हम सभी को ज्ञात है कि किडनी हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण अंग है। स्वस्थ किडनी अपने सारे काम ठीक तरीके से करती है। जिससे हमारे शरीर को भी किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। हमारी किडनी अपने आप कभी ख़राब नहीं होती। किडनी हमारी बुरी आदतों के कारण ख़राब होती है।
रोज़ की बदलती ज़िंदगी, खानपान में बदलाव, रहन-सहन में बदलाव के चलते हमारा शरीर बदल रहा है, आलसी होता जा रहा है। इस आधुनिक युग की भागती हुई दुनिया के पीछे हम भी दौड़ रहे है। इस दौड़ में हम यह भूल चुके है की हमें अपने शरीर का भी ध्यान रखना है। हमारे पास इस समय खुद के लिए भी समय नहीं बचा है। वक्त-बे-वक्त कहते है, पीते है, खुद को काम के नीचे इतना दबा लिया है की ठीक से सो भी नहीं पाते। अपनी दिनचर्या को एक डैम बिगाड़ चुके है।
इन्ही आदतों के कारण हम धीरे-धीरे बीमार पड़ना शुरू हो जाते है। अनिद्रा, मधुमेह, मोटापा, रक्तचाप का संतुलन में ना होना, दिल की बीमारी का होना, बार-बार बुखार आना आदि, हम इन्ही कुछ बिमारियों से घिर जाते है। फिर हम इन बिमारियों से छुटकारा पाने के लिए दवाइयों का सहारा लेते है। समय के साथ हम इन दवाइयों के आदि बन जाते है। लेकिन इन बिमारिओं और अपनी बुरी आदतों से छुटकारा नहीं मिलता।
इन सभी बुरी आदतों का सीधा असर हमारे शरीर के अंगों पर पड़ता है। लेकिन इन सबका सीधा और सबसे ज्यादा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। क्यूंकि हम जो भी कहते पीते है उसमे से पौष्टिक तत्वों को छानने का कार्य हमारी किडनी ही करती है। किडनी हमारे शरीर से बुरे तत्वों को पेशाब के जरिए बहार निकल देती है। ताकि शरीर में क्षार और अलम की मात्रा का संतुलन बना रहे। लेकिन जब हमारी किडनी पर हमारी बुरी आदतों का बुरा सर पड़ता है उस समय हमारी किडनी ख़राब हो जाती है या फिर ख़राब होने की स्थिति में आ जाती है।
हमारी किडनी शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बिना शरीरी का कोई भी अंग अपना काम ठीक से नहीं कर सकता। जब किडनी ख़राब होती है उस समय हमारे शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते है। जिसकी पहचान कर हम जान सकते है की हमारी किडनी ख़राब है या ठीक है।
किडनी ख़राब होने के लक्षण :
- पेशाब करते समय प्रोटीन पास होना
- पेशाब आने की मात्रा का बढ़ना
- पेशाब के रंग में बदलाव आना
- पेशाब करते वक्त दर्द या जलन महसूस होना
- पेशाब करने में दिक्कत होना
- बार-बार पेशाब आने का अहसास होना
- किडनी में सजून आना
- चिड़चिडापन और एकाग्रता में कमी
- हर समय ठंड महसूस होना
- स्किन पर रेशैज़ और खुजली होना
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कहा जाता है की आयुर्वेद में हर रोग को जड़ से खत्मकरने का समाधान उपलब्ध है। आयुर्वेद के जानकारों ने काफी बार यह सिद्ध भी किया है। आज विश्व का तबका इस बात से विदित है। आयुर्वेद ने हज़ारों साल भी अपना रुतबा ज्यों का त्यों बनाएं रखा हुआ है। हमज़ारों प्रकार के अंग्रेजी उपचार इस समय हमारे पास मौजूद है, लेकिन हमारा उन पर पूर्ण विश्वास नहीं है। लेकिन आयुर्वेद में लोगो का विश्वास अब भी कायम है, क्यूंकि हमसभी जानते है की आयुर्वेदा द्वारा हर किसी रोग को जड़ से ख़त्म किया जा सकता है। आयुर्वेद में किडनी फेल्योर का भी उपचार मौजूद है। वो भी बिना किसी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रंसप्लांट की मदद से।
वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा "कर्मा आयुर्वेदा" की स्थापना की गयी थी। कर्मा आयुर्वेदा वर्षों से पूरी तरह आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का उपचार रहा है। कर्मा आयुर्वेदा डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये बिना ही रोगी को किडनी फेल्योर की बीमारी मुक्त करता है। वो भी बस आयुर्वेद की सहायता से।
वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद का नेतृत्व कर रहे है। हापुड़ में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं।
साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक किडनी उपचार पर भरोसा किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन अपने मरीजों को उचित डाइट चार्ट की सलाह देते हैं जिससे रोगी में जल्दी से सुधार दिखता है।