हमीरपुर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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हम सभी इस बात से भलीभातिं वाकिफ है की किडनी हमारे शरीर का वो महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना शरीर का बाकि कोई भी अंग ठीक से काम नहीं कर सकता। किडनी हमारे शरीर में क्रिएटिनिन को बढ़ने नहीं देती। मानव शरीर में किडनी का कार्य संतुलन बनाए रखने का हैं। किडनी अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करके पेशाब के द्वारा बाहर निकालती हैं।

किडनी शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती हैं। वह अतिरिक्त अम्ल (ACID) और क्षार (SALT) निकालने में मदद करता हैं जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता हैं। साथ ही किडनी का मुख्य कार्य रक्त को शुद्धिकरण करना हैं। जब बीमारी की वजह दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती हैं, जिसे किडनी फेल्योर कहा जाता हैं।

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने के सबसे बड़े कारण हैं। डायबिटीज के 30 से 40% मरीजों की किडनी खराब होती हैं। इनमें से 50% मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें बहुत देर से इस बीमारी का पता चलता हैं और फिर उन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता हैं। हमारे शरीर में किडनी फेल्योर के लक्षण उस समय दिखाई देते है जब यह बीमारी अपना विकराल रूप ले चुकी होती है। जो निम्नलिखित है, इनकी पहचान कर हम किडनी फेल्योर का समय रहते इलाज करा सकते है।

  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब विसर्जन में दिक्कत
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • सांस लेने में तकलीफ
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • आंखों के नीचे सूजन
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना

एलोपैथी उपचार में किडनी फेल्योर का कोई सफल इलाज मौजूद नहीं है। एलोपैथी उपचार में इस बीमारी से राहत दिलाने भर के उपचार जरूर मौजूद है। एलोपैथी में किडनी को पुनः ठीक करने के लिए सबसे पहले एक लम्बे समय तक डायलिसिस किया जाता है। जिसकी मदद से लगातार रक्त को साफ़ किया जाता है। जिससे रक्त में क्रिएटिनिन की मात्रा में कमी लाने की कोशिश की जाती है। डायलिसिस एक लम्बी पक्रिया है जो सप्ताह में दो से तीन बार किया जाता है। यह क्रिया बहुत पीड़ादायक होती है। अंत में रोगी की किडनी ट्रांसप्लांट कर ही इस रोग से मुक्ति पाने की कोशिश कि जाती है। यह पूरी परिक्रिया लम्बी होने के साथ बहुत खर्चीली भी होती है।

लेकिन हम आयर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर सकते है। आयुर्वेद में खरब किडनी को फिर से ठीक करने का इलाज मौजूद है। हम आयुर्वेद की मदद से किसी भी प्रकार के रोग से छुटकारा पा सकते है। वर्ष 1937 से "कर्मा आयुर्वेदा" सिर्फ आयुर्वेदा की मदद से किडनी फेल्योर रोगियों को इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति दिला रहे है।

आज डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा द्वारा विश्व भर में किडनी सम्बंधित बिमारियों का आयुर्वेदिक किडनी उपचार कर रहे है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गई थी। इस समय प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक  डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा का नेतृत्व कर रहे है।

अब हमीरपुर में भी किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। डॉ.पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से अब तक 35 हज़ार से बह ज्यादा रोगियों को रोग मुक्त क्या है। आपको बता दें की किडनी फेल्योर का सफल इलाज केवल आयुर्वेद द्वारा ही संभव है। आयुर्वेद ही किडनी फेल्योर की बीमारी को जड़ से ख़त्म करने की ताक़त रखता है। ध्यान दें "कर्मा आयुर्वेदा में किडनी फेल्योर का पूरा इलाज डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना" किया जाता है।

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