कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का सफल उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का सफल उपचार

वर्तमान समय में किडनी की समस्या आम समस्या हो गई है। किडनी में समस्या होना हमारी बदलती जीवनशैली की वजह से हो सकती है। किडनी का काम आपके रक्त को साफ़ करने का होता है। अगर आपकी किडनी स्वस्थ ना हो तो आपको कई सारी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बात को तो हम सभी जानते हैं कि किडनी हमारे शरीर में कितना खास स्थान रखती है। अगर आपकी किडनी सही ना हो तो स्वस्थ जीवन जीने की कल्पना मात्र रह जाती है। किडनी हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ पेट के पिछले भाग में स्थित होती है।

किडनी का काम मुख्यत शरीर से उत्पन्न होने वाले ज़हरीले पदार्थ को बाहर निकालकर रक्त की सफाई करना होता है। अर्थात किडनी शरीर में बनने वाले क्षार (SALT) और एसिड को पेशाब के साथ शरीर से बाहर करती है।  किडनी के इस कार्य से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है क्योंकि इससे हमारे शरीर में पाए जाने वाले सभी पदार्थों का संतुलन बना रहता है, जिसके कारण शरीर के बाकि सभी अंग अपना-अपना काम सही तरह से कर पाते हैं। किडनी का मुख्य काम खून की सफाई करना होता है और साथ ही यह हड्डियों को मजबूत रखने का भी कार्य करती है।

किडनी फेल्योर के क्या लक्षण है?

जब किडनी में समस्या की शुरुआत होती है तो उसमें किसी तरह के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, पर समय के साथ धीरे-धीरे, जैसे ही यह बीमारी गंभीर होने लगती है,वैसे ही किडनी की समस्या के लक्षण सामने नज़र आने लग जाते हैं। जैसे कि :-

  • बुखार और कंपकंपी महसूस होना
  • पेशाब में खून और प्रोटीन का आना
  • अचानक ही बेहोश होना
  • पेशाब में से बदबू आना
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आना
  • आंखों के नीचे भी सूजन दिखाई देना
  • शरीर में कमजोरी महसूस होना
  • पेट दर्द होना
  • नींद का ना आना या नींद की कमी होना
  • कमर दर्द होना
  • पेशाब करने में दिक्कत आना, आदि

इन सभी लक्षणों में से अगर आपको अपने आप में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। किडनी की बीमारी का पता आपको शुरुआत में ही चल जाए और आप उसको नज़रअंदाज ना करते हुए उसका समय पर इलाज़ कर लें तो इस गंभीर समस्या को रोका जा सकता है। परन्तु कई बार ऐसा नहीं होता, और लोगों को इस बीमारी के बारे पता बहुत देर से चलता है। जब तक लोगों को अपनी किडनी की बीमारी का पता चलता है तब तक किडनी 60 से 65% तक क्षतिग्रस्त हो चुकी होती है।

किडनी फेल्योर के क्या कारण है?

कुछ लोगों का कहना होता है कि किडनी अपने आप ही खराब हो जाती है, बल्कि यह बिल्कुल सही नहीं है। किडनी कभी भी अपने आप खराब नहीं होती, इसके खराब होने की पीछे कोई न कोई कारण जरुर होता है। अगर किडनी खराबी के कारणों के बारें में बात की जाए तो यह किसी दुर्घटना के चलते अचानक खराब हो सकती है।  जैसे – किसी दवा का नकारात्मक प्रभाव अगर सीधा किडनी पर पड़ जाए तो यह खराब हो सकती है, या अंदरूनी चोट लगने पर, आदि। किडनी खराब होने के वैसे तो बहुत सारे कारण हो सकते हैं पर इसके कुछ प्रमुख कारण हैं जो निम्नलिखित है :

  • उच्च रक्तचाप की समस्या - अगर कोई व्यक्ति काफी लंबे समय से उच्च रक्तचाप की समस्या से परेशान है, तो उसकी किडनी खराब होने की संभावना अधिक हो सकती है।  जब आप ऐसे आहार का सेवन करते हैं जिसमें अधिक मात्रा में सोडियम पाया जाता हो, तो सोडियम की अधिक मात्रा रक्त में मिल जाती है जिसके कारण उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। हमेशा उच्च रक्तचाप बने रहने से किडनी के नेफ्रोन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है।
  • मधुमेह की समस्या - अगर किसी इंसान को मधुमेह की समस्या हो गई तो उसको पूरी उम्र इस समस्या के साथ जीना उसकी मज़बूरी बन जाता है। मधुमेह होने पर व्यक्ति का शरीर कई सारी बीमारियों से घिर जाता है, जिसमें किडनी की बीमारी सबसे खतरनाक है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है, और इस शर्करा युक्त रक्त को साफ़ करने पर किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। अगर रक्त में शर्करा की यही स्थिति बनी रहे तो यह किडनी को पूरी तरह खराब कर सकती है।
  • मूत्र विकार - पेशाब से जुड़ी सभी समस्याएं सीधा किडनी पर प्रभाव डालती हैं। पेशाब कम आना या ज्यादा आना यह दोनों स्थिति किडनी में समस्या की तरफ इशारा करती हैं। इसके आलावा पेशाब के रंग में बदलाव, जलन होना, गंध आना यह सभी मूत्र संक्रमण की तरफ इशारा करते हैं। सही समय पर उपचार ना मिलने पर यह बीमारी किडनी फेल्योर में बदल सकती है।

किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार

जब किसी की किडनी खराब हो जाती है उसको वापस पहले की तरह करना बहुत मुश्किल काम होता है। परन्तु आयुर्वेद के द्वारा इसको ठीक किया जा सकता है। वर्तमान समय में आयुर्वेद मानव जीवन के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। आज अगर देखा जाए तो जो उपचार एलोपैथी में नहीं वो आयुर्वेद में उपलब्ध है।

  • गोखरू : गोखरू किडनी को स्वस्थ रखने के लिए एक बेहतर और उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। यह औषधि भारत में काफी लंबे समय से प्रयोग की जा रही है। इस औषधि से ना केवल किडनी की समस्या को दूर किया जाता है, बल्कि यह और भी कई बीमारियों को दूर करने में लाभकारी है। गोखरू औषधि रक्त के क्रिएटिएन को कम करती है, यूरिया के स्तर को सुधारती है,शरीर की सूजन को दूर करती है,मूत्र संक्रमण को दूर करती है ,और साथ ही किडनी से पथरी निकालने में सहायक होती है।
  • दालचीनी : दालचीनी एक सुगन्धित मसाला है, जो अक्सर हमारे रसोई घर में पाया जाता है। यह ना केवल मसाला है बल्कि यह एक औषधि के रूप में भी प्रयोग की जाती है। दालचीनी में बहुत ही पौष्टिक गुण पाएं जाते है, जिसका सेवन किडनी के साथ-साथ दिल की बीमारी, कोलेस्ट्रॉल, त्वचा रोग, सर्दी जुकाम और पेट की समस्या को दूर रखता है।
  • गिलोय की बेल : अगर गिलोय की बेल को वर्तमान समय में अमृत कहा जाए तो शायद ये ग़लत नहीं होगा। इस बेल के हर एक कण में औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इस बेल के तने से,पत्ते से और जड़ से उनका रस निकालकर इन बीमारियों के उपचार में सहायता मिलती है। जैसे गठिया, वातरक्त (गाउट), प्रमेह, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तेज़ बुखार, रक्त विकार, मूत्र संक्रमण, डेंगू, मलेरिया जैसे गंभीर रोगों के उपचार में किया जाता है। किसी कारण से  रक्त के अधिक बह जाने या रक्त का स्तर अचानक कम हो जाने पर गिलोय के रस का सेवन करना लाभकारी होता है। बेशक इसका स्वाद कड़वा होता है, परन्तु यह आज के समय में किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है।
  • पुनर्नवा : पुनर्नवा जड़ी बूटी के नाम को अगर दो भागों में विभाजित किया जाए तो पुना और नवा, ये दो शब्द प्राप्त होते हैं।  पुना का मतलब “फिर से” और नवा का मतलब “नया” होता है। अर्थात पुनर्नवा एक साथ मिलकर शरीर के अंग को स्वस्थ रखने और उसके नवीनीकरण में सहायता करते हैं। पुनर्नवा जड़ीबूटी का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता और यह शरीर की सूजन को कम करके किडनी में जमा अतिरिक्त तरल पदार्थों को शरीर से बाहर करता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करता आ रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी और वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने ना केवल भारत में बल्कि विश्वभर में किडनी के मरीजों को आयुर्वेदिक उपचार द्वारा ठीक किया है। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। कर्मा आयुर्वेदा का उपचार पूरी तरह प्राकृतिक है जिसमें किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।

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