श्रीमति रोशन ठाकुर जो सीतामढ़ी, बिहार की निवासी है। रोशन बीते काफी समय से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी समय से जूझ रही थी। उनकी किडनी ख़राब होने के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। वह चलने फिरने में समर्थ नहीं थी, क्योंकि उन्हें चलते समय चक्कर आते थे। जो शरीर में हो रही कमजोरी का एक कारण था। साथ उनके शरीर में सूजन भी बहुत मात्रा में थी। उनके पैरों में बहुत अधिक मात्रा में सूजन थी, जिसके कारण उनके पुरे शरीर में दर्द भी रहता था। रोशन जी ठीक से खाना भी नहीं खा पा रही थी।
कर्मा आयुर्वेदा से उपचार से पहले :-
- शरीर में सूजन और तेज़ दर्द
- चलने-फिरने के दौरान चक्कर
- भूख नहीं लगती थी
- फास्फोरस - 5 (अपने अधिकतम स्तर पर)
- उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 4।5
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा आयुर्वेदिक उपचार के बाद :-
कर्मा आयुर्वेदा से किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने के बाद श्रीमति रोशन ठाकुर के जीवन में एक नया सवेरा नई रोशनी के साथ आया है। अब उनके शरीर में सूजन नहीं है। जिसके कारण अब उन्हें तेज़ बदन दर्द की तकलीफ से छुटकारा मिला है। अब उन्हें भूख भी लगनी शुरू हो गयी है। वह अब सब कुछ खा पी रही है। साथ ही अब उन्हें चलते समय चक्कर भी नहीं आ रहे।
- उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 2।64
- शरीर में सूजन से छुटकारा मिला
- आराम से चल-फिर रहीं है अब चक्कर नहीं आते
- अब ठीक से भूख भी लग रही है
- फास्फोरस अब सामान्य हुआ है
विश्लेषण :-
बिहार की निसावी श्रीमती रोशन ठाकुर के सफल उपचार के बाद कर्मा आयुर्वेदा ने यह फिर साबित किया है की आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से भी छुटकारा पाया जा सकता है। कर्मा आयुर्वेदा ने रोगी का बिना डायलिसिस कराएं केवल आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से ही उकसा सफल उपचार किया है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ। पुनीत धवन ने यह फिर सिद्ध किया की बिना डायलिसिस किए क्रिएटिनिन स्तर कम किया जा सकता है।
किडनी हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी हमारे शरीर में संतुलन बनाने का काम करती है। किडनी हमारे शरीर में रक्त का शुद्धिकरण, अपशिष्ट उत्पादों को निकलना, शरीर में पानी का संतुलन, अम्ल और क्षार का संतुलन, रक्त के दबाव पर नियंत्रण, रक्तकणों के उत्पादनमें सहायता, हड्डियों की मजबूती आदि।
समय पर इलाज ना मिलने और इस रोग की कम जानकारी होने के कारण लाखों लोग अपनी जान से हाथ धों बैठते है। किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आती हैं, जब किडनी 60 से 65% डैमेज हो चुकी होती हैं, इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता हैं, इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी होता हैं।
कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। तभी कर्मा आयुर्वेदा इस क्षेत्र में काम करता आ रहा है। फ़िलहाल कर्मा आयुर्वेदा को डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने अब तक आयुर्वेदिक दवाओं की मदद से 35 हज़ार से ज्यादा लोगो को किडनी फेल्योर से मुक्त किया है। बता दें की कर्मा आयुर्वेदा में बिना डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांप्लांट के ही किडनी फेल्योर का सफल इलाज किया जाता है।