रोगी का नाम ज्ञान नंदन हैं जो बिहार के रहने वाले हैं। रोगी की उम्र काफी कम है इतनी सी उम्र में उन्हें किडनी की समस्या का सामना करना पड़ रहा था और इस लाइव वीडियो में स्पष्ट शब्दों में खुद कहा हैं कि कर्मा आयुर्वेदा से इलाज को बाद अब वह किडनी की समस्या से मुक्त हैं। आयुर्वेदिक उपचार ने किडनी की बीमारी से न केवल किडनी के मरीज को डायलिसिस प्रोटोकॉल से बाहर लाया, बल्कि विभिन्न यौगिकों के स्तर में सकरात्मक बदलाव भी दिखाई दिए।
कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन आयुर्वेदिक इलाज के बाद उनमें काफी सुधार देखने को मिला। वह शारीरिक तौर पर भी फीट हैं। क्रिएटिनिन का स्तर जो पहले 2.59 था लेकिन कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक इलाज के बाद 1.4 पंहुच गया। आयुर्वेद ने रोगी को फिर से जीवित किया हैं।
किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज
जब किडनी काम करना बंद कर देती हैं तो शरीर में कई उत्पन्न होते हैं, लेकिन कुछ लक्षणों में से कई लक्षण बहुत अस्पष्ट होते हैं। ये लक्षण इतनी धीमी गति से बढ़ते हैं कि रोगी अक्सर इनकी तरफभ ध्यान नहीं दे पाते हैं और सही समय पर समुचित इलाज नहीं हो पता हैं। तो चलिए जानते हैं लक्षण के बारे में।
- हाथओं और पैरों में सूजन उत्पन्न होना
- रक्तचाप बढ़ जाता हैं, हड्डियों में दर्द होता हैं
- कमजोरी और थकान होना
- जी मिचलाना और उल्टी आना
- नींद न आना
- रोग के बढ़ जाने पर सांस लेने में दिक्कत महसूस होना
- किडनी की गंभीर स्थिति में रोगी कोमा या बेहोशी हो जाता हैं और रोगी की जान भी जा सकती हैं।
बता दें कि, किडनी फेल्योर का इलाज सिर्फ डायलिसिस और ट्रांसप्लांट हैं। एलोपैथी डॉक्टरों का भी यही कहना है कि क्रिएटिनिन को कभी कम नहीं हो सकता हैं, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा ने सिद्ध किया हैं कि बिना डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के बिना क्रिएटिनिन को कम किया जा सकता हैं वे भी सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से। कर्मा आयुर्वेदा भारत का एकमात्र किडनी उपचार केंद्र है जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। आज अस्पताल को 5वीं पीढ़ी डॉ. पुनीत धवन चला रही हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं।