किडनी मनुष्य के शरीर का सबसे जरूरी अंग है। यह हमारी शरीर में बहने वाले खून को साफ करने का सबसे जरूरी काम करती है। किडनी अपने नेफ्रोन की मदद से खून में मौजूद सातरे अपशिष्ट उत्पादों जैसे – क्षार, अम्ल, पोटेशियम, अतिरिक्त शर्करा, प्रोटीन और भी कई अन्य कई गैर जरूरी उत्पादों को खून से अगल कर उन्हें पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी के इस काम से शरीर में भी रसायनों के बीच एक संतुलन बना रहता है जिसके कारण शरीर सही से विकास कर पाता है और स्वस्थ बना रहता है।
लेकिन कई बार किडनी में आई किसी समस्या के कारण किडनी अपने इस काम को नहीं कर पाती जिसके चलते व्यक्ति को कई समस्याओं का समाना करना पड़ता है। यूँ तो किडनी से जुडी हुई कई समस्याएँ है लेकिन उसमे से एक समस्या है प्रोटीनुरिया। जिस प्रोटीन के सहारे से पुरे शरीर का विकास संभव होता है उसी प्रोटीन के कारण किडनी बीमार हो जाती है और समय रहते अगर इससे निजात ना पाई जाए तो किडनी खराब भी हो सकती है। आज इस लेख में हम प्रोटीनुरिया पर चर्चा करेंगे
प्रोटीनुरिया क्या है?
प्रोटीनुरिया किडनी से संबंधित एक गंभीर समस्या है, जो कि शरीर में प्रोटीन में कि अधिकता होने के कारण हो जाती है। प्रोटीन हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है, बिना प्रोटीन के शरीर का विकास नहीं हो सकता। लेकिन जब इसकी मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है तो यह किडनी के काम रूकावट बनने लगता है।प्रोटीन हमारे रक्त में पाया जाता है, रक्त में पाए जाने वाले प्रोटीन को एल्बुमिन कहा जाता है। रक्त में मौजूद प्रोटीन हड्डियो को मजबूत करने के साथ हड्डियों के विकास में ही मदद करता है, इसके अलावा प्रोटीन मांसपेशियों को बनने में मदद करता है।
स्वस्थ किडनी शरीर में प्रोटीन को प्रवाह करने में मदद करती है और अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से निकाल कर पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। लेकिन जब किडनी में आई किसी समस्या के चलते या प्रोटीन की अधिकता के कारण किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिसके कारण प्रोटीन शरीर से बाहर जाने लगता है। एक स्वस्थ किडनी जहां प्रोटीन को शरीर के विकास में प्रयोग करती है वहीं खराब किडनी इसे शरीर से बाहर निकाल देती है। पेशाब में प्रोटीन आना नेफ्रोटिक सिंड्रोम होने की तरफ संकेत करता है।
प्रोटीनुरिया होने के क्या कारण है?
जब किसी के शरीर में प्रोटीन अधिक हो जाता है तो उसे प्रोटीनुरिया होने की आशंका ज्यादा हो जाती है। वैसे तो शरीर में प्रोटीन की अधिकता कई कारणों से हो सकती है, लेकिन इसके पीछे निम्न वर्णित कारण मुख्य है
- किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त होने के कारण - जब किसी कारण के चलते किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या काम किसी अन्य कारण से किडनी काम करने में समर्थ नहीं होती तो उस दौरान किडनी प्रोटीन को रक्त के साथ शरीर में प्रवाहित करने में असक्षम होती हैं। इस कारण प्रोटीन पेशाब के द्वारा शरीर से बहार आने लगता है, जिसे प्रोटीन लोस और प्रोटीनुरिया के नाम से जाता है।
- प्रोटीनकी मात्रा आवश्यकता से अधिक होने पर -जब शरीर में प्रोटीन की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाए, उस दौरान भी प्रोटीन पेशाब के साथ शरीर से बहार आने लगता है। शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा कई कारणों से हो सकती है, जैसे प्रोटीन युक्त आहार क्या सेवन, सप्लीमेंट्स, प्रोटीन पाउडर आदि का अधिक सेवन करना। प्रोटीनुरिया होने का यह कारण पहले कारण से थोड़ा कम गंभीर है। लेकिन अगर इसका समय पर इलाज ना किया जाए तो इससे किडनी खराब हो सकती है। इसके आलावा इससे अचानक रक्त शर्करा का स्तर गिर सकता है, जिससे व्यक्ति को किडनी के अलावा और भी कई गंभीर परिणामों से गुजरना पड़ता है।
- मधुमेह होने के कारण – यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से मधुमेह की बीमारी से जूझ रहा है तो उसे प्रोटीनुरिया की समस्या होने का खतरा रहता है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे किडनी को रक्त शोधन करने में बाधा होने लगती है। रक्त में शर्करा की मात्रा होने से किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगते है। फिल्टर्स खराब होने के कारण किडनी प्रोटीन को रक्त में प्रवाह ही कर पाती, जिससे प्रोटीनुरिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- उच्च रक्तचाप होने के कारण – रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा होती है। लगातार उच्च रक्तचाप होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे किडनी को कार्य कार्य करने में समस्या होती है साथ ही उसके फिल्टर्स पर भी असर पड़ता हैं। किडनी पर दबाव होने के चलते वह प्रोटीन की संतुलित मात्रा को रक्त में नहीं पहुंचा पाती। ऐसे में किडनी शरीर में प्रोटीन का सन्तुलन नहीं बना पाती जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा धिक् हो जाती है और प्रोटीनुरिया जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन - जो लोग अभिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं, लेकिन प्रोटीन की खपत पूरी तरह नहीं हो पाती ऐसे में पेशाब में प्रोटीन आने की समस्या हो सकती है। जिम जाने वाले युवा प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन करते हैं उन्हें यह समस्या होने का अधिक खतरा रहता है। अधिक मात्रा में प्रोटीन युक्त आहार जैसे – रेड मीट, सोया, पनीर आदि, खाने से भी प्रोटीनुरिया की समस्या हो सकती है।
- किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास – जिन लोगो के परिवार में पहले से किडनी से जुडी कोई समस्या पहले से रही हो उनको भी प्रोटीनुरिया की समस्या होने का खतरा रहता है। इसमें पोलिसिस्टक किडनी रोगी को यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है।
प्रोटीनूरिया होने इसकी पहचान कैसे की जाए?
जब किसी व्यक्ति को प्रोटीनूरिया की समस्या होती है तो उसके शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं जिनकी मदद से इस गंभीर समस्या का आसानी से पता लगाया जा सकता है। प्रोटीनूरिया के दौरान निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं -
- हाथ, पैर, चेहरे पर अचानक सूजन
- झागदार पेशाब आना
- पेशाब के रंग में परिवर्तन
- सांस लेने में तकलीफ
- सिने में दर्द और दबाव होना
- मधुमेह होने पर अधिक पेशाब आना या कम पेशाब आना
- पेशाब की मात्रा में परिवर्तन
- देर रात को बार-बार पेशाब आन आदि।
प्रोटीनूरिया में आयुर्वेद की मदद से पाया जा सकता है निदान:
अगर आप या आपका कोई अपना प्रोटीनूरिया की समस्या से जूझ रहा है तो आपको आयुर्वेदिक उपचार ही लेना चाहिए। क्योंकि प्रोटीनुरिया के दौरान एलोपैथी दवाओं के सेवन से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ जाती है, लेकिन आयुर्वेदिक औषधियां शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालती। इसलिए ऐसे में हम आपको एलोपैथी के बजाय आयुर्वेदिक उपचार लेने की सलाह देंगे। प्रोटीनूरिया की समस्या में निम्नलिखित औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन आप चिकित्सक की सलाह के बिना औषधियों का सेवन ना करें :-
- गोखरू किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। यह औषधि ना केवल किडनी के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह और भी कई बीमारियों में लाभकारी है। गोखरू की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए इसका प्रयोग सर्दियों में करने की सलाह दी जाती है। गोखरू के पत्ते, फल और इसका तना तीनों रूपो में उपयोग किया जाता है, इसके फल पर कांटे लगे होते हैं। किडनी के लिए गोखरू किसी वरदान से कम नहीं है। गोखरू कई तरीकों से किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है, जिससे प्रोटीनूरिया की समस्या नहीं होती।
- गिलोय की बेल की तुलना अमृत से की जाए तो गलत नहीं होगा। इस बेल के हर कण में औषधीय तत्व मौजूद है। इस बेल के तने, पत्ते और जड़ का रस निकालकर निकालकर प्रयोग किया जाता है। इसका खास प्रयोग गठिया, वातरक्त (गाउट), प्रमेह, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तेज़ बुखार, रक्त विकार, मूत्र विकार, डेंगू, मलेरिया जैसे गंभीर रोगों के उपचार में किया जाता है।
- पुनर्नवा,इस जड़ी बूटी का नाम दो शब्दों - पुना और नवा से प्राप्त किया गया है। पुना का मतलब फिर से नवा का मतलब नया और एक साथ वे अंग का नवीकरण कार्य करने में सहायता करते हैं जो उनका इलाज करते हैं। यह जड़ीबूटी किसी भी साइड इफेक्ट के बिना सूजन को कम करके गुर्दे में अतिरिक्त तरल पदार्थ को फ्लश करने में मदद करती है। यह जड़ीबूटी मूल रूप से एक प्रकार का हॉगवीड है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक किडनी डायलिसिस उपचार और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित को बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।