60 की उम्र के बाद, किडनी स्वस्थ रखने के लिए क्या ना खाएं?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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60 की उम्र के बाद, किडनी स्वस्थ रखने के लिए क्या ना खाएं?

बढ़ती उम्र के बाद शरीर की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति कई बीमारियों की चपेट में आने लगता है। 60 की उम्र के बाद अक्सर व्यक्ति उच्च रक्तचाप, मधुमेह, बदन दर्द, घुटनों और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं से जूझने लगता है। इस उम्र में व्यक्ति को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। व्यक्ति को 60 की उम्र के बाद ऐसा भोजन लेना चाहिए जिससे उसका शरीर स्वस्थ बना रहें। इस उम्र में अक्सर लोगो को किडनी की बीमारी होने का खतरा रहता, जिसके चलते उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किडनी रोग जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में बचने के लिए व्यक्ति को अपने आहार में कुछ चीजों को शामिल नहीं करना चाहिए। अपने आहार से कुछ खाद्य प्रदार्थों को हटा कर व्यक्ति इस उम्र में भी एक स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

60 की उम्र के बाद किडनी को स्वस्थ रखने के लिए इनसे करें परहेज

  1. इस उम्र में उच्च प्रोटीन युक्त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। उच्च प्रोटीन किडनी की विफलता का कारण बन सकता है। इस उम्र में अक्सर लोगो को पाचन की समस्या होना शुरू हो जाती है। पाचन खराब होने के कारण शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे किडनी के नेफ्रोन (किडनी फिल्टर्स) क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसी कारण आपको उच्च प्रोटीन वाले आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। दूध, पनीर, दही, मीट में अधिक प्रोटीन होता है। प्रोटीन बार का सेवन नहीं करना चाहिए। सामान्यतः 0।8 से 1।0 ग्राम/ किलोग्राम प्रतिदिन शरीर के वजन के बराबर प्रोटीन लेने की सलाह दी जाती है। आमतौर पर प्रोटीन बार में एक चॉकलेट ब्राउनी के रूप में दोगुनी मात्रा में फैट और कॉर्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जोकि नुकसानदायक होता है।
  1. उचित तरल पदार्थ संतुलन बनाए रखने के लिए आपके शरीर को सोडियम की कुछ मात्रा की आवश्यकता होती है, जिसे आप फलों और सब्जियों से प्राप्त करते हैं। लेकिन शरीरी में सोडियम की अधिक मात्रा रक्तचाप को बढ़ा सकती है। उच्च रक्तचाप की समस्या से बचने के लिए नमक का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए। उच्च रक्तचाप से किडनी पर दबाव पड़ता है, जिससे किडनी खराब हो सकती है। साथ ही उच्च रक्तचाप और भी कई समस्याओं को बढ़ा देता है। इस समस्या से बचने के लिए आपको डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, चिप्स, फास्ट फूड, जमा हुआ भोजन (फ्रोज़न फ़ूड), प्रसंस्कृत पनीर स्लाइस (Processed cheese slices), नमक, प्रसंस्कृत मांस (Processed meat), मसालेदार खाद्य पदार्थ और केचप आदि का सेवन नहीं करना चाहिए हैं।
  1. कैफीन का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, यह चाय या कॉफी में उपलब्ध है जो आपकी किडनी को तनाव दे सकती है। अगर आप चाय या कॉफी के अधिक शोकिन है, तो आप इसके विकल्प में ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं। ग्रीन टी किडनी को डिटॉक्स करती है, इसलिए वे शरीर से कचरे को छानने और बाहर निकालने के लिए अच्छी तरह से काम कर सकती हैं। ग्रीन टी पचान तन्त्र को सुधारने में भी मदद करती है।
  1. किडनी की समस्‍याओं से बचने के लिए व्‍यक्ति को अपने खाद्य पदार्थों में से पोटेशियम युक्‍त खाद्य पदार्थों की कटौती करनी चाहिए। पोटेशियम की मात्रा को कम करने के लिए कम मात्रा में फलों और सब्जियों का उपभोग करना चाहिए। हालांकि पोटेशियम का सेवन तभी कम करना है, जब इसकी आवश्यकता हो, यह फिर आपकी किडनी का फंग्‍शन 20 प्रतिशत से भी नीचे चला गया हो। पोटेशियम उच्च रक्तचाप की समस्या से निदान पाने के लिए जरुरी होता है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। शरीर में पोटेशियम की मात्रा कम करने के लिए आप संतरा, पालक, अनार, केला, अंगूर, टमाटर, केला आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  1. इस उम्र में किडनी को स्वस्थ रखने के लिए फास्फोरस युक्त आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि फास्फोरस, कैल्शियम के अवशोषण को ब्लॉक कर देता है जिससे इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में कठिनाई आती है। इसलिए खाद्य पदार्थों में से फास्‍फोरस को कम करने की जरूरत है ताकि जिससे कैल्शियम को बनाए रखने में मदद मिल सकें। पनीर, दही, दूध, सोया पनीर, सोया दही और हार्ड चीज फास्फोरस से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।
  1. किडनी को स्वस्थ रखने के लिए हाई ऑक्‍सालेट खाद्य प्रदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। हाई ऑक्‍सालेट खाद्य प्रदार्थ किडनी में पथरी का कारण बन सकते हैं। किडनी में पथरी से बचने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिनमे ऑक्‍सालेट एसिड की मात्रा अधिक हो। कॉफी, चाय, टोफू, बीट, जामुन, बादाम, संतरे, मीठे आलू, बीन्स, चॉकलेट, अंधेरे पत्तेदार हरी सब्जियां और मसौदा बियर (Draft beer ) में ऑक्‍सालेट एसिड की मात्रा अधिक पाई जाती है।
  1. इस उम्र में कार्बोहाइड्रेट का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट पूरी मात्रा में (35-40 कैलोरी / किलोग्राम शरीर के वजन के बाराबर रोज़) लेने की सलाह दी जाती है। घी, तेल मख्खन और चर्बी वाले आहार का सेवन कम से कम लेना चाहिए, इसके अंदर कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा होती है।
  1. उम्र कोई भी हो धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक होता है, यह बहुत सी समस्याओं के साथ-साथ किडनी खराब होने का कारण बन सकता है। इसके अलावा इससे ऐथेरोस्कलेरोसिस नामक बीमारी भी हो सकती है, जिससे रक्त नलिकाओं में रक्त का बहाव धीमा पड़ जाता है। किडनी में रक्त कम जाने से उसकी कार्यक्षमता घट जाती है।
  1. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (processed foods) का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आपको पाचन से जुड़ी समस्या को पैदा कर सकते हैं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का जिनका सेवन करने से आपके पेट में गैस बनने लगती है और संक्रमण होने की आशंका भी रहती है। इसलिए केन फूड, चिप्‍स आदि खाने के बजाए साबुत आहार खाएं जो सेहतमंद भी होते हैं।
  1. स्टारफ्रूट भले ही कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है लेकिन यह किडनी रोगी के लिए हानिकारक होता है। किडनी रोगी को स्टारफ्रूट का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस फल में न्यूरोटॉक्सिन नामक एक खास विषैला तत्व पाया जाता है। स्वस्थ किडनी न्यूरोटॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालने में समर्थ होती है, लेकिन किडनी खराब होने के बाद वह टॉक्सिन को फिल्टर नहीं नहीं कर पाती। यह विषैला तत्व ना केवल किडनी बल्कि मस्तिष्क से जुड़ी बिमारियों का भी कारण बन सकता है।
  1. अगर आप मधुमेह से भी जूझ रहे हैं तो, मधुमेह को नियंत्रण में करने की तरफ खास ध्यान देना चाहिए। ऐसे में आपको कम शर्करा वाली चीजों को ही आहार में शामिल करना चाहिए। आप अपने आहार में ब्रोकली, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, लाल शिमला मिर्च, और टमाटर जैसी चीजों को आहार में शामिल कर सकते हैं। आहार में किसी भी चीज़ को शामिल करते समय चिकित्सक की सलाह जरुर ले।
  1. बढती उम्र के साथ लोगो को कई समस्याएं होना शुरू हो जाती है। इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लोग दर्द निवारक दवाओं का करते हैं, हर छोटी सी बीमारी में दवा लेने की आदत शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है। जिससे किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है। जिसे हम आम भाषा में किडनी फेल्योर कहते हैं। इसलिए हर छोटी समस्या में दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने से बचे ज्यादा जरुरत होने पर ही दवाओं का सेवन करें। अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं के सेवन से व्यक्ति को उच्च रक्तचाप जैसी समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।

किडनी खराब होने के लक्षण

किडनी हमारे शरीर का अभिन्न अंग है जिसके खराब होने के कारण हमारे शरीर का संतुलन डामाडोल हो जाता है। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बहार निकालने का विशेष कार्य करती है, जिससे शरीर में संतुलन बना रहता है और आपका शरीर ठीक से काम करता है। किडनी खराब होने पर आँखों के नीचे और पैरों में सूजन आ जाती है, रक्तचाप उच्च रहता है, पाचन तन्त्र खराब हो जाता है, रक्त अशुद्ध हो जाता है, हड्डियाँ कमजोर होने लगती है,  मूत्र संक्रमण हो जाता है, कमर में दर्द रहने लगता है इसके अलावा और भी कई विकार एक साथ शरीर में उत्पन्न हों जाते है। किडनी खराब होने पर इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं, जिनकी पहचान कर आप आयुर्वेदिक उपचार से इस समस्या से छुटकारा पा

  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • आंखों के नीचे सूजन
  • गंधदार पेशाब आना
  • सकते हैं। किडनी खराब होने के लक्षण निम्नलिखित हैं –
  • सांस लेने में तकलीफ
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब में खून आना
  • अचानक कमजोरी आना
  • पेट में दाई या बाई ओर असहनीय दर्द होना
  • नींद आना
  • कमर दर्द होना
  • पेशाब करने में दिक्कत होना

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

किडनी खराब होने पर उसे पहले की तरह ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। आयुर्वेद की सहायता से खराब किडनी को फिर से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है। “कर्मा आयुर्वेदा” किडनी फेल्योर का आयुर्वेद की मदद से सफल उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेदा बिना किसी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के ही खराब किडनी को ठीक करता है।

वर्ष 1937 में कर्मा आयुर्वेदा की नीव धवन परिवार द्वारा रखी गयी थी तभी से कर्मा आयुर्वेदा किडनी फेल्योर के रोगियों को इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलाता आ रहा है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद की बागडोर को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन पुर्णतः आयुर्वेद पर ही विश्वास करते हैं और आयुर्वेद की मदद से किडनी से जुड़ी बीमारी का निदान करते है। डॉ. पुनीत ने अभी तक 35 हजार से भी ज्यादा रोगियों को किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलवाया है, वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये।

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