किडनी ब्लड से गंदगी व तरल पदार्थ को फिल्टर जो की पेशाब में पाया जाता है। क्रोनिक किडनी रोग एक उन्नत चरण तक पहुंचता है, खतरनाक तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट्स और अपशिष्ट पदार्थ आपके शरीर में बना सकते हैं। यदि यह स्थिति लंबे समय तक रहती है, तो यह किडवी की विफलता का कारण बन सकती है। “आयुर्वेद में क्रिएटिनिन लेवल ट्रीटमेंट”
क्रिएटिनिन क्या है?
क्रिएटिनिन एक खराब प्रोडक्ट है जो सामान्य रूप से हमारे रोज के पहनने वाले कपड़ो व शरीर की मांसपेशियों पर होता हैं। शरीर के ब्लड में क्रिएटिनिन पाया जाता हैं। किसी भी कारण से किडनी बिगड़ सकता है। किडनी द्वारा क्रिएटिनिन की सफाई ना होने के कारण ब्लड में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ता है। क्रिएटिनिन में असामान्य वृद्धि से किडनी की एक संभावित खराबी का संकेत मिलता है। यह मुख्य कारण है कि ब्लड में क्रिएटिनिन की मात्रा की जांच के लिए स्टैंडर्ड ब्लड टैस्ट किया जाना चाहिए। “आयुर्वेद में क्रिएटिनिन लेवल ट्रीटमेंट”
लक्षण
किडनी रोग के प्रारंभिक दौर में, लक्षण व संकेत दिखाई नहीं दे सकते हैं। किडनी की बीमारी तब तक स्पष्ट नहीं हो सकती जब तक आपकी किडनी की कार्यप्रणाली कमजोर न हो जाए। किडनी की बीमारी के धीमे प्रगतिशील लक्षण मस्तिष्क, थकान, कमजोरी, उल्टी, और शोफ, पेशाब में प्रोटीन, मांसपेशियों की ऐंठन, पेट में दर्द और सांस लेने मों परेशानी, हाईपरटेंशन, त्वचा में खुजली। “आयुर्वेद में क्रिएटिनिन लेवल ट्रीटमेंट”
कारण
इसमें कई जोखिम कारक शामिल हैं जो इस स्थिति के प्रभाव को बढ़ाते हैं। जैसे कि धूम्रपान, मोटापा, बुढ़ापे, इस रोग का पारिवारिक इतिहास। यदि इन लक्षणों में से कोई भी लंबे समय तक रहता है, तो आपको तुरंत एक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। सही इलाज किडनी की बीमारी के चरण (स्टेज) की पुष्टि करेगा और इसके अनुसार आपका इलाज किया जाएगा। इस बीमारी के अंतिम चरण में कई लोग किडनी ट्रांसप्लॉट या डायलिसिस करवाते है। ये दोनों ही महंगे एलोपैथिक इलाज हैं। इसके अलावा, डायलिसिस में, एंडोर्फिन स्तर को सही नहीं किया जा सकता है। “आयुर्वेद में क्रिएटिनिन लेवल ट्रीटमेंट”
स्वस्थ जीवनशैली
आयुर्वेद चिकित्सकों ने भी हर्बल दवाइयों के साथ किडनी रोगियों के लिए एक सही डाइट की सोडना बनाई है। किडनी अगर पहले से ही खराब हो चुकी हैं तो कम प्रोटीन और सोडियम वाले डाइट का सेवन करना जरूरी है, क्योंकि इसे फिलटर करना आसान होता है। संसाधित खाने से पूरी तरह से बचना चाहिए और ताज़ा पका हुआ भोजन का सेवन ही किया जाना चाहिए। नियमित व्यायाम आपके वजन और कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। यह मैटाबालिज़म को भी बढ़ाता है और किडनी को फिर से स्वस्थ्य बनाता है। “आयुर्वेद में क्रिएटिनिन लेवल ट्रीटमेंट”
आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेदा एक प्राकृतिक विज्ञान है जो की कुछ जड़ी-बूटियों का उपयोग करके मन, शरीर और आत्मा का इलाज करती है। उपचार में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरुण और शिरीष हैं। ये जड़ी बूटियां किडनी की बीमारी को ठीक करने और रोग के लक्षणों को कगम करती है हैं। “आयुर्वेदिक क्रिएटिनिन उपचार”
कर्मा आयुर्वेदा एशिया में आयुर्वेदिक केंद्रों में सबसे प्रसिद्ध नामों में से एक है। यह 1937 में शुरू हुआ था। इसके बाद कर्मा आयुर्वेदा द्वारा पूरे विश्व के कई किडनी रोगियों को ठीक किया गया। उन्होंने सफलतापूर्वक हजारों किडनी रोगियों के साथ अपने संपूर्ण प्राकृतिक और ऑरगेनिक उपचार तकनीक का इलाज किया है। “आयुर्वेद में क्रिएटिनिन लेवल ट्रीटमेंट”