रोगी का नाम गोविंद दास है जो असम के रहने वाले हैं। वह किडनी रोग से पीड़ित थे और डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस लेने के लिए बोल दिया गया था। इसके अलावा रोगी को किडनी की बीमारी की वजह से इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
- खाना खाने में तकलीफ होना
- शरीर में कमजोरी आ गई थी
- क्रिएटिनिन स्तर – 7.2
आयुर्वेदिक उपचार के बाद
कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार लेने के बाद रोगी में बहुत सुधार आ गया है और रोगी को फिस्टुला या डायलिसिस की आवश्यकता नहीं पड़ी।
- खाना अच्छे से खाते हैं
- शारीरिक तौर पर फिट
- क्रिएटिनिन स्तर – 4.9
विश्लेषण:
असम से आए रोगी गोविंद दास ने लगन से आयुर्वेदिक उपचार लिया और डॉ. पुनीत धवन द्वारा दिए गए डाइट चार्ट की सलाह के अनुसार उसका पालन किया। साथ ही डॉ. पुनीत बाकी रोगियों की तरह इस रोगी को भी डायलिसिस से मुक्त कर दिया है।
किडनी फेल्योर
विभिन्न रोगों के कारण नुकसान होने के बाद अल्प अवधि में ही काम करना कम या बंद कर देती हैं। अगर इस रोग का तुरन्त उपचार किया जाएं, तो थोड़े समय में ही किडनी संपूर्ण रूप से पुन: काम करने लगती है और बाद में मरीज को दवाई या परहेज की बिल्कुल जरूरी नहीं रहती है। साथ ही एक्यूट किडनी फेल्योर के सभी मरीजों का उपचार दवा और परहेज द्वारा किया जाता है। कुछ मरीजों में कुछ दिन के लिए डायलिसिस की आवश्यकता होती है, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल एकमात्र अस्पताल है जो रोग को आयुर्वेदिक दवाओं से रोग को जड़ से खत्म करते हैं।
भारत के बेस्ट किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। जो 1937 में स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन 30 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है। सभी मरीजों को अपर्याप्त जड़ी-बूटियों और कार्बनितद खुराक से बनी दवाओं के साथ अच्छी तरह से स्वस्थ कर देते हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत के साथ-साथ एशिया के बेस्ट किडनी उपचार केंद्रों में से एक माना जाता हैं। यहां सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं के साथ इलाज किया जाता है जिससे कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।