किडनी की बीमारी का निदान कैसे होता हैं?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी की बीमारी के लक्षण ज्यादातर गैर विशिष्ट और जीवनशैली से संबंधित होते हैं जिसके कारण लोगों की इनपर ध्यान ही नहीं जाता हैं। इसके लक्षण तब दिखाई देते हैं जब रोग गंभीर रूप से धारण कर लेता हैं। लक्षणों की पहचान न होने के कारण इसके निदान में देरी हो जाती हैं। इसलिए समय पर इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में पता होना चाहिए, समस्या से लड़ने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए और समय पर जांच करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।

  • भूख का कम होना और वजन घटना
  • हाथ, पैर और और टखनों में सूजन
  • थकान और सांस की तकलीफ
  • यूरिन से रक्त या प्रोटीन का आना
  • बार-बार पेशाब का करना
  • त्वचा में खुजली होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • उच्च रक्तचाप
  • मतली और चक्कर आना

अन्य जांच – किडनी की बीमारी होने पर खून में क्रिएटिनिन के स्तर का पता लगाने के लिए साधारण-सी जांच की जाती हैं। इससे किडनी की कार्यक्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता हैं। इसके अलावा पेशाब और स्क्रिनिंग के द्वारा भी किडनी की बीमारी की जांच की जा सकती हैं। पेशाब में क्रिएटिनिन और एलब्यूमिन के लिए जांच की जाती हैं और जो लोग किडनी रोगों के उच्चतम जोखिम पर हैं, उन्हें स्क्रिनिंग जरूर कराना चाहिए।

किडनी की जांच किसे करानी चाहिए?

किसी भी व्यक्ति को किडनी की बीमारी हो सकती हैं, लेकिन निम्नलिखित उपस्थित हों, तो खतरा ज्यादा हो सकता हैं।

  • किडनी रोगों के प्रत्यक्ष लक्षण दिखाई देना
  • मधुमेह होना
  • रक्त का दबाव अनियंत्रित रहना
  • परिवार में वंशानुगत किडनी रोग होना
  • लंबे समय तक दर्द निवारक दवाईयां ली गई हों
  • तंबाकु का सेवन
  • मोटापा होना या 60 वर्ष से अधिक आयु का होना
  • पेशाबमार्ग में जन्म से ही खराबी होना।
  • उपरोक्त व्यक्तियों में अगर किडनी की बीमारियों के लिए उचित जांच की जाए तो ये किडनी के रोगों का निदान रोग के शुरूआत में ही हो सकता हैं और ये किडनी के रोगों का ज्यादा अच्छा इलाज करने में सहायक हो सकता हैं।
  • प्रारंभिक अवस्था में क्रोनिक किडनी डिजीज में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। रक्त और पेशाब की जांचों से ही इसका पता लगाया जा सकता हैं।

किडनी की बीमारी का निदान

किसी रोग की वजह से किडनी खराब होने का संदेह हो और मरीज में उत्पन्न लक्षणों की वजह से किडनी फेल्योर होने की आशंका हो तब तुरंत रक्त की जांच करा लेनी चाहिए। खून में क्रिएटिनिन और पेशाब की अधिक मात्रा किडनी फेल्योर का संकेत देती हैं। पेशाब तथा खून की जांच, सोनोग्राफी की जांच से एक्यूट किडनी फेल्योर का निदान, इसके कारण की निदान और एक्यूड किडनी फेल्योर के कारण शरीर में अन्य विपरित प्रभाव के बारे में जाना जा सकता हैं। एक्यूट किडनी फेल्योर में दोनों किडनी फेल्योर में दोनों किडनी अचानक खराब होने से रोग के लक्षण ज्यादा मात्रा में दिखाई देते है।

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