मरीज़ दीप्ति बिष्ट हैं। वह किडनी फेल्योर से पीड़ित थी और एक हफ्ते में तीन बार डायलिसिस करवाती थी। उन्हें किडनी फेल्योर से जुड़े लक्षणों का सामना करना पड़ता था और फोर्टिस अस्पताल में उन्हें किडनी प्रत्यारोरपण की सलाह दी गई थी। जब रोगी दिप्ति बिष्ट को कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला तो तब उन्होंने वहां से तुरंत अपना इलाज शुरू कर दिया। दीप्ति को इस बीमारी से इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था जैसे-
- शरीर के अंदर उच्च तरल पदार्थ का इकट्ठा होना
- कम जीएफआर
- बढ़ता सीरम क्रिएटिनिन स्तर
- शरीर के कुछ अंगों में सूजन
- सिरदर्द और कम एकाग्रता
डॉ. पुनीत धवन द्वारा प्रदान किए गए आयुर्वेदिक उपचार से दो महीने के अंदर ही रोगी दिप्ति को सुधार महसूस होने लगा। साथ ही उन्हें किडनी डायलिसिस से भी छुटकारा मिल गया। डॉ. पुनीत धवन ने उनका आयुर्वेदिक उपचार किया। दिप्ति का उच्च किडनी क्रिएटिनिन स्तर 6 था जो घट कर 3.40 हो गया। इतनी ही नहीं, उनका जीएफआर स्तर 37.02 हो गया, जो दर्शाता है कि रोगी डायलिसिस प्रोटोकॉल से पूरी तरह से बाहर हैं।
किडनी फेल्योर
मानव शरीर में किडनी संतुलन बनाए रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती है। वह अपशिष्ट उत्पादों को पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है। वह अतिरिक्त अम्ल एंव क्षार निकालने में मदद करती है। जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता है। साथ ही किडनी शरीर में महत्वपूर्ण कार्य रक्त का शुद्धिकरण का करती है। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सकती है तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है जिसे हम किडनी फेल्योर कहते हैं और इसका इलाज करवाना जरूरी होता, क्योंकि इस बीमारी से रोगी की मौत भी हो सकती है।
कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल
कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक किडनी देखभाल अस्पताल में से हैं जो 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं और आज कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। आपके सामने ही दिप्ति बिष्ट किडनी रोगी का लाइफ उदाहरण है। जिसे कर्मा आयुर्वेदा द्वारा प्रदान किए गए सही आयुर्वेदिक उपचार से किडनी इलाज किया जाता है।