प्रकृति ने हमें ऐसी बहुत सी चीज़े दी है जिनके सेवन हम कई शारीरिक समस्याओं से बड़े आराम से दूर रह सकते हैं। जिनमे से कुछ का सेवन कर पाना बहुत आसान होता है तो कुछ का सेवन कर पाना बहुत मुश्किल होता है। अखरोट एक ऐसी ही चीज़ है जो कि खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही पौषक तत्वों से भी भरपूर होता है। लेकिन इसे खाने से पहले काफी मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि को खोलकर उसके अंदर के भाग को निकाल पाना काफी मुश्किल होता है। पर इसके पौषक तत्वों की प्राप्ति के लिए इतनी मेहनत तो करनी ही पड़ती है। आज के इस लेख में हम बाहर सख्त और अंदर पौषक तत्वों से भरपूर अखरोट के बारे में ही चर्चा करेंगे और जानेगे कि क्या इससे किडनी स्वस्थ रहती है या नहीं?
अखरोट का एक छोटा परिचय
भारत में केवल कश्मीर की वादियों में ही अखरोट का उत्पादन होता है। मूल रूप से अखरोट चीन और बाल्कन का फल है जो कि चीन के रास्ते होते हुए भारत आया था, फ़िलहाल अखरोट का सबसे बड़ा जंगल अफगानिस्तान में मौजूद है। यहाँ के अखरोट दुनिया के सबसे उत्तम अखरोटों में आते हैं। अखरोट की खेती समुद्र से 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर होती है व इसका पेड़ 100-120 फ़ीट तक बड़ा हो सकता है। शुरुआत में हिंदी में इसे अक्रोट कहा जाता था लेकिन समय के साथ यह अक्रोट से अखरोट हो गया। वहीं तेलुगू में ‘अक्रोट कया’, तमिल में ‘अक्रोटू’, मलयालम में ‘अक्रोटंडी’, कन्नड़ में ‘एक्रोटा’, मराठी में ‘अक्रोड’ और गुजरती एवं बंगाली में इसे अभी भी ‘अक्रोट’ ही कहा जाता है।
अखरोट के पौषक तत्व
अखरोट अपने अंदर कई प्रकार के पौषक तत्व समाएं हुए है, इसी कारण यह कई रोगो को दूर करने में एक अहंम भूमिका निभाता है। अखरोट पौषक तत्वों की बात कि जाए तो इसमें विटामिन C, थियामिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन B6, फोलेट, और विटामिन B12, E, K और विटामिन A मौजूद होने के साथ साथ कुछ मात्रा में केरोटीनोइड्स भी होते हैं। इसके साथ-साथ अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फ़ास्फ़रोस, पोटेशियम, जिंक, कॉपर आदि पौषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। वहीं अखरोट में बाकि नटों की भांति ही काफी मात्रा में प्रोटीन और फाइबर भी पाया जाता है। आपको बता दें कि लगभग 28 ग्राम अखरोट खाने से आपको 100% से ज्यादा ओमेंगा-3 फैटी एसिड मिलता है। अखरोट की तासीर गरम और खुश्क होती है, इसलिए इसका सेवन सर्दियों में करने की सलाह दी जाती है। इसका सेवन सर्दियों में शरीर को गरम रखने में मदद करता है। अखरोट का उपयोग आप गर्मियों में भी कर सकते हैं पर इसका अधिक सेवन करने से आपको किसी प्रकार की समस्या भी हो सकती है।
अखरोट कैसे किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है?
अपने पौषक तत्वों के कारण अखरोट हमें कई गंभीर रोगों से बचा कर रखता है। वैसे तो अखरोट की मदद से हम कई रोगों से मुक्ति पा सकते हैं, लेकिन इसके सेवन से हम कुछ ऐसी बीमारियों से दूर रहते हैं जिनकी वजह से निकट या दूरगामी भविष्य में किडनी खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। आपको ऊपर जाना कि सख्त और गर्म तासीर वाला अखरोट उन सभी पौषक तत्वों से भरपूर होता है जिनकी मदद से किडनी रोगों से दूर रहती है। इसलिए अगर आप भी अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो अखरोट खाना शुरू कर दीजिये। तो आइये जानते हैं की अखरोट हमें किन-किन समस्याओं से बचाता है, जिनकी वजह से हमारी किडनी खराब हो सकती है।
उच्च रक्तचाप को काबू रखे
अखरोट के सेवन से हमारे शरीर में रक्त प्रवाह की क्रिया सुचारु रूप से चलती है साथ ही हृदय भी स्वस्थ रहता है। परिणामस्वरूप हमारा हमारा रक्तचाप भी नियंत्रण में रहता है। यदि आप नियमित रूप से अखरोट का सेवन करे तो आपका उच्च रक्तचाप नियंत्रण में आने लगेगा। दरअसल, इसके अंदर पोटेशियम होता है जो कि रक्त में मौजूद सोडियम को कम करता है और रक्त वाहिकाओं को आराम देकर उन्हें फैलने में मदद करता है, जिससे रक्त का प्रवाह बिना किसी रूकावट के होता रहता है। जब शरीर में यह क्रिया होती है तो किडनी तक और हृदय तक खून बड़े आराम से पहुंचता है जिससे रक्तचाप उच्च नहीं होता और किडनी पर काम का बोझ नहीं पड़ता। आपको बता दें कि रक्त का चाप अधिक होना किडनी के लिए बहुत घातक होता है, क्योंकि इससे किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगते हैं जिससे किडनी खराब हो जाती है।
वजन कम करे
लोगो की यह धारणा है कि सभी किस्मों के नट्स के सेवन से वजन बढ़ता है। लेकिन बाकि नट्स के विपरीत अखरोट वजन कम करने में मदद करता है। अखरोट वजन कम करने के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें संतुलित मात्रा में प्रोटीन, वासा और कैलोरीज़ के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में फाइबर मौजूद है। अपने इन गुणों के कारण यह वजन कम करने में कारगर है। सभी वैज्ञानिक शोध भी इस सत्य की पुष्टि करते हैं कि अखरोट ना केवल मोटापे को दूर रखने में अपितु वज़न कम करने में भी प्रभावी है। यदि वजन को कम ना किया जाए तो हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन जाता है, जिसकी वजह से किडनी पर दबाव पड़ने लगता है और किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगती है।
हड्डियों की मजबूती
हमारी किडनी अपने अन्य कार्यों के साथ-साथ हड्डियों को मजबूती प्रदान करने का कार्य भी करती है। लेकिन किडनी खराब होने के समय किडनी हड्डियों को मजबूत करने के कार्य में सक्षम नहीं होती। इसीलिए आपको अखरोट का सेवन जरूर करना चाहिए। अखरोट हमारी हड्डियों को मजबूत करने के लिए एक दम सक्षम है। किडनी खराब होने पर शरीर का कैल्शियम पेशाब के जरिए बर्बाद होने लगता है। अखरोट मूत्र के माध्यम से कैल्शियम की बर्बादी को कम करता है। अखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड नामक एक महत्वपूर्ण फैटी एसिड होता है। यह अल्फा-लिनोलेनिक एसिड और इसके यौगिक हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं। हड्डियों को मजबूत करने के लिए खरोट को रात भर भिगो कर खाना चाहिए।
हृदय को स्वस्थ रखे
अखरोट के नियमित सेवन से हमारा हृदय स्वस्थ रहता है। यदि आप प्रतिदिन दो से तीन अखरोट का सेवन करते हैं तो इससे हृदय की आर्टरी यानी धमनियों में सूजन नहीं होती, जिससे आप दिल के दौरे की संभावना और उच्च रक्तचाप जैसी समस्या से दूर रहते हैं। इसके सेवन से शरीर में रक्त प्रवाह की क्रिया सुचारु रूप से चलती रहती है, जिसकी वजह से नसों में खून का थक्का नहीं जमता। अखरोट में ओमेंगा-3 फैटी एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसकी वजह से यह कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अखरोट हृदय को भी तंदुरुस्त एवं निरोगी रखने में लाभदायक है। यह हृदय के कार्य को संचालित व नियमित करता है और उसमें सुधार भी लाता है। आपको बता दें कि जब हृदय में किसी भी प्रकार कि कोई शय आ जाती है तो इसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है, क्योंकि यह दोनों अंग एक साथ मिलकर शरीर में खून की कमी को पूरा करने का काम करते हैं।
मधुमेह को काबू करे
यदि आप मधुमेंह की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपको अखरोट का नियमित सेवन करना चहिये। अखरोट के नियमित सेवन से टाइप – 2 मधुमेंह रोगियों को काफी फायदा होता है। एक शोध के दौरान कुछ रोगियों को तीन माह तक के लिए रोजाना अखरोट का सेवन कराया गया। जिसमें यह सामने निकल कर आया की मधुमेंह रोगियों के लिए आखरत काफी कारगर है, खासकर टाइप – 2 मधुमेंह रोगियों के लिए। आपको बता दें कि अगर मधुमेह को काबू ना किया जाए तो इससे किडनी खराब होने की आशंका काफी बढ़ जाती है, क्योंकि इस समस्या के दौरान रक्त में शर्करा की मात्रा काफी बढ़ जाती है। शर्करा से भरे हुए रक्त को जब किडनी फ़िल्टर करती है तो इस दौरान किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त होने लगते है और आने वाले समय में किडनी खराब जाती है। आपको बता दें कि मधुमेह किडनी खराब होने का सबसे बढ़ा कारण है।
कोलेस्ट्रॉल को काबू रखे
अखरोट में प्रचुर मात्रा में ओमेंगा-3 फैटी एसिड (omega-3 fatty acids) पाया जाता है। ओमेंगा-3 फैटी एसिड शरीर में बनने वाले बैड कोलेस्ट्रॉल को खत्म करने में मदद करता है। और अच्छे कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन में मदद करता है। अच्छे कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन से वजन, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग नियंत्रण में रहता है।
सूजन को दूर करे
कई बार शरीर के कई हिस्सों में अकस्माक ही सूजन आ जाती है। ऐसे में सूजन को कम करने या ना होने देने में अखरोट काफी मददगार साबित होता है। अखरोट में प्रचुर मात्रा में ओमेंगा -3 फैटी एसिड होता है जो कि शरीर की हर तरह की सूजन को कम करने में मदद करता है। अखरोट के सेवन से ना केवल बाहरी बल्कि इसकी मदद से हड्डियों तक की सूजन को भी कम कर सकते हैं। शरीर में सूजन तक़रीबन यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाने की वजह से आ जाती है, ऐसे में अगर इससे जल्द छुटकारा ना पाया जाए तो किडनी पर बूरा असर पड़ने लगता है और किडनी खराब होने की आशंका बढ़ जाती है।
अनिद्रा की समस्या को दूर करे
दिनभर की थकावट के बाद भी कुछ लोग रातभर नींद ना आने के कारण बिस्तर पर बस करवटें ही बदलते रहते हैं। अनिद्रा को दूर करने के लिए दूध के साथ अखरोट को खाना शुरू कर दीजिये, इससे आपकी अनिद्रा की समस्या दूर भाग जायगी। दरअसल, अखरोट में मेंलेटोनिन नामक एक हॉर्मोन होता है जो कि नींद लाने में मदद करता है। इसके साथ ही यह सोते समय होने वाले स्लीप एप्निया (sleep apnea) का भी एक अच्छा उपचार है। कई बार शरीर में जब अपशिष्ट उत्पादों की मात्रा बढ़ जाती है तो नींद ना आने जैसी समस्या होने लगती है और इससे किडनी पर बुरा असर पड़ता है।
लिवर को स्वस्थ रखे
लिवर खराब होने के कारण शरीर की साड़ी पाचन क्रिया एक दम बिगड़ जाती है। ऐसे में आपको अखरोट का सेवन करना चाहिए। अखरोट का सेवन करने से आपके शरीर में अमोनिया जैसे टॉक्सिक पदार्थ को निकालने में मदद होती है। इसके साथ ही अखरोट में पाए जाने वाले ग्लूटाथिओन और ओमेंगा-3 फैट एसिड आपके लिवर को साफ़ करने में मदद करते हैं। जब किसी व्यक्ति का लीवर कमजोर होने लगता है तो इसका असर किडनी पर पड़ने लगता है जो कि काफी गम्भीर समस्या है।
क्या अखरोट खाने से कोई नुकसान भी हो सकता है?
अखरोट खाने से भले ही आपको कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है, लेकिन इसके सेवन से आपको कुछ समस्याओं का भी सामना करना कर पड़ सकता है। इसीलिए उसका सेवन करने के दौरान आपको निम्न लिखित बातों का खास ध्यान रखना चाहिए ताकि इससे आपको केवल फायदा ही हो नुकसान ना हो :-
- यदि आपको मावों से किसी प्रकार का कोई संक्रमण यानि एलर्जी है तो आपको अखरोट का सेवन थोड़ा ध्यान से करना चाहिए।
- एक दिन में 5 से अधिक अखरोट खाने से स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे आपको बुखार, खांसी और अल्सर की समस्या हो सकती है। अगर आपको पहले से ही अल्सर की समस्या है तो आपको इससे दूरी बना कर ही रखनी चाहिए।
- यदि आप किसी खास बीमारी के लिए दवा ले रहे हैं तो आपको चिकित्सक की सलाह से ही अखरोट का सेवन करना चाहिए। क्योंकि, अखरोट में कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो कि दवाइयों से प्रतिक्रिया कर सकते हैं या उन दवाओं का असर कम कर सकते हैं। ऐसा अक्सर उच्च रक्तचाप और मधुमेह की दवाओं के साथ होता है, इसलिए इन दोनों की दवाएं लेने के कुछ घंटे बाद ही अखरोट का सेवन करना चाहिए।
- यदि आप रक्त विकार से ग्रसित है तो आपको काले अखरोट का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिए। काले अखरोट में फाएलेट्स (Phylates) पाए जाते हैं जो कि आयरन के अवशोषण को घटाकर आप में आइरन डिफीशियेन्सी यानी खून की मात्रा में कमी कर सकते हैं। इसलिए काले अखरोट सेवन कम ही करे और रक्त विकार के दौरान इससे दूरी रखें।
- अखरोट सुस्ख होते हैं, इसलिए आपको खांसी में अखरोट का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे आपका गला सूख जायगा और आपको और ज्यादा खांसी आने लगेगी।
- यह तासीर में गर्म होता है, इस कारण गर्भवती महिला को इसका सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिला दिन भर में एक से दो अखरोट ले सकती है, हाँ अगर महिला उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रही है तो इससे दूरी बना कर रखें। इसके अलावा बेडरेस्ट के दौरान इसका सेवन ना करें।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
किडनी फेल्योर कि बीमारी को आयुर्वेद की मदद से पूर्णतः खत्म किया जा सकता है। आयुर्वेद में में इतनी शक्ति है की वह हर रोग जड़ से ख़त्म करने की ताक़त रखता है। बल्कि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया जाता है। आज भारत में “कर्मा आयुर्वेदा” प्राचीन भारतीय पद्धत्ति की मदद से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर रहा है। आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गई थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 48 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है।