मरीज पशुपति प्रसाद जी, जो बलिया के रहने वाले हैं। वह काफी लंबे समय से किडनी बीमारी से जूझ रहे थे। रोगी प्रसाद जी को डॉक्टर ने डायलिसिस की सलाह दे दी थी, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चलते ही रोगी ने तुरंत उपचार शुरू कर दिया और देखते ही देखते काफी सुधार आने लगा। कर्मा आयुर्वेदा में इलाज से पहले रोगी को इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
उपचार से पहले
- चलने में परेशानी
- बेचैनी व घबराहट महसूस होना
- भूख ज्यादा लगना
- क्रिएटिनिन स्तर – 8.53
- उच्च यूरिया – 204.2
आयुर्वेदिक उपचार के बाद
कर्मा आयुर्वेदा में रोगी रोते हुए अपने परेशानी को लेकर आया था और मात्र तीन महीनों में सुधार दिखना शुरू हो गया। अब उन्हें डायलिसिस की भी आवश्यकत नहीं है।
- 5 किलोमीटर आराम से चलते हैं
- शारीरिक तौर पर काफी फीट महसूस कर रहे हैं
- क्रिएटिनिन स्तर – 4.6
- यूरिया स्तर – 105.41
विश्लेषण:
कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार और डॉ. पुनीत धवन द्वारा दिए गए डाइट चार्ट की सलाह से मात्र 3 महीने में काफी बदलाव आ गया। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने रोगी को विशेष सलाह दी। जिसे अपना कर उनमें काफी सुधार आया। कर्मा आयुर्वेदा ने फिर से डायलिसिस से रोगी को बचाया। वो भी सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से।
किडनी की बीमारी
किडनी की बीमारी के लक्षण आमतौर पर गैर विशिष्ट और जीवन शैली से संबंधित होती है, जिसके कारण लोगों का इनपर ध्यान ही नहीं जाता हैं और उसे नजरअंदाज करते हैं। किडनी के रोग को शांत रोग के नाम से भी जाना जाता हैं, क्योंकि इसके होने के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और जानकारी के अभाव के कारण ये बीमारी के समय के साथ ओर भी बिगड़ जाती है। साथ ही किडनी की समस्याओं की पता स्क्रीनिंग के परिणाम द्वारा उच्च जोखिम होने पर ही लगती है। इंडस हेल्थ प्लस लिमिटेड के डायरेक्टर कंचन नायकवाडी के अनुसार, वयस्क विभिन्न किडनी के लक्षणों को नज़रअंदाज कर देते हैं।
भारत के साथ-साथ एशिया के बेस्ट किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और अब इस अस्पताल को 5वीं पीढ़ी यानी डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। वह 30 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। वो भी डायलिसिस और प्रत्यारोपण की सलाह दिए बिना। कर्मा आयुर्वेदा मे सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता हैं।