किडनी की बीमारी के पांच चरण कौन से हैं?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी की बीमारी के पांच चरण कौन से हैं?

किडनी बीमारी का नाम आते ही मन में कई सवाल उठते हैं, क्योंकि इस बात का पता किसी को नहीं होता कि किडनी खराबी होती क्यों है? इसलिए अधिकतर लोगों का कहना रहता है कि ऐसा कैसे हो गया? कई लोग तो ऐसा भी सोचते हैं कि किडनी खराब अपने आप ही हो जाती है| जबकि ऐसा नहीं है| किडनी खराब होने के कई कारण होते हैं, इसके लिए जरुरी होता है कि आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करें| क्योंकि किडनी खराबी की सबसे बड़ी जड़ आपका आहार होता हैं, अगर आप अधिक मात्रा में तेल-मसाला खाएंगे तो इससे आपकी किडनी पर बुरा असर पड़ता है|

किडनी का काम

किडनी के काम के बारें में बात करें तो मनुष्य के शरीर में किडनी का काम बहुत ही जरुरी होता है| मानव शरीर में 2 किडनी होती है, और दोनों का सबसे अहम काम रक्त को साफ़ करने का होता है| आपकी किडनी आपके रक्त को छानने का काम करती है| एक सवाल यह भी है कि रक्त में ऐसा क्या है जिसको किडनी को छानना पड़ता है? हमारी दिनचर्या में हमारे सभी क्रियाकलापों में एक काम भोजन करना भी होता है| जिसको पचाने के काम हमारे पाचन तंत्र का होता है| लेकिन जब जरूरत से ज्यादा हम ऐसे आहार का सेवन करते हैं जिसको पचाना हमारे पाचन तंत्र के बस के बाहर हो जाता है तो ऐसे आहार शरीर में जमा होने और इनसे बनने वाली गंदगी रक्त में बहने लगती है| जिसको किडनी अच्छे से साफ़ नहीं कर पाती और धीरे-धीरे किडनी असक्षम होने लगती है|

किडनी बीमारी के कुछ लक्षण

किडनी खराबी जल्दी पता नहीं चलती, क्योंकि इसके लक्षण जल्दी समझ नहीं आते| कई बार ऐसा भी होता है कि किडनी खराबी के लक्षण हमें नज़र तो आते हैं लेकिन हम उन पर ध्यान नहीं देते| हम उन सभी लक्षणों को नज़रअंदाज कर देते हैं, जिसका भुगतान हमारी किडनी करती है| किडनी खराबी के कुछ लक्षण निम्नलिखित है, जिनको अनदेखा नहीं करना चाहिए:

  • बुखार और कंपकंपी महसूस होना
  • पेशाब में खून और प्रोटीन का आना
  • पेशाब में से बदबू आना
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आना
  • आंखों के नीचे भी सूजन दिखाई देना
  • शरीर में कमजोरी महसूस होना
  • पेट दर्द होना
  • नींद का ना आना या नींद की कमी होना
  • कमर दर्द होना
  • पेशाब करने में दिक्कत आना, आदि

किडनी बीमारी के चरण

किडनी की खराबी को मुख्य 5 चरणों में बांटा गया है ताकि इसकी खराबी के चरण को पहचान कर इसका सही इलाज़ किया जा सके| किडनी का इलाज़ उसकी क्षति की गंभीरता के आधार पर होता है| किडनी की कार्यक्षमता के इकाई को eGFR द्वारा मापा जाता है| eGFR से इस बात का अनुमान लगाया जाता है कि रक्त में क्रीएटिनिन की मात्रा कितनी है और किडनी रक्त को कितने प्रतिशत छान पा रही है|

किडनी बीमारी का पहला चरण

किडनी की बीमारी के पहले चरण में किडनी की कार्यक्षमता 90 - 100 % होती है| इस स्थिति में eGFR 90 ml/min से ज्यादा रहता है| किडनी खराबी की इस शुरूआती अवस्था में मरीजों में कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते| लेकिन हो सकता है कि पेशाब में कुछ असामान्यताएँ आए| जैसे पेशाब में प्रोटीन होना| किडनी खराबी के इस चरण में एक्सरे, एम. आर. आई., सी. टी. स्कैन या सोनोग्राफी से किडनी खराबी के चरण का पता लगाया जा सकता है|

किडनी बीमारी का दूसरा चरण

किडनी की बीमारी के दूसरे चरण में eGFR 60 से 89 ml/min होता है| किडनी बीमारी के दूसरे चरण में भी किडनी के मरीजों में किसी भी प्रकार का कोई लक्षण नज़र नहीं आता| लेकिन हो सकता है कि मरीज़ रात में बार-बार पेशाब जाए, या मरीज़ का रक्तचाप अधिक हो| इस चरण में पेशाब और रक्त की जांच की जाती है जिसमें कुछ बदलाव दिखाई दे सकते हैं| पेशाब में कुछ असामान्यताएं और रक्त क्रीएटिनिन की मात्रा थोड़ी बड़ी हो सकती है|

किडनी बीमारी का तीसरा चरण

इस चरण में eGFR 30 तो 59 ml/min होता है| इस चरण में मरीजों में कुछ हल्के लक्षण दिखाई दे सकते हैं| इसमें भी पेशाब और खून की जांच की जाती है| जिसमें इस बात का पता चलता है कि रक्त में कितना क्रीएटिनिन बढ़ा हुआ है, जो की किडनी कितनी ज्यादा खराब हुई है यह बताता है|

किडनी बीमारी का चौथा चरण

किडनी में आने वाली खराबी के चौथे चरण में eGFR 15-29 ml/min तक आ सकता है| अर्थात किडनी की कार्यक्षमता पहले से कम हो जाती है| इस चरण में आपको किडनी खराबी के लक्षण स्पष्ट भी हो सकते हैं या अस्पष्ट और अनिश्चित भी हो सकते हैं| किडनी की खराबी के लक्षण कितने स्पष्ट और तीव्र है यह किडनी से सम्बंधित बीमारी के मूल कारणों पर निर्भर करता है|

किडनी बीमारी का पाँचवा और आखरी चरण

किडनी खराबी का यह चरण बहुत गंभीर होता है| इस चरण में eGFR अर्थात किडनी की कार्यक्षमता 15 % से भी कम हो सकती है| किडनी की इस अवस्था को किडनी खराबी का अंतिम चरण कहा जाता है| ऐसी अवस्था में मरीज को डायालिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती है| किडनी खराबी की इस अवस्था में लक्षण साफ नज़र आते हैं|

किडनी खराबी के लिए आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद के ज़रिए किसी भी बीमारी का इलाज किया जा सकता है| आयुर्वेद एक प्राकृर्तिक इलाज है जिसमें जड़ी-बूटियों की मदद से उपचार किया जाती है| जहां एक तरफ एलोपैथी दवाईयों में रसायनों का प्रयोग किया जाता है जिसको लंबे समय तक इस्तेमाल करने से शरीर को नुकसान पहुंचता है| वहीं दूसरी तरफ आयुर्वेदिक इलाज़ से आपको किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता| आयुर्वेदिक उपचार प्राचीन समय से चला आ रहा ऐसा उपचार है जिसमें कई सारी समस्याओं का सफल इलाज़ मौजूद है| आयुर्वेद की जानकारी से “किडनी फेल्योर” जैसी गंभीर बीमारी का भी वर्तमान में सफल इलाज संभव है|

आयुर्वेदिक किडनी उपचार का भले ही असर धीरे-धीरे दिखाए देता है लेकिन यह अंग्रेजी दवाइयों की तरह शरीर पर कोई दुष्प्रभाव प्रभाव नहीं डालता| आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं, जिसका इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में कोई बुरा असर नहीं पड़ता क्योंकि आयुर्वेदिक दवाइयों में कोई कैमिकल नहीं होता| अब आप सभी इस बात से वाकिफ तो हो ही गए होंगे कि आयुर्वेदिक उपचार से बेहतर कोई भी उपचार नहीं है| किडनी खराबी के उपचार के लिए आयुर्वेद से बेहतर उपचार और कोई नहीं है| किडनी के लिए आयुर्वेदिक उपचार की सबसे खास बात यह है कि इस उपचार में किसी प्रकार का कोई किडनी डायलिसिस नहीं होता और ना ही कोई किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत होती है| आयुर्वेदिक उपचार पूरी तरह प्राकृतिक है जिसका आपको अच्छा परिणाम 100 प्रतिशत मिलता है|

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