हिन्दू मान्यताओं में हिमालय पर्वत श्रृंखला की एक खास अहमियत है। धार्मिक पहलू को एक किनारे भी कर दिया जाए तो भी यह पर्वत श्रृंखला अपनी अहमियत को इसकी गो में पाई जाने वाली खास औषधियों द्वारा यूँ का यूँ बनाएं रखने में सक्षम है। हिमालय की में ऐसी बहुत सी खास जड़ी बूटियां पाई जाती है जिनकी मदद से व्यक्ति को जानलेवा बीमारियों से मुक्ति दिलाने में समर्थ होती है, बाल्मीकि रामायण में भी इसका वर्णन संजीवनी बूटी के तौर पर मिलता है। आज के इस लेख में हम संजीवनी के बारे में तो नहीं बल्कि काफल के के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे जो कि हिमालय की गोद में पाई जाती है और यह किडनी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर कैसे काफल किडनी के लिए फायदेमंद है।
आप काफल के बारे में क्या जानते हैं?
हिमालय की पहाड़ियों में वैसे तो बहुत सी जड़ी बूटियां पाई जाती है लेकिन काफल की बात ही अलग है। भारत में काफल हिमालय की तलहटी के अलावा कई जगह पाया जाता है जिसके कारण इसे हर जगह अलग नाम से जाना जाता है लेकिन इसका प्रसिद्ध नाम काफल ही है। भारत में इसे कट्फल, काफल, माइरिका, कार्यछाल, किरुशिवानी, इछालद, उदुलबर्क, उदल, कुम्भा और बॉक्स मिर्टल आदि के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर यह हिमालय की तलहटी में हिमाचल, उतराखंड, पंजाब, के साथ बिहार के कुछ हिस्सों में भी यह पाया जाता है। यह आकर में छोटे बेर के आकार का होता है और यह स्वाद में मीठा और बहुत हल्का खट्टा होता है। यह तीन रंगों गहरे लाल, हल्के जमुनी, लाल भूरे मिलता है, यह तीनों रंग हर काफल में दिखाई देते हैं। पूरी तरफ पक जाने के बाद यह गहरे जमुनी रंग का दिखाई देता है। वहीं उत्तर के मैदानी क्षेत्र और दक्षिण भारत में पाए जाने वाले फल का रंग थोडा हल्का होता है, साथ यह खाने में मीठा भी नहीं होता बल्कि इस क्षेत्र का फल कड़वा और तीखा होता है। यह काफल की दूसरी किस्म है, लेकिन बावजूद इसके इस किस्म में भी काफल के आयुर्वेदिक गुण ज्यों के त्यों बने रहते हैं।
काफल जहाँ खाने में स्वादिष्ट होती है वहीं साथ ही में एक कई औषधीय गुणों से भी भरपूर है। गर्मियों के दिनों में फल देने वाला काफल का पेड़ एक जंगली झाडी है जिसे पेड़ भी कहा जाता है। आयुर्वेद ने काफल के महत्व को आप इस बात से भी समझ सकते हैं की इसके फल को देव फल की श्रेणी में रखा गया है। काफल का पूरा पेड़ ही औषधीय गुणों से भरा हुआ है, क्योंकि इस पेड़ की जड़, छाल, तना, फुल, फल और पत्तियां भी दवा बनाने के लिए प्रयोग में आती है। इन सभी का प्रयोग भिन्न-भिन्न रोगों में अलग–अलग तरह से किया जाता है। इसी कारण इसे आयुर्वेद में खास महत्व दिया गया है। काफल का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है जैसे छाल का चूर्ण या काढ़ा बना कर, पत्तों से काढ़ा बना कर, तेल बना कर, सौन्दर्य के लिए क्रीम के रूप में और दातों के लिए टूथपेस्ट या दातुन के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। इन सभी के साथ-साथ इसकी मदद से किडनी जैसे खास अंग को भी स्वस्थ रखा जा सकता है और इसे खराब होने से बचाया जा सकता है।
काफल किडनी को ऐसे रखता है स्वस्थ
आपने ऊपर काफल के बारे में विस्तार से जाना, जिससे आप यह तो समझ ही चुके होंगे कि यह जड़ी बूटी कितनी खास है। यह आपको बहुत सी शारीरिक समस्याओं से राहत दिलाने में मदद तो करता ही है साथ ही कई ऐसी बीमारियों से भी दूर रखता है जिनकी वजह से निकट भविष्य या आने वाले समय में किडनी खराब होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। एक बार किडनी खराब हो जाए तो उसे फिर से ठीक कर पाना बहुत मुश्किल होता है, ऐसे में अगर हम काफल की मदद से उन सभी बीमारियों से पहले ही छुटकारा पा लें तो किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है। काफल अच्छे से हमारी किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है, जिसकी वजह से यह खराब नहीं होती। तो चलिए जानते हैं काफल कैसे हमारी किडनी को स्वस्थ रखने में हमारी मदद करता है –
पाचन तंत्र को मजबूत रखे
काफल हमारी पाचन शक्ति को मजबूत करने में काफी असरदार है। यदि आपका पाचन तंत्र खराब हो गया है तो आप इसकी छाल से बने काढ़े का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए। अगर गर्मी के कारण आपको दस्त की शिकायत है तो आप इसके छाल के रस में कुछ बूंदें पुदीने की रस मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करते हैं तो आपको दस्त में जल्द ही आराम मिलेगा। इसके साथ आपको तेज़ मसाले वाले खाने को छोड़कर दही के साथ नमक वाले उबले चावल का सेवन करना चाहिए। अगर आपका पाचन तंत्र मजबूत नहीं होगा तो इससे लीवर पर बुरा असर पड़ने लगता है जिसकी वजह से किडनी के दबाव पड़ता है और समय पर इसका उपचार ना किया जाए तो किडनी के फिल्टर्स क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।
मधुमेह को रखे काबू
यदि आप मधुमेह के रोगी है तो आपको काफल का सेवन जरुर करना चाहिए। काफल मधुमेह को कम कर्ण में काफी असरदार है। कुछ अध्यनों से यह साबित हुआ है की काफल कि छाल से बने चूर्ण का सेवन दिन में दो बार हल्के गुनगुने पानी के साथ करने से रक्त में शर्करा की मात्रा में काफी कमी आती है। इसके अलावा मधुमेह के रोगी काफल के फल का सेवन भी कर सकते हैं, लेकिन सिमित मात्रा में। दरअसल काफल में वाष्पशील और फ्लेवोनोल्स नामक दो खास तत्व मिलते हैं जो कि रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में मददगार साबित होते हैं। ध्यान दें, यदि आप मधुमेह की कोई खास दवा ले रहे हैं तो बिना चिकित्सक की सलाह से इसका सेवन न करे, या फिर दवा और काफल के चूर्ण के सेवन में दो से तीन घंटे अन्तराल रखे। आपको बता दें कि मधुमेह किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण है, इसलिए इसे हमेशा काबू में ही रखना चाहिए।
सूजन से राहत दिलाए
कई बार शरीर में सूजन हो जाती है जो काफी पीड़ादायक होती है। इसे कम करने के लिए आप काफल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप काफल की छाल को पानी के साथ मिलाकर पिस ले और तैयार इस लेप को सूजन की जगह पर लगाएं। इसे चन्दन की तरह पिसना चाहिए। आपको बता दें कि किडनी खराब होने पर रोगी के शरीर के कई हिस्सों में सूजन देखने को मिलती है जिस दौरान इसका प्रयोग किया जा सकता है।
हृदय को रखे स्वस्थ
काफल की मदद से आप अपने हृदय को भी स्वस्थ रख सकते हैं। काफल आपके कोलेस्ट्रोल के ऑक्सीकरण को रोकता है। जिसके कारण आपके शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर नियंत्रण में बना रहता है। जिसके चलते आपकी रक्त वाहिकाएं ठीक रूप से अपना रक्त संचार का कार्य कर पाती है। बता दें कि कोलेस्ट्रोल की शरीर में अधिक मात्रा रक्त वाहिकाओं में समस्यां उत्पन कर देती है, जिसके चलते आपके हृदय तक रक्त सुचारू रूप से नहीं पहुच पाता और आपको हृदय से जुडी बीमारी होने की आशंका रहती है। दरअसल काफल में फ्लेवोनाइड्स काफी मात्रा में मिलता है, यह तत्व कोलेस्ट्रोल को कम करने में काफी मददगार होता है। ध्यान हो कि हृदय में कोई भी समस्या आने पर इसका सीधा किडनी पर पड़ने लगता है क्योंकि यह दोनों अंग एक साथ मिलकर काम करते हैं। अगर किडनी ठीक से रक्त साफ नहीं करेगी तो हृदय तक साफ रक्त नहीं पहुंचेगा जिससे वह अशुद्ध रक्त ही पुरे शरीर में प्रवाहित करता रहेगा।
किडनी स्टोन से राहत दिलाए
यदि आप किडनी स्टोन के रोगी है तो काफल के पत्ते आपको इस बीमारी से मुक्ति दिलाने में काफी असरदार साबित हो सकते हैं। दरअसल काफल के पत्ते मूत्रवर्धक होते हैं। काफल के पत्तों का काढ़ा बना कर सेवन करने से मूत्र पथ या किडनी से जुडी (विशेषकर किडनी स्टोन) समस्या से छुटकारा मिलता है। यह आपकी किडनी की सफाई करने में भी काफी असरदार है। अगर आप किसी प्रकार के मूत्र विकार का सामना कर रहे हैं तो आप इसके फल का सेवन जरुर करे।
भूख बढ़ाने में मदद करे
यदि आप हर तारिका अपना चुके हो लेकिन आपकी भूख नहीं बढ़ रही। जिसके कारण शरीर में काफी कमजोरी है, इससे निजत पाने के लिए आप काफल के चूर्ण का सेवन दिन में दो बार गर्म पानी के साथ करे। आपको जल्द ही ठीक से भूख लगनी शुरू हो जायगी। किडनी खराब होने पर रोगी की भूख बहुत कम हो जाती है या फिर एक दम खत्म भी हो जाती है। ऐसे में आप चिकित्सक की सलाह से काफल के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
ध्यान दें, “ऊपर बताए गए सभी उपायों का प्रयोग चिकित्सक की सलाह पर ही करें”
क्या काफल से सावधानियां भी रखनी चाहिए?
काफल भले ही हमें कई रोगों से बचाता है, लेकिन इससे हमें कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। हमें इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ चीजों पर ध्यान जरुर देना चाहिए।
- काफल के तेल का ज्यादा इस्तेमाल सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। इसे कम मात्रा में ही इस्तेमाल करे।
- काफल की पत्तियों का सेवन ज्यादा ना करे, इससे कई लोगो को संक्रमण होने का खतरा रहता है।
- मधुमेह के रोगी है तो चिकित्सक की सलाह के बिना इसका प्रयोग ना करे, क्योंकि इससे कई बार बड़ी तेजी रक्त शर्करा स्तर कम होने लगता है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
कर्मा आयुर्वेद द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद की सहायता से किडनी फेल्योर जैसी बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं। आयुर्वेदिक उपचार लेने के लिए आप कर्मा आयुर्वेदा में संपर्क कर सकते हैं, आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गई थी और यहाँ पर पूर्णतः आयुर्वेद की मदद से किडनी से जुड़ी समस्याओं का निदान किया जाता है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 48 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है।