भारतीय घरों में तुलसी को बेहद पवित्र माना जाता हैं (तुलसी या ओक्रिमम गर्भगृह भी कहते हैं)। यह एक प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में आती हैं जिसका इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से हर प्रकार की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता हैं। तुलसी के पत्ते को ऐसा भी खाया जा सकता हैं और चाय के रूप में लिया जाता हैं। तुलसी को एक अनुकूलन के रूप में माना जाता हैं। यह चिंता, अधिवृक्क थकान, हाइपोथायरायडिज्म, असंतुलित रक्त शर्करा और मुंहासे को दूर करने के लिए यह एक प्राकृतिक उपाय हैं। तुलसी की चाय प्रतिरक्षा प्रणाली, श्वसन प्रणाली, पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र का समर्थन करती हैं। इसमें रोगाणुरोधी और इम्यूनो-मॉडुलेटरी गुण हैं।
तुलसी शब्द का अर्थ हैं “अतुलनीय पौधा”। तुलसी भारत में सबसे पवित्र भारत में सबसे पवित्र जड़ी-बूटी माना जाती हैं और इसे जड़ी-बूटियों की रानी भी कहा जाता हैं। यह एशिया के दक्षिण भाग जैसे थाईलैंड, भारत और हिंदू प्रभावित देशों में पाई जाती हैं। हिन्दू पिछले पांच हजार सालों से तुलसी की सुबह की और शाम पूजा करते आए हैं। इसके प्रभावी फायदों की वजह से ये भारत में ही नहीं, दुनिया भर में जानी जाती हैं। तुलसी का रंग, आकार, गुणों और उपयोगिता के आधार पर तुलसी की लगभग 35 प्रजातियों की अब तक पहचान की जा चुकी हैं। तुलसी को मीठी, तुलसी के नाम से भी जाना जाता हैं। तुलसी लामिकेयम परिवार से संबंधित हैं जिसका पौधा 20 से 50 सेमी लंबा होता हैं। ये सीधार बढ़ने वाली झाड़ी युक्त पौधा हैं जिसकी पत्तियां समूह के रूप में होती हैं जो अंडाकर होती हैं। इसकी पत्तियां रही होती हैं, लेकिन कुछ पत्तियां बैंगनी रंग की पत्तियां भी होती हैं। इसमें छोटे-छोटे फूल होते हैं जिसमें चीया बीज की तरह दिखने वाले बीज होते हैं। तुलसी के बीजों में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को अच्छा करने में मदद करती हैं।
तुलसी के फायदे -
- खांसी के लिए – तुलसी खांसी के सिरप में एक महत्वपूर्ण घटक होते हैं, लेकिन खांसी के सिरप खरीदने की बजाए, आप घर में ही एक अच्छी घरेलू औषधि बना सकते हैं जो उतनी ही असरदार होती हैं। बस आपको 8 तुलसी के पत्ते और पांच लौंग एक कप पानी में डालें और दस मिनट के लिए इसे उबालें, इसमें स्वाद अनुसार नमक भी डाल सकते हैं। इसे ठंड़ा होने के लिए छोड़ दें और फिर खांसी में राहत पाने के लिए पिएं। खांसी में वजह से हुई खराश के लिए, तुलसी के पत्तों को पानी में उबालें और उसके गरारे करें।
- सर्दी और जुकाम – तुलसी के पत्ते बुखार और जुकाम को खत्म करने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। सर्दी और जुकाम से राहत के लिए कुछ ताजा तुलसी के पत्ते चबा लें। बरसात के मौसम में मलेरिया और डेंगू बुखार का खतरा होता हैं, इसलिए तुलसी को पानी में उबालने के बाद तुलसी के कोमल पत्तियों का सेवन करें, ये बुखार से बचाता हैं। जब ज्यादा तेज़ बुखार से पीड़ित हों, तुलसी की पत्तियों को एक कप पानी में इलायची पाउडर के साथ उबालकर काढ़ा बनाकर दिन में कई बार पिएं। तुलसी के पत्तों का रस तेज़ बुखार को कम करता हैं। साथ ही सर्दी, जुकाम में तुलसी, अदरक और काली मिर्च की दूध वाली चाय पिएं इससे बहुत आराम मिलेगा।
- तनाव दूर करें – तुलसी के पत्ते तनाव को दूर करते हैं। रिसर्च से पता चला है कि तुलसी की पत्तियां तनाव के खिलाफ अहम सुरक्ष करती हैं। तुलसी ऊर्जा और ध्याम बढ़ाने के लिए भी काम करती हैं, जिससे यह दोनों तनाव को दूर करने में मदद करती हैं और शरीर के अंगों से तनाव को दूर करती हैँ। डॉक्टर भी तुलसी के 10 से 12 पत्ते, दिन में दो बार, चबाने की सलाह देते हैं, क्योंकि तनाव और बीमारियों को रोकता हैं, इसलिए हो सके तो तुलसी के पत्तों के रोज़ चबाएं।
- इम्यूनिटी को ठीक करना – ताजा तुलसी के पत्ते रोज़ खाने से आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। तुलसी का इस्तेमाल सांस संबंधी परेशानियों का इलाज। अस्थमा जिसमें से एक हैं। अन्य समस्या जैसे – ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों में इंफेक्शन का इलाज करने में भी मदद करती हैं जो आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का कारण बनती हैं। शरीर में इंफेक्शन से लड़ने वाली एंटीबॉडी के उत्पादन में 20 प्रतिशत तक बढ़ोती होती हैं।
- आंखों के लिए – 100g ताजा तुलसी की पत्तियां विटामिन-ए की खुराक को पुरा करती हैं। विटामिन-ए में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं और वह स्वस्थ द्दष्टि के लिए आवश्यक हैं। ताजा तुलसी का रस आंखों की सूजन और रतौंधी के लिए अच्छा होती हैं वैसे ये विटामिन-ए की कमी को वजह से होती हैं। आंखों की सूजन के लिए रोज़ बिस्टर पर जाने से पहले प्रभावित आंख में काली तुलसी के रस की दो बूंद डालें।
- चेहरे के लिए – तुलसी एक ऐसी जड़ी-बूटी हैं जो मुंहासे और मुंहासे के घावों को रोकती है। ताजा तुलसी के रस को त्वचा पर लगाने से बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। बैक्टीरिया त्वचा के रो छिद्र बंद होने और मुंहासे होने की वजह हैं। अगर आपको पहले से ही मुंहासे हैं तो जीवाणुओं को नष्ट करने हेतु प्रभावित क्षेत्र पर तुलसी के रस को लगाएं। तुलसी दाद, सोरायसिस और कीड़े के काटने जैसी अन्य त्वचा की समस्याओं के इलाज के लिए भी इस्तेमाल की जाती हैं। ताजा तुलसी के रस चेहरे की सूजन और जलन को भी कम करता हैं।
- सरदर्द – सरदर्द के लिए तुलसी अच्छी एक दवा के रूप मानी जाती हैं, क्योंकि, ये मांसपेशियों को आराम देती हैं। तुलसी और चंदन के पेस्ट को माथे पर लगाने से तुरंत तनाव और तंग मांसपेशियों की वजह से हो रहे दर्द से राहत मिलती हैं, इसलिए आपको एक दिन में दो बार तुलसी की चाय पी सकते हैं। तुलसी की चाय बनाने के लिए एक कप उबले हुए पानी में कुछ ताजा पुलसी की पत्तियों को डालें और कुछ मिनट के लिए छोड़ दें, फिर चाय को छान लें और धीरे-धीरे पिएं। इससे आपके सरदर्द में आराम मिलेगा। हल्के सरदर्द में आप तुलसी के पत्ते भी चबा सकते हैं।
- पेट में दर्द – तुलसी पाचन तंत्र को मजबूत करती हैं। इसकी पत्तियों से तुलसी का रस निकालकर पेट में दर्द या ऐंठन के इलाज के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। तुलसी के रस की एक चम्मच और अदरक के रस की एक चम्मच को समान्य राशि में मिलाकर तुरंत पेट दर्द को कम करता है। इसके अलावा अन्य आम पेट संबंधि समस्याएं जैसे – कब्ज, अपच, बवासीर, अम्लता या मासिक धर्म के दर्द को कम करने के लिए भी तुलसी की चाय की इस्तेमाल किया जाता हैं।
- किडनी स्टोन – किडनी की कार्यप्रणाली को मजबूत करने के लिए तुलसी सबसे अच्छी मानी जाती हैं। तुलसी एक डिटोक्सिफायर और हल्के मूत्रवर्धक होने की वजह से शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद करती हैं। तुलसी पेशाब की बढ़ती आवृत्ति के माध्यम से किडनी को साफ करने में भी मदद करती हैं। किडनी के समग्र कामकाज में सुधार लाने के लिए, खाली पेट पानी के साथ 5 से 6 ताजा तुलसी के पत्तों का सेवन करें। अगर आपको किडनी में पथरी है तो तुलसी के ताजा रस को शहद की समान राशी के साथ मिला लें। 5 से 6 महीनें तक रोज इसका सेवन करें, ये पेशाब मार्ग से किडनी की पथरी को खत्म करने में मदद करेगी।
- कैंसर के लिए – नुट्रिशन और कैंसर के रिसर्च के अनुसार, तुलसी में फाइटोकेमिक्लस होते हैं जो प्राकृतिक रूप से त्वचा के कैंसर, लिवर के कैंसर, मौंखिक कैंसर, और फेफड़ों को रोकने में मदद करता हैं।
तुलसी के नुकसान –
- तुलसी की उच्च खपत से यूगनल स्तर बढ़ सकते हैं जो हमारे शरीर के लिए विषाक्त साबित हो सकती हैं।
- तुलसी हमारे शरीर में रक्त को पतला कर सकती हैं और इसलिए इसे अन्य विरोधी थक्के दवाओं के साथ नहीं लिया जाता चाहिए।
- अगर लोग मधुमेह या हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित हैं और दवा के तहत तुलसी का भी इस्तेमाल करते हैं तो इससे रक्त शर्करा में अत्यधिक कमी हो सकती हैं।
- तुलसी गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन को प्रोत्यसाहित करती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रों में से एक हैं जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल को डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। यहां आयुर्वेदिक इलास के अलावा किसी ओर पर विश्वास नहीं किया जाता हैं। साथ ही उन्होंने आयुर्वेदिक किडनी उपचार से 3 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया हैं। आयुर्वेदिक दवा किडनी का रामबाण इलाज हैं। डॉ. पुनीत ने भारत के मरीजों को ही नहीं बल्कि दुनिया भर से आए किडनी रोग से पीडित मरीजों को ठीक किया हैं। आयुर्वेदिक किडनी दवाओं में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों को इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे आपको कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। यहां डायलिसिस या किडनी ट्रांस्प्लांट के बिना किडनी का इलाज किया जाता है। आयुर्वेदिक दवाओं में पुनर्नवा, शिरीष, गोखरू, पलाश, लाइसोरिस रूट आदि जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं, जो रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं।