भारत में जीवनशैली के बढ़ने के बाद से ही अनेक बिमारियों ने अपने पैर भारत में पसारने शुरू कर दिए है। बीते कई वर्षों में हमारे लाइफस्टाइल में एक बड़ा बदलाव आया है। जिसका सीधा बुरा असर हमारे स्वास्थ पर पड़ा है। आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी का शिकार हो चूका है। लेकिन इन सबका सबसे ज्यादा असर हमारी किडनी पर पड़ता है।
लाइफस्टाइल बदलने के कारण हमारे पौष्टिक आहार की जगह अब जंकफूड ने ले ली है। दूध, दही आदि की जगह कोल्डड्रिंक और एलकोहॉल आ गए है। और ये सभी हमारे स्वास्थ के लिए हानिकारक है। लेकिन हम इन आदतों को छोड़ने की बजाय इनकी तरफ और आकर्षित होते जा रहे है। हमारी इन सभी आदतों का सीधा असर हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों पर पड़ता है।
लेकिन इसका सबसे ज्यादा और सीधा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। क्यूंकि हम जो भी खाते या पीते है उनमे से विषैले तत्वों को अलग करना किडनी का ही काम होता है। लेकिन जब हम लगातार ऐसी चीज़ो का सेवन करते रहते है तो कुछ समय बाद इसका बुरा असर हमारी किडनी पर पड़ना शुरू हो जाता है।
जिसकी जानकारी हमें लगने में काफी समय लगती है, और जब तक इस बारे में जानकारी लगती है उस समय तक काफी देर हो चुकी होती है। क्यूंकि हमारे किडनी धीरे-धीरे ख़राब हो होती है। अधिकतर केसो में देखा गया जब पीड़ित को इस बारे में पता चलता है की उसको किडन संबंधित रोग है, उस समय तक उसकी एक या फिर दोनों किडनी ख़राब हो चुकी होती है।
किडनी की समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं। मानव शरीर में दो किडनी होती हैं, इनके सही तरीके से काम न करने पर जीने की संभावना बहुत कम रह जाती हैं। हमारे शरीर में बहने वाला रक्त हमारी दोनों किडनियों से होकर गुजरता हैं। किडनी में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त को छानकर शुद्ध करती हैं। ये रक्त के अशुद्ध भाग को पेशाब के रूप में अलग भेजती हैं। किडनी रोग की शुरूआती अवस्था में पता नहीं चल पाता है और यह इतना खतरनाक होता हैं कि बढ़कर किडनी फेल्योर का रूप ले लेता हैं।
दुर्भाग्य से, लगातार बढ़ती घटनाओं के बावजूद, गुर्दे की बीमारी को अभी भी भारत में उच्च प्राथमिकता नहीं दी जाती है। सीकेडी (CKD) के उपचार और प्रबंधन का आर्थिक कारक भी रोगियों और उनके परिवारों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है।
किडनी फेल्योर के लक्षण :-
जब हमारे शरीर में क्रिएटिनिन मात्रा बढ़ने लगती है यानि हमारी किडनी ख़राब हो जाती है तो उस स्थिति में हमारे शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते है। हाइ ब्लड प्रेशर, किडनी की छलनियों में संक्रमण, पथरी का बनना और दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करने से भी भविष्य में किडनी फेल्योर की समस्या उत्पन्न हो सकती है। शरीर में दो किडनी होती हैं। जब किडनी खराब हो जाती है, तो इसके इलाज के दो ही विकल्प होते है। पहला, ताउम्र डायलिसिस पर रहना या फिर किडनी ट्रांसप्लांट कराना।
जब हमारी किडनी ख़राब होती है उस समय हमारे शरीर से निम्न संकेत मिलते है।
- हाथ, पैर और एडियों में सूजन
- सांस फूलना
- भूख कम लगना
- शरीर में रक्त की कमी
- थकान व कमजोरी महसूस होना
- पेशाब बार-बार जाना
- मतली और उल्टी होना
- स्किन सूखी और खुजली होना
किडनी फेल्योर से कैसे बचे :-
जो लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं और जिनका ब्लड शूगर ज्यादा है, तो उन्हें अपनी ब्लड शूगर को नियंत्रित करना चाहिए। ब्लड शूगर नियंत्रण की स्थिति को जानने के लिए डॉक्टर के परामर्श से एचबीए1सी नामक टेस्ट कराएं। यह टेस्ट पिछले तीन महीनों के ब्लड शूगर कंट्रोल की स्थिति को बताता है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें। यानी 125- 130/75-80 के आस-पास रहे। किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं से बचें। जैसे दर्द निवारक दवाएं (पेनकिलर्स)। स्व-चिकित्सा (सेल्फ मेडिकेशन) न करें। डॉक्टर की सलाह से ही दवाएं लें। अगर किडनी से संबंधित कोई तकलीफ हो जाती है, तो शीघ्र ही नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
किडनी फेल्योर की स्थिति में सबसे पहले हम इस बात से घबरा जातें है की इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए हमें मोटी रकम का भुगतान करना पड़ेगा। क्यूंकि किडनी को पुनः स्वस्थ करने का इलाज बहुत खर्चीला और लम्बा होता है। इस स्थिति में पीड़ित पूरी तरह से इलाज नहीं करा पाता। लेकिन हम आयुर्वेद के जरिए इस हानिकारक बीमारी से आसानी से निजात पा सकते है। आज के समय में अनेक ही आयुर्वेदिक उपचार केंद्र है। लेकिन कर्मा आयुर्वेद एक लौता आयुर्वेद उपचार केंद्र है जो पूर्णतः आयुर्वेद के सहारे से ही पीड़ित का इलाज करता है। जिस प्रकार आयुर्वेद पुराना है ठीक उसी प्रकार कर्मा आयुर्वेद भी कई वर्षो पुराना है।
कर्मा आयुर्वेदा 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे है। आपको बता दें कि आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी ठीक करने को लेकर चमत्कार के रूप में साबित हुआ हैं।
कासगंज में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है।