कर्मा आयुर्वेदा किडनी पेशेंट – मोहम्मद निहाल

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
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इलाहाबाद से आए रोगी मोहम्मद निहाल जो आज सीधा प्रसारण में शामिल हैं। मोहम्मद निहाल किडनी की बीमारी के मरीज थे और ये बहुत से तकलीफों से जूझ रहे थे, बहुत-सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहे थे।

इलाज से पहले

  • भूख न लगना
  • थकान महसूस होना
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आना
  • क्रिएटिनिन लेवल का लगातार बढ़ना

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार प्राप्त करने के बाद रोगी में बहुत से बदलाव और सुधार देखने को मिले। जी हां, कर्मा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक दवाओं और डॉ. पुनीत धवन द्वारा दिए गए आहार चार्ट का पालन करने से रोगी में सुधार देखने को मिला हैं। पहले रोगी का क्रिएटिनिन लेवल दिन-ब-दिन बढ़ता चला जा रहा था, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार के बाद उनका क्रिएटिनिन लेवल 5.4 तक पंहुच चुका हैं। साथ ही मोहम्मद निहाल शारीरिक तौर पर फिट हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज

जब कई वर्षों तक धीरे-धीरे किडनी का कार्य करने की क्षमता कम हो जाती हैं, तो उसे क्रोनिक किडनी फेल होना कहा जाता हैं। इस बीमारी का अंतिम स्टेज स्थायी रूप से किडनी फेल्योर होता हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज फेल होने को क्रोनिक रीनल फेल्योर, क्रोनिक रीनल रोग या क्रोनिक किडनी फेल्योर के रूप में भी जाना जाता हैं।

जब किडनी की कार्य क्षमता धीमी होने लगती हैं और स्थिति बिगड़ने लगती हैं, तब हमारे शरीर में बनने वाली अपशिष्ट पदार्थों और तरल की मात्रा खतरे के स्तर तक बढ़ जाती हैं। इसके उपचार का उद्देश्य रोग को रोकना या धीमी करना होता हैं। ये इसके मुख्य कारणों कौ नियंत्रित करके किया जाता हैं। साथ ही जब क्रोनिक किडनी डिजीज लोगों की सोच से कहीं अधिक विस्तृत हैं। जब तक ये रोग शरीर में अच्छी तरह से फैल नहीं जाता हैं, तब तक इस रोग या इस रोग के लक्षणों के बारे में कुछ भी पता नहीं चलता हैं। जब किडनी अपनी क्षमता से 75% कम काम करती हैं, तब लोग ये महसूस कर पाते हैं कि उन्हें किडनी डिजीज हैं।

आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं और कर्मा आयुर्वेदा भारत का एकमात्र प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्र हैं जो 1937 में स्थापित किया गया था। जिसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। वो भी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के बिना।

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