किडनी की बीमारी आज के समय में एक आम समस्या बन गई| पहले के समय में लोग डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के नाम को जानते भी नहीं थे| जो लोग जानते थे उनका कहना सिर्फ यही था कि यह सब इलाज़ पैसे वाले लोग करवा सकते हैं| अगर किडनी की बीमारी का जीवनशैली में प्रभाव देखा जाए तो इसका प्रभाव पहले भी खराब था जब लोग इस बीमारी का इलाज़ नहीं करवा पाते थे और आज भी है जब लोग इसका इलाज़ करवा तो सकते हैं लेकिन फिर भी दर्द भरा जीवन जीने के लिए मजबूर हैं| किडनी की बीमारी ने मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है|
किडनी की बीमारी के बारें में:
किडनी मानव शरीर का एक अहम् अंग है| जिसका काम पूरे शरीर को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है| आपकी किडनी का काम आपके शरीर से ज़हरीले पदार्थों को बाहर करने का होता है| जब आपकी किडनी अपने काम को सही तरह से नहीं पर पाती तो इसके कारण आपके शरीर में कई सारी परेशानियां जन्म लेती हैं| आपको शरीर में कई सारी दिक्कतें आ सकती हैं, जिसका सामना आपको करना पड़ता है| किडनी का सही तरह से काम करना शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है| अपनी किडनी को सुरक्षित रखने के लिए यह जरुरी है कि आप अपनी दिनचर्या में बदलावे करें|
किडनी की बीमारी का जीवनशैली पर प्रभाव:
जैसा कि हमने अभी आपको बताया कि आपकी किडनी आपके शरीर के सभी अंगों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है, जिसके लिए यह जरुरी है कि आप अपनी किडनी का खास ख्याल रखें लेकिन किसी कारणवश अगर आपकी किडनी खराब हो जाए तो आपकी जीवनशैली पर इसका बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा|
आहार में बदलाव
किडनी के मरीजों को इलाज़ के दौरान या जब उन्हें इस बात कि पुष्टि होती है कि उनकी किडनी खराब है तो उन्हें डॉक्टर आहार में बदलाव करने की सलाह देता है| किडनी की खराबी के बाद भोजन में कई चीज़ें मरीज़ को पूरी तरह माना होती है| मरीज़ अपनी पसंद की हर सब्जी नहीं खा सकता, ना ही अपने पसंद की दाल या कोई मसालेदार खाना खा सकता है| क्योंकि जब किडनी खराब होती है तो उसकी कार्य क्षमता में कमी होने लगती है, उस पर ऐसे आहार जो शरीर में बहुत ज्यादा क्रिएटिनिन का निर्माण करें ऐसे आहार से किडनी के मरीजों को परहेज होता है| किडनी के मरीज़ बाहर का खाना नहीं खा सकते क्योंकि ऐसा आहार उनकी किडनी और ज्यादा क्षति पंहुचा सकते हैं|
घुमने जाने में परहेज
किडनी के मरीजों को आहार के साथ-साथ बाहर घुमने जाना भी माना होता है| किडनी की बीमारी में किडनी के मरीजों को बहुत सारी परेशानियों को झेलना पड़ता है| किडनी के मरीज़ बाहर ज्यादा घुमने नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें जल्दी थकान लग जाती है| किडनी की बीमारी के उपचार के समय उनके आहार में कई चीज़ों का परहेज होता है जिससे उनके शरीर में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, सोडियम, कार्बोनेट, फास्फोरस और कार्बोहिड्रेड जैसे पोषक तत्व सही मात्रा में नहीं होते और इससे उनका शरीर अन्दर से कमजोर होता है| इस कारण किडनी के मरीज़ कहीं घुमने नहीं जा पाते क्योंकि उन्हें थकान लग जाती है|
जिम और व्यायाम से दूरी
किडनी के मरीज़ अपने उपचार के समय जिम में किसी प्रकार का कोई व्यायाम नहीं कर सकते| क्योंकि ज़िम में किये जाने वाले व्यायाम हाफी हेवी होते हैं, जिनका बुरा प्रभाव किडनी पर पड़ता है| जिम में किये जाने व्यायाम के बाद अच्छे आहार लेने की जरूरत होती है ताकि इससे आपका शरीर स्वस्थ रहे और आपको शरीर में किसी प्रकार की कोइ दिक्कत ना हो| लेकिन किडनी के मरीजों को आहार में बहुत ज्यादा परहेज होते हैं जिसके कारण उन्हें किसी प्रकार का कोई भी व्यायाम ना करने की सलाह दी जाती है खास कर कि जिम, जिसके लिए डॉक्टर बिल्कुल माना कर देते हैं| इसके साथ किडनी का मरीज़ किसी प्रकार का कोई आउटडोर खेल भी नहीं खेल सकता क्योंकि मरीज़ को बहुत जल्दी थकान लगती है और ज्यादा भाग-दौड़ करना किडनी के मरीज़ को जानलेवा भी हो सकता है|
अधिक दवाइयों का सेवन
किडनी के मरीजों को अपने इलाज़ के समय अधिक दवाइयों का सेवन करना पड़ता है| अधिक दवाइयों का सेवन करने से मरीज़ का स्वाभाव चिड़चिड़ा हो जाता है| उसको दवाइयों के सहारे ही जीना पड़ता है, इस बीच अगर मरीज़ को कही जाना हो तो उसको अपनी दवा साथ में कैरी कर के ले जानी पड़ती है| किसी कारण से दवा भूल गए और जहां गए हैं वहाँ दवा नहीं मिले तो किडनी के मरीज़ को समस्या हो सकती है| किडनी के मरीज़ को दवा का सेवन अधिक मात्रा में करना होता है उस पर उन्हें आहार भी सिमित मात्रा में लेना पड़ता है| इससे बार-बार दवा खाना मरीज़ को परेशान कर देता है|
पेशाब से जुड़ी दिक्कत
किडनी के मरीज़ को सबसे बड़ा प्रभाव पेशाब से जुड़ी दिक्कत का होता है| किडनी मरीज़ को बार-बार पेशाब जाने का मन होता है, जिसके कारण वह कहीं लम्बा सफ़र तय नहीं कर सकते| किडनी में खराबी आने पर मरीज़ को बार-बार पेशाब लगती रहती है| वह जितना पानी का सेवन करता है उसको उतने बार ही पेशाब लगती है| इतना ही नहीं रात के समय पेशाब जाने का सिलसिला दिन के समय से दोगुना हो जाता है| इतना ही कई बार किडनी के मरीज़ को पेशाब में खून, पेशाब के रंग में बदलाव और पेशाब करने में दर्द या जलन होती है| किडनी के मरीजों की जीवनशैली में पेशाब से जुड़ी समस्या का बहुत प्रभाव पड़ता है| ऐसा मरीज़ कई बंदिशों में आ जाता है|
दूसरों पर निर्भर
किडनी के मरीज़ को सबसे बड़ी परेशानी तब होती है जब वह अपने काम के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाता है| किडनी की परेशानी होने पर मरीज़ शारारिक रूप से कमजोर होता है| उन्हें अपने हर काम के लिए दूसरों पर आश्रित होना पड़ता है और यह बातें उन्हें शारारिक के साथ मानसिक रूप से भी कमजोर बना देती हैं| अगर मरीज़ को किसी चीज़ की जरूरत भी होती है तो वह खुद से वह चीज़ नहीं ला सकता| जब तक उन्हें उनकी जरूरत की चीज़ कोई लाकर ना दे तब तक वह सिर्फ इंतज़ार करते रहेंगे और यही बात कभी कभी उन्हें हद से ज्यादा गुस्सा दिला सकती है| किडनी की बीमारी होने पर इंसान शारारिक और मानसिक दोनों रूप से परेशानी का सामना करता है|
आर्थिक तंगी का सामना
किडनी की बीमारी का सबसे बड़ा प्रभाव है आर्थिक रूप से कमजोर हो जाना| किडनी की बीमारी के लिए अक्सर लोग एलोपैथी इलाज़ लेते हैं जो कि किडनी के लिए हानिकारक होता है| इतना ही नहीं यह इलाज़ महंगा भी काफी पड़ता है| किडनी के एलोपैथी इलाज़ में डॉक्टर या तो डायलिसिस की सलाह देते हैं या फिर ट्रांसप्लांट की और दोनों ही प्रक्रिया महंगी है और साथ ही दर्दनाक भी| इससे मरीज़ शारारिक रूप से तो कमजोर हो ही जाता है साथ ही आर्थिक रूप से भी कमजोर हो जाता है| डायलिसिस के इलाज़ के बाद एक समय ऐसा आता है कि किडनी मरीज़ को खड़े होने के लिए भी औरों के सहारे की जरूरत होती है|
किडनी के लिए आयुर्वेदिक उपचार
किडनी के लिए आयुर्वेदिक उपचार से बेहतर और कोई उपचार नहीं क्योंकि यह पूरी तरह प्राकृर्तिक उपचार है, जिसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता| आयुर्वेदिक किडनी उपचार में केवल जड़ी-बूटियों का ही प्रयोग किया जाता है और उसकी मदद से उपचार किया जाता है| आयुर्वेदिक उपचार में किसी प्रकार का कोई किडनी डायलिसिस नहीं होता और ना ही किडनी ट्रांसप्लांट जैसी किसी समस्या का सामना करना पड़ता है| आयुर्वेदिक उपचार प्राचीन समय से चला आ रहा है एक सफल उपचार है, इससे “किडनी की विफलता” की समस्या को रोका जा सकता है|