा द्वारा होने वाले रक्तस्राव में राहत मिलती है।
- एक कटोरी गेंहू रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इसी पानी के साथ इसे बारीक पीस ले और इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर पी लें। इसे एक सप्ताह तक लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य और खून आना बंद हो जायगा है।
- 10 से 20 ग्राम लोध्रासव को बराबर मात्रा में पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद खाने से पेशाब साफ आने लगता है।
किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक उपचार सबसे बेहतर
आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। आपको बता दें कि आयुर्वेदिक किडनी उपचार लेने से रोगी को किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत नहीं होती क्योंकि किडनी रोगी इन दोनों के बिना ही ठीक हो जाते हैं।