हमारे शरीर में किडनी एक महत्वपूर्ण अंग है। दिल के द्वारा पम्प किए हुए रक्त का 20% किडनी द्वारा साफ किया जाता है और इसमें से निकले विषैले और अपशिष्ट पदार्थों को पेशाब के जरिए बाहर कर दिया जाता है। किडनी में होने वाले इंफेक्शन की जानकारी इसके पहले स्टेज में नहीं हो पाती है। कई बार ऐसा होता है कि जब तक हमें इसका पता चलता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, इसलिए हम आपको इसके कुछ सिम्पटम्स बताने जा रहे हैं, जिससे की रोग से जल्द से जल्द निजात पाई जा सके हैं। “सिम्पटम्स ऑफ किडनी डिजीज”
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पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
जब पेशाब में रक्त आने लगता है तो तब हमें बेहद आसानी से पता चल जाता है, लेकिन पेशाब के जरिए प्रोटीन के बाहर आने का पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। इसके लिए आपको लगातार निरिक्षण करते रहना होता है दोनों की स्थितियों में आपको तुरंत चिकित्सक से इसके जानकारी लेनी चाहिए और इलाज करवाना चाहिए।
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भूख कम लगाना और वजन घटना
हमारे शरीर को लगातार काम करते रहने के लिए उचित पोषण और उर्जा की जरूरत होती है। ये उर्जा और पोषण हमें भोजन के जरिए ही मिलता है, लेकिन अगर भूख ही न लगे तो इसका एक कारण किडनी की बिमारी भी हो सकती है, इसलिए आप डॉ. पुनीत धवन से आयुर्वेदिक इलाज करवाएं। “सिम्पटम्स ऑफ किडनी डिजीज”
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उच्च रक्तचाप
उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर जो अपने आप में एक सबसे बड़ी समस्या है, लेकिन कई बार इसका कारण किडनी में इंफेक्शन भी हो सकता है। साथ ही शरीर की क्षमता में कमी आने से हमारे ह्रदय तंत्रिका तंत्र के विभिन्न कार्यों को करने के लिए तेजी से खून पम्प करना शुरु कर देता है। ऐसे में जब दिल ज्यादा काम करता है तो उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है।
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त्वचा पर रैशेज
किडनी का काम भी रक्त से विषैले पदार्थों को बाहर निकालना है, लेकिन जब किडनी में इंफेक्शन हो जाता है तो अपशिष्ट पदार्थ बाहर नहीं आ पाते है। इसकी वजह से त्वचा पर चकत्ते और खुजली जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। “सिम्पटम्स ऑफ किडनी डिजीज”
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थकान और सांस लेने में परेशानी
शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते समय किडनी इरिथरोपोटीन नमक हार्मोन का उत्पन्न करता है। साथ ही ऑक्सीजन लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में इस हार्मोन की ही भूमिका निभाता है, इसलिए जब किडनी में कोई समस्या होती है तो इरिथरोपोटीन का उत्पादन करती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन के वितरण के लिए जिम्मेदार लाल रक्त कोशिकाओं कम पड़ जाती है और सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। इसके साथ हमारा दिमाग, मसल्स और पूरा शरीर जल्दी ही थक जाते हैं। इसे रक्ताल्पता भी कहते हैं।
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जी मिचलाना और चक्कर आना
किडनी के काम न करने पर शरीर में अपशिष्ट पदार्थों में अधिकता हो जाती है। जिसके कारण से जी मिचलाना और उल्टी जैसी परेशानियां होने लगती है। इसके अलावा रक्ताल्पता की वजह से भी चक्कर आने या एकाग्र न कर पाने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। “सिम्पटम्स ऑफ किडनी डिजीज”
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मांसपेशीयों में ऐंठन
कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि किडनी में आने वाली परेशानियों की वजह से मांसपेशियों में गंभीर रूप से ऐंठन और दर्द हो सकता है। ये दर्द शरीर के विभिन्न भागों में उत्पन्न हो सकता है।
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पेशाब बार-बार आना
किडनी में इंफेक्शन के कई लक्षणों में से बार-बार पेशाब आना भी है। इसकी वजह से आपकी यूरिन की मात्रा और आवृत्ति में बदलाव आ सकता है और रात में यूरिन में ज्यादा वृद्धि हो सकती है। इसमें आपकों कम या ज्यादा मात्रा में यूरिन पीले रंग के साथ भी हो सकता है। साथ ही पेशाब करने में समस्या आए और ये समस्या लगातार बनी रहें तो आप तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं। “सिम्पटम्स ऑफ किडनी डिजीज”
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हाथों, पैरों और एड़ियों में सूजन
किडनी इंफेक्शन की पहचान के प्रमुख लक्षण है जब किडनी संक्रमित हो जाती है तो शरीर से विषैले तत्व बाहर नहीं निकल पाते हैं इसलिए इससे कई तरह की समस्याएं आने लगती है। शरीर में इकट्ठा होने वाले अतिरिक्त तरल पदार्थ हाथ, पैर, चेहरे और टखनों में सूजन का कारण बनते हैं। “सिम्पटम्स ऑफ किडनी डिजीज”
किडनी सिम्पटम्स के लिए आयुर्वेदिक उपचार
विश्व प्रमुख किडनी सेंटर में से एक कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल है। ये 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। इसमें सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक हर्बल दवाईयों के द्वारा रोगियों को ठीक किया जाता है। ये 100% नेचुरल है और इन आयुर्वेदिक दवाओं से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है ये एकदम प्राकृतिक इलाज है। “सिम्पटम्स ऑफ किडनी डिजीज”