अलवर में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी फिल्टर करने और अपशिष्ट उत्पादों को निकालने और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने की क्षमता में कमी को किडनी फेल्योर कहते हैं। रक्त में क्रिएटिनिन और रक्त यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि का तात्पर्य किडनी की खराबी से होता हैं। किडनी कई वर्षों में धीरे-धीरे खराब होती हैं जो बहुत गंभीर बीमारी होने से पहले तक कई लोगों को इसके लक्षण का भी पता नहीं चलता हैं। अगर आपको किडनी रोग हैं तो ब्लड और यूरिन टेस्ट से इस बीमारी का पता लगा सकते हैं। किडनी शरीर के महत्वपूर्ण अंगो में शामिल हैं। किडनी में खराबी आने से जिंदगी जीना मुश्किल हो जाती हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार से इसे ठीक किया जा सकता हैं। आजकल किडनी फेल्योर के मरीजों में वृद्धि होती जा रही हैं। देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किडनी फेल्योर के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही हैं।

किडनी खराब होने के कारण:

  • उच्च रक्तचाप
  • मधुमेह
  • बाधित मूत्र प्रवाह
  • किडनी रोग
  • मलेरिया और पीला बुखार
  • विषैले पदार्थ

किडनी रोग के लक्षण:

  • भूख कम लगना
  • पेशाब में रक्त आना
  • पेशाब की मात्रा का कम होना
  • उच्च रक्तचाप
  • त्वचा पर लगातार खुजली होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • जी मिचलाना और उल्टी होना
  • थकान और कमजोरी महसूस होना
  • अचानक सिरदर्द होना
  • शरीर के वजन में बदलाव आना
  • हाथ, पैरे और टखने में सूजन
  • पेशाब का रंग गहरा होना

किडनी फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार

किडनी प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ कारण की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग किए जाने वाली सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क, थिस्टल, लाइसोरियस रूट, पुनर्नवा, गोकशुर, वरूण, कासनी और शिरीष जड़ी-बूटियों में शामिल हैं। ये अस्भय जड़ी-बूटियों और किडनी की कोशिकाओं को पुर्नजीवित करने और किडनी के विकास के प्रतिबंधित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करती हैं। एलोपैथी दवाओं के विपरित आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभार नहीं होता हैं।

कर्मा आयुर्वेदा भारत का एकमात्र आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र हैं। यह 1937 में स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व अनुभवी डॉक्टर डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से इलाज करता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने एलोपैथी उपचार पर विश्वास नहीं करते हैं। वह सिर्फ ओर सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा करते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से आपको कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। किडनी फेल्योर उपचार के लिए अलवर के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक हैं डॉ. पुनीत धवन। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत के साथ-साथ एशिया के भी सबसे अच्छे स्वास्थ्य क्लिनिक के प्रमुख हैं। उन्होंने लाखों रोगियों को अपने आयुर्वेदिक दवाओं और प्रक्रियाओं के साथ ठीक किया हैं और उन्हें उचित डाइट चार्ट की सलाह भी दी जाती हैं।

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