एक्यूट किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज

अल्कोहोल और किडनी रोग

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एक्यूट किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज

आजकल बहुत से लोग किडनी की समस्या से परेशान हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई असामान्यताएं और लक्षण हैं जो बहुत सी जटिलताएं पैदा कर देती है। यह एक्यूट किडनी फेल्योर या एक्यूट किडनी डिजीज वह स्थिति है, जहां किडनी रक्त से तरल पदार्थों से अतिरिक्त नमक को शुद्ध करने की स्थिति में नहीं होती है। जब शरीर में किडनी निस्पंदन की क्षमता खो देती है तब खतरनाक स्तर उच्चतम स्तर पर आ जाता है। यह किडनी फेल्योर का सबसे डराने वाला हिस्सा है और साथ ही कई कष्ट भी दे सकता है। इस स्टेज को किडनी की चोट या तीव्र किडनी फेल्योर के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन एलोपैथी में इसका कोई सफल इलाज नहीं है, एक्यूट किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज अपनाएं।

एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण

  • एक्यूट ट्यूबलर नेफ्रोसिस
  • शरीर का निर्जलीकरण
  • शरीर में जहर घुला रहता हैं

अन्य कारण

यह भी देखा गया है कि रक्त की कम दर भी किडनी को नष्ट कर सकती है और किडनी फेल्योर का कारण बन सकती है। इसके लिए अन्य कारकों में शामिल है जैसे कि, शरीर में कम बीपी, जलना, डीहाइड्रेशन, आंतरिक शरीर में चोट और सर्जरी।

  • लॉ बीपी एक्यूट किडनी
  • शरीर में जलन
  • डीहाईड्रेशन
  • शरीर में अंदुरूनी चोट
  • सर्जरी

कई ऐसे जोखिम कारण हैं जो किडनी फेल्योर में शामिल हैं जो रोगियों के शरीर को प्रभावित कर सकती है जैसे कि:-

  • किडनी खराब होना
  • लीवर फेल्योर
  • मधुमेह
  • हाई बी.पी.
  • दिल का दौरा
  • मोटापा

एक्यूट किडनी फेल्योर में दिखाई देते हैं ये लक्षण

एक्यूट किडनी फेल्योर के निदान में किडनी की कार्यक्षमता में अचानक रूकावट होने से अपशिष्ट उत्पादों का शरीर में तेजी से संचय होता हैं और पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन में गड़बड़ी हो जाती हैं। इन कारणों से रोगी में किडनी की खराबी के लक्षण तेजी से विकसिज होते हैं। यह लक्षण अलग-अलग मरीजों में अलग-अलग प्रकार के कम या ज्यादा मात्रा में हो सकते हैं।

  • भूख कम लगना, जी मिचलाना, उल्टी होना, हिचकी आना
  • एक्यूट किडनी फेल्योर में दोनों किडनी की कार्यक्षमता अल्प अवधि में थोड़े दिनों के लिए कम हो जाती है।
  • पेशाब का कम या बंद हो जाना
  • चेहरे, पैर और शरीर में सूजन होना, सांस फूलना, ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना
  • दस्त, उल्टी अत्यधिक रक्तस्त्राव, रक्त की कमी, तेज बुखार आदि किडनी फेल्योर के कारण भी हो सकते हैं।
  • उच्च रक्तचाप से सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, शरीर में ऐंठन या झटके, खून की उल्टी और असामान्य दिल की धड़कन और कोमा जैसे गंभीर और जानलेना लक्षण भी किडनी फेल्योर के कारण बन सकते हैं।
  • किडनी फेल्योर के लक्षणों के अलावा जिन कारणों से किडनी खराब हो, उस रोग के लक्षण भी मरीज में दिखाई देते हैं, जैसे जहरीले मलेरिया में ठंड के साथ बुखार आना।

एक्यूट किडनी फेल्योर का निदान

यदि आपके शरीर में संकेत और लक्षण बताते हैं कि, एक्यूट किडनी फेल्योर से ग्रसित है, तो डॉक्टर बीमारी की पृष्टि करने के लिए कुछ जांच और प्रक्रियाओं की सिफारिश कर सकते हैं जिसमें कुछ निम्न शामिल है जैसे:-

  • यूरिन उत्पादन को मापना - आपके द्वारा एक दिन में उत्सर्जित की गई यूरिन की मात्रा, चिकित्सक को आपकी किडनी की खराबी के कारण को निर्धारित करने में मदद कर सकती है।
  • यूरिन जांच - यूरिन विश्लेषण प्रक्रिया द्वारा आपके यूरिन के नमूने का विश्लेषण करने से उन असामान्यताओं का पता चल सकता है, जो किडनी की खराबी को बढ़ाती है।
  • खून की जांच - आपके खून की जांच यूरिया और क्रिएटिनिन के तेजी से बढ़ते स्तरों को प्रकट कर सकते हैं।
  • इमेजिंग टेस्ट - अल्ट्रासाउंड और कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी सीटी (Computerized tomography) जैसे इमेजिंग टेस्ट, डॉक्टर द्वारा आपकी किडनी का निरीक्षण करने में मदद कर सकते हैं।
  • जांच के लिए किडनी के ऊतक का नमूना लेना - इस स्थितियों में डॉक्टर प्रयोगशाला जांच के लिए किडनी के ऊतक के एक छोटे से नमूने को निकालने के लिए किडनी की बायोप्सी की सिफारिश कर सकते हैं। किडनी के ऊतक का नमूना लेने के लिए डॉक्टर एक पतली सुई आपकी स्किन के माध्यम से किडनी में डाल सकते हैं।

एक्यूट किडनी फेल्योर का प्राकृतिक इलाज

  • किडनी के काम नहीं करने की वजह से होने वाली तकलीफ या जटिलाओं को कम करने के लिए आहार में परहेज करना जरूरी होता है।
  • यूरिन की मात्रा को ध्यान में रखते हुए पानी और अन्य पेय पदार्थ को कम लेना चाहिए, जिससे सूजन और सांस फूलने की तकलीफ से बचा जा सके।
  • रक्त में पोटेशियम की मात्रा न बढ़े, इसके लिए फलों का रस, नारियल पानी, सूखा मेवा आदि नहीं लेना चाहिए। अगर रक्त में पोटेशियम की मात्रा बढती है, तो यह दिल पर जानलेवा प्रभाव डाल सकती है।
  • नमक का परहेज करें क्योंकि यह सूजन, हाई ब्लड प्रेशर, सांस की तकलीफ और अधिक प्यास लगने जैसी समस्याओं को नियंत्रण में रखता है।

एक्यूट किडनी फेल्योर बचने के तरीके

  • फिट रहें - नियमित रूप से एरोबिक व्यायाम और दैनिक शारीरिक गतिविधियां, ब्लड प्रेशर सामान्य रखने में और रक्त शर्करा को नियंत्रण करने में मदद करती है। इस तरह से शारीरिक गतिविधियां, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम कर देती है और इसी प्रकार सी.के.डी. के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • संतुलित आहार लें - ताजे फल और सब्जियां युक्त आहार लें। आहार में परिष्कृत खाघ पदार्थ, चीनी, फेट और मांस का सेवन घटाना चाहिए। वह लोग जिनकी उम्र 40 के ऊपर है, भोजन में कम नमक लें, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और किडनी स्टोन के रोकथाम में मदद मिले।
  • वजन को नियंत्रण में रखें - हेल्दी भोजन और नियमित व्यायाम के साथ अपने वजन का संतुलन बनाए रखें। यह डायबिटीज, दिल का रोग और सी.के.डी. के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों को रोकने में मदद करता है।
  • धूम्रपान न करें - धूम्रपान करने से एथीरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना हो सकती है। यह किडनी में खून प्रवाह को कम कर देते हैं, जिससे किडनी के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। रिसर्च के मुताबिक, धूम्रपान की वजह से उन लोगों में जिनके अंतर्निहित किडनी डिजीज है या होने वाली है, उनके किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट तेजी से आती है।
  • ओ.टी.सी (ओवर द काउंटर) दवाईयों का सेवन - लंबे समय तक दर्द निवारक दवाई लेने से किडनी को नुकसान होने का भी रहता है। रोज ली जाने वाली दवाईयां जैसे – आईब्यूप्रोफेन, डायक्लोफेनिक, नेपरोसिन आदि किडनी को क्षति पंहुचाती है, जिससे अंत में किडनी फेल्योर हो सकता है। आप अपने दर्द को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी किडनी को किसी भी प्रकार से खतरे में न डालें।
  • पानी अधिक पिएं - रोज 3 लीटर से अधिक 10-12 गिलास पानी पिएं। पर्याप्त पानी पीने से यूरिन पतला आता है और शरीर से कभी विषाक्त अपशिष्ट पदार्थों को निकालने और किडनी स्टोन को बनने से रोकने में सहायता मिलती है।

इन परहेजों के साथ आप एक्यूट किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार या किडनी की कोई भी बीमारी में आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट अपना सकते हैं।

एक्यूट किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट

भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, जहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व सर्वश्रेष्ट आयुर्वेदाचार्य कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक किडनी उपचार पर भरोसा किया जाता है। साथ ही आयुर्वेदाचार्य ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखरू आदि। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं।

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां अपने सुंगंधित या औषधीय गुणों के लिए भोजन, स्वाद, दवा या सुगंध के लिए इस्तेमाल होती है। यह जड़ी-बूटियां पेड-पौधे के हरे पत्ते या फूलों वाले हिस्से को संदर्भित करती हैं, जबकि मसालें पौधो के अन्य भागों से बने होते हैं, जिसमें बीज, छोटे फल, जड़ और फल शामिल होते हैं। जड़ी-बूटियों के अनेक औषधीय व अध्यात्मिक इस्तेमाल होती हैं। यह जड़ी-बूटी के सामान्य इस्तेमाल पर पाक संबंधी जड़ी-बूटियां और औषधीय जड़ी-बूटियां और औषधीय जड़ी-बूटियां अलग है।

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