आयुर्वेद द्वारा यूरिक एसिड को कैसे कम किया जा सकता है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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आयुर्वेद द्वारा यूरिक एसिड को कैसे कम किया जा सकता है?

हमारे शरीर में जहाँ कई पौषक तत्व मिलते हैं, वहीं कई अपशिष्ट उत्पाद भी मिलते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं। शरीर में मिलने वाले कुछ अपशिष्ट उत्पादों का निर्माण शरीर के भीतर ही होता है, तो वहीं कुछ बाहर से शरीर में प्रवेश करते हैं। यूरिक एसिड एक ऐसा ही अपशिष्ट उत्पाद है जिसका निर्माण हमारे शरीर में होता है। यूरिक एसिड का निर्माण हमारे शरीर में प्यूरिन के विघटन से होता है। यह तत्व हमारे द्वारा खाए गये भोजन में मिलता है, यह पहले से हमारे शरीर में मौजूद नहीं होता। यह कार्बन,  हाईड्रोजन, नाईट्रोजन और आक्सीजन जैसे तत्वों के मेल से बना एक यौगिक तत्व है जो कि हमारे शरीर को प्रोटीन से एमिनो एसिड के रूप से में प्राप्त होता है।

यूरिक एसिड हमारे रक्त के साथ पूरे शरीर में फैल जाता है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में समस्याएँ उत्पन्न होनी शुरू हो जाती है। किडनी की सहायता से यूरिक एसिड की बड़ी मात्रा पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है। लेकिन जब इस एसिड की मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है या किडनी खराब हो जाने पर यह शरीर से बाहर नहीं जा पाता। यूरिक एसिड जब शरीर में जमा होने लगता है, तो उस दौरान हड्डियों को नुकसान पहुँचने लगता है। ऐसा होने से गठिया की बीमारी होना आम बात है, लेकिन इससे होने वाली सबसे बड़ी समस्या है ‘कैंसर’ का होना।

यूरिक एसिड की परेशानी क्यों होती है?

आपने ऊपर जाना की यूरिक एसिड क्या होता है, लेकिन अब हम आपको बताते हैं कि यह एसिड शरीर में क्यों बनता है? जो भोजन हम लेते हैं उसे पचाने के दौरान प्युरिन नामक एक तत्व का निर्माण होता है जो कि भोजन के साथ हमारे शरीर में प्रवेश करता है और जिसके विघटन होने के कारण यूरिक एसिड का निर्माण होता है। इसके अलावा जब व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और व्यक्ति बीमार पड़ जाता है तो, उस समय भी यूरिक एसिड का निर्माण शरीर में तेज़ी से होता है। लेकिन खानपान की गलत आदतों के कारण यूरिक एसिड सबसे ज्यादा बनता है। साथ ही जो लोग अधिक प्रोटीन वाला आहार जरुरत से ज्यादा लेते हैं, उनको भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर में प्रोटीन की मात्रा धीरे–धीरे बढ़ने के कारण यूरिक एसिड तेज़ी से बढ़ता है, जिसके कारण किडनी इसे शरीर से बाहर निकालने में असमर्थ हो जाती है।

यूरिक एसिड बढ़ने के क्या कारण है?

हमारे शरीर में कोई भी समस्या बिना कारण से नहीं होती, ठीक उसी प्रकार यूरिक एसिड होने के पीछे कई कारण है। आपने ऊपर यूरिक एसिड बढ़ने के मूल कारणों के बारे में विस्तार से जाना, लेकिन इनके अलावा अन्य कुछ और भी ऐसे कई कारण है जिनकी वजह से शरीर में यूरिक एसिड बन सकता है जो कि निम्नलिखित है :-

  • तेज़ी से वजन घटाने की प्रक्रिया या अचानक वजन घटने के कारण से यूरिक एसिड बढ़ता है,
  • लंबे समय तक उपवास रखने के बाद अचानक खाने से,
  • रक्त में प्रोटीन और आयरन की अधिक मात्रा से,
  • प्युरिन वाला भोजन अधिक लेने से और अधिक मात्रा में प्रोटीन लेने से,
  • किडनी द्वारा यूरिक एसिड का निष्काशन ना होना,
  • पेशाब की मात्रा बढ़ाने वाली दवाओं का अधिक सेवन करना,
  • मधुमेह और उच्च रक्तचाप की दवाओं का अधिक सेवन करना,
  • समुद्री आहार (SEA FOOD) और लाल मांस का अधिक सेवन करने से,
  • अल्कोहल का (विशेषकर रेड वाइन) अधिक सेवन करने से,
  • दाल, राजमा, लोभिया, काबुली चने, काले चने के अधिक सेवन से,
  • मटर, पनीर, चावल, भिन्डी, अरबी, मशरूम, पालक, फुलगोभी, टमाटर, चावल आदि को अधिक मात्रा में लेने से,
  • कुछ लोगो में यह रोग वंशानुगत भी होता है,
  • और अधिक मिठाई या मीठा खाने से।

यूरिक एसिड होने के लक्षण क्या है?

यूरिक एसिड की समस्या होने पर शरीर में निम्नलिखत बदलाव या लक्षण दिखाई देते हैं जिनकी पहचान कर आप इस बीमारी के बारे में जान सकते हैं –

  • पैरों और जोडो में दर्द,
  • एड़ियों में दर्द रहना,
  • उँगलियों में दर्द रहना,
  • उँगलियों के जोड़ो में ऐठन और दर्द,
  • रक्त शर्करा लगातार बढ़ना,
  • बैठे-बैठे पैरों में सूजन आना,
  • पेशाब से जुड़ी समस्याएँ होना,
  • अधिक समय तक बैठने के उठने में एड़ियों में असहनीय दर्द होना,
  • चलने-फिरने पर घुटनों में दर्द होता,
  • सोते समय पैर में जकड़न होना।

बढ़ते यूरिक एसिड को कम करने के लिए कौन-सी आयुर्वेदिक औषधियां उपयोगी है?

आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा किसी भी प्रकार के रोग से बड़ी आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर आप बढ़ते यूरिक एसिड की समस्या से जूझ रहे हैं तो, आप चिकित्सक की सलाह से निम्न वर्णित आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग कर इस गंभीर समस्या से छुटकारा पा सकते हैं :-

गोरखमुंडी – शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर अक्सर पेशाब से जुड़ी कई समस्याएँ हो जाती है, जैसे – पेशाब करते समय जलन होना, झागदार पेशाब आना या कम पेशाब आना। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए गोरखमुंडी बहुत लाभदायक है। इसकी मदद से यूरिक एसिड से भी राहत मिलती है।

वरुण –  यह प्राकृतिक रूप से किडनी के स्टोन की समस्या को ठीक करता है, शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से किडनी में स्टोन बनने की आशंका बढ़ जाती है। यह आयुर्वेदिक औषधि खून को साफ कर पेशाब के जरिये यूरिक एसिड को शरीर से बाहर करने में मदद करती है।

पलाश –  पलाश एक पेड़ है, जिस पर लाल या नारंगी रंग के फूल लगते हैं। यह फूल ठंडक देने वाले होते हैं और यह फूल यूरिन के फ्लो को नियमित करने में मदद करते हैं। जब यूरिन का फ्लो सुचारू होता है तब यूरिक एसिड पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। साथ ही यूरिन पास करने के दौरान होने वाली जलन से भी आराम देने में मददगार हैं।

गुदुची –  गुदुची में एस्ट्रिन्जेंट गुण होते हैं, जिसके कारण यूरिनरी दिक्कतों के इलाज के लिए यह एक बेहतरीन जड़ी-बूटी है। जब कोई व्यक्ति यूरिन से जुड़ी किसी समस्या से जूझता है तब शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा काफी बढ़ जाती है, ऐसे में अगर चिकित्सक की सलाह से गुदुची का प्रयोग किया जाए तो पेशाब से जुड़ी समस्या से छुटकारा मिल  सकता है, जिसके कारण यूरिक एसिड पेशाब के जरिये शरीर से बाहर चला जाता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा बीते कई वर्षो से किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे हमारे शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से आयुर्वेदिक किडनी उपचार करते आ रहे हैं, जिसकी बागडौर वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा ना केवल भारत में बल्कि विश्वभर में 48 हज़ार से भी ज्यादा किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है, वो भी आयुर्वेदिक किडनी डायलिसिस उपचार या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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