रोगी का नाम कृष्णा दियो पाठक है वह झारखंड के रहने वाले हैं। जो किडनी की बीमारी के दर्द से जूझ रहे थे। रोगी को की हालत बिल्कुल खराब हो गई थी जिससे डॉक्टर ने उन्हें लेने के लिए बोल दिया था और वह हफ्ते में दो बार डायलिसिस भी लिया करते थे। जब कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत उपचार शुरू कर दिया। कर्मा आयुर्वेदा इलाज से पहले रोगी को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
इलाज से पहले
- हफ्ते में दो बार डायलिसिस लिया करते थे
- उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 8 और 9 आसपास
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
कर्मा आयुर्वेदा से इलाज करवाने के बाद रोगी की हालत में बहुत सुधार आया है। पहले वह हफ्ते में दो बार डायलिसिस लिया करते थे और अब हफ्ते में एक बार मुश्किल से डायलिसिस लिया करते हैं।
- क्रिएटिनिन स्तर – 4.91
विश्लेषण:
कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक दवाओं को प्राप्त करने के बाद उनमें काफी सुधार महसूस हुआ हैं। रोगी ने डॉ. पुनीत के द्वारा दिए गए उचित डाइट चार्ट का पालन किया था जिससे रोगी में बहुत जल्दी से सुधार आना शुरू हुआ था। साथ ही रोगी हफ्ते में दो बार दर्द भरे डायलिसिस लिया करते थे और आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करके रोगी का डायलिसिस भी कम हो गया।
किडनी फेल्योर की बीमारी
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य रक्त को शुद्धिकरण करती है। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसे हम किडनी फेल्योर कहते हैं। वैसे हमारे शरीर में किडनी संतुलन को बनाए रखने का काम करती है। वे अपशिष्ट पदार्थो को फिल्टर करके पेशाब द्वारा बाहर निकाल देती है। साथ ही शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है। किडनी अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करती हैं जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बनाए रखता हैं।
भारत के किडनी फेल्योर उपचार केंद्रो में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। जिसे नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। वह 30 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। कर्मा आयुर्वेदा, डॉ. पुनीत धवन ने सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं से रोगियों का इलाज करते हैं। साथ ही वह अपने हर मरीज को किडनी ठीक करने के लिए उचित आहार चार्ट भी देते हैं जिससे अपना कर रोगी में जल्दी से सुधार आता हैं।