हरदोई में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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हमारे शरीर से निकलने वाला पेशाब हमारे स्वास्थ के बारे में पूरी जानकारी हमें देता है। शरीर से ठीक तरीके से और साफ़ पेशाब का आना हमें यह दर्शाता है की हमारा शरीर एक दम स्वस्थ है और ना ही आने वाले समय में कोई बीमारी होने वाली है। हल्के पीले रंग के पेशाब से हमे यह जानकारी मिलती है की हम आने वाले समय में या इस समय हम बीमार पड़ चूके है, साधरणतः हल्का बुखार। पेशाब की जाँच की मदद से हम अपने शरीर के बारे में और भी कई जानकारियां इकठा कर सकते है।

पेशाब में किसी भी प्रकार के बदलाव हमें कई बड़ी बीमारियों के संकेत देते है। अगर आपको बार-बार पेशाब आने का एहसास होना मगर करने पर पेशाब का न आना भी किडनी फेल का लक्षण है।

अगर आपको यूरिन का एहसास होता है और जाने पर आपको पेशाब नहीं आता तो यह भी किडनी फेल का लक्षण है। अगर आपके पेशाब करते वक्त किसी तरह की जलन महसूस हो या बेचैनी हो तो इसका मतलब यह है कि या तो आपको यूरिन इन्फेक्शन हुआ है या फिर आपकी किडनी में कोई परेशानी है। ऐसे में आप एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

इसके अलावा अगर आपको यूरिन के दौरान खून आए तो ऐसे में आपको बिल्कुल लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। आपको तुरंत किसी यूरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए। अगर आपको अचानक कई बार पेशाब आ रहा है तो यह किडनी में किसी तरह की बीमारी का इशारा है। ऐसे हालात में जानने की कोशिश करें कि बार-बार पेशाब आने की वजह क्या किडनी की कोई बीमारी तो नहीं। पेशाब ज्यादा आना या कम आना दोनों ही अच्छा नहीं माना जाता है।

इसके आलावा और भी कई लक्षणों की मदद से हम यह जान सकते है की क्या हमारी किडनी ठीक है या नहीं। हम निम्न लिखित लक्षणो की मदद से किडनी फेल्योर का पता लगा सकते है।

किडनी फेल्योर के लक्षण:

  • शरीर में सूजन
  • थकावट और कमजोरी महसूस होना
  • गर्मी में भी ठंड लगना
  • मुंह से बदबू आना
  • मुंह का स्वाद खराब होना
  • सांस लेने में परेशानी
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ना
  • सूखी त्वचा और खुजली होना

यदि आप भी ऊपर बातें गए किन्ही लक्षणों से लंबे समय से जूझ रहे है तो इसे अनदेखा ना करे यह आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। अच्छे स्वास्थ्य में शरीर के सभी अंगों को सुचारू संचालन बेहद जरूरी हैं। किडनी हमारे शरीर में दिन रात काम करती हैं और हमें स्वस्थ रखती हैं। इसलिए दिए इन लक्षणों के अनदेखा न करें। उपरोक्त लिखित लक्षणों की पहचान होने पर तुरंत "कर्मा आयुर्वेदा" से सम्पर्क करे।

वर्तमान समय में किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी के कई प्रकार के उपचार हमारे मौजूद है। एलोपैथी में किडनी फेल्योर के दो प्रमुख उपचार है। पहला "डायलिसिस" और दूसरा "किडनी ट्रांसप्लांट"। लेकिन वह उपचार बहुत ही महंगे और लम्बे समय तक चलने वाले है। लाखों में धन खर्च करने के बाद भी हमें इस रोग से छुटकारा नहीं मिलता। क्यूंकि एलोपैथी में किसी भी बीमारी का कोई सफल इलाज है ही नहीं।

किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

लेकिन इस आधुनिक युग में किडनी फेल्योर का सबसे बेहतर उपचार है "आयुर्वेदिक" उपचार।  आयुर्वेदिक उपचार सबसे बेहतर इसलिए है क्यूंकि इसमें केमिकल का प्रयोग नहीं होता बल्कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। हम आयुर्वेद के जरिये हर बीमारी का इलाज कर सकते है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए  "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है।

वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ.  पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभल रहे है। आज के समय में आपको अनेक आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र मिल जाएंगे, लेकिन कर्मा आयुर्वेद किडनी सम्बंधित रोग को ठीक करने को लेकर रामबाण साबित हुआ है। कर्मा आयुर्वेदा काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगो को मुक्त कर रहा है।

डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। अब उत्तर प्रदेश के हरदोई में कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं।

आयुर्वेद बीमारी को जड़ से ख़त्म करता है। आयुर्वेद भले ही अपना असर धीरे - धीरे दिखाए लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई अन्य प्रभाव नहीं छोड़ता। क्यूंकि आयुर्वेदिक दवाओं में कोई कैमिकल नहीं होता, जिसके चलते यह हमारे शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं छोड़ता। आयुर्वेद हज़ारों सालों से लोगो का विश्वास जीतता आ रहा है, लोगो का आयुर्वेद पर पूरा विश्वास है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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