किडनी की बीमारी के लिए आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
+91
OR CALL
9971829191

कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के बेस्ट किडनी उपचार केंद्रो में आता हैं। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। जो 30 हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। वो भी डायलिसिस और प्रत्यारोपण के बिना। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके दवा बनाई जाती हैं।

आयुर्वेद और योग हमारे देश की संस्कृति हैं, लेकिन हमारे देश में इसे बहुत लोग मामूली समझते हैं। हमारे देश के लोग आयुर्वेद की बजाए एलोपैथी और विदेशी उपचार पर विश्वास करते हैं। आपको नहीं पता होगा कि, विदेशी लोग हमारे भारत में आकर आयुर्वेदिक उपचार करवाते हैं, लेकिन हमारे देश के लोग लाखों-करोड़ो रूपये खर्च करके विदेशी दवाओं और उनकी खोखली बातों पर विश्वास करते हैं।

किडनी की बीमारी

किडनी के मरीजों में से लगभग एक चौथाई में किडनी में गड़बड़ी का कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं हैं। मधुमेह के रोगियों की बड़ी तादाद किडनी की बीमारी से ग्रसित हैं, वहीं दूसरी और किडनी की बीमारी से ग्रस्त एक तिहाई लोग मधुमेह पीड़ित होते हैं। इससे एक बात साफ होती है कि इन दोनों का आपस में गहरा संबंध हैं। लंबे समय तक हाईपरटेंशन का शिकार रहे लोगों को भी किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं।

किडनी की बीमारी के लिए दूषित खान-पान और वातावरण को मुख्य कारण माना जाता हैं। गंदा मांस, मछली, अंडा, फल, भोजन और गंदे पानी की सेवन किडनी की बीमारी की वजह वन सकता है। बढ़ते औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और वाहनों के कारण पर्यावरण प्रदूषण बढ़ गया हैं। भोजन और पेय पदार्थों में भी कीटाणुनाशकों, रासायनिक खादों, डिटरजेंट, साबुन, औद्योगिक रसायनों के अंश पाएं जाते हैं। ऐसे में फेफड़े और जिगर के साथ ही किडनी भी सुरक्षित नहीं हैं। किडनी के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं।

किडनी की अन्य बीमारियां

एक्यूट किडनी समस्याएं – एक्यूट किडनी समस्याएं बहुत ही तेजी से होती हैं, लेकिन इलाज के बाद अधिकांश मामलों में यह परेशानी ठीक हो जाती हैं और किडनी आराम से काम करती है।

क्रोनिक किडनी समस्याएं – क्रोनिक किडनी की बीमारी आम हैं। ये तब होती हैं जब किडनी खराब हो या तीन माह या इससे अधिक समय से काम नहीं कर रही हो। इसका अगर ठीक प्रकार से इलाज न हो तो क्रोनिक समस्या बढ़ती जाती हैं। वृक्क रोग में क्रोनिक किडनी रोग के पांच चरण होते हैं। किडनी समस्या के अंतिम चरण में किड़नी केवल 15% ही कार्य कर पाती हैं।

किडनी की बीमारी के लक्षण:

  • हाथ, पैरों व आंखों के नीचे सूजन
  • कमजोरी और थकान महसूस होना
  • शरीर पर खुजली होना
  • बार-बार पेशाब का आना
  • भूख न लगना या कम लगना
  • उल्टी व उबकाई आना
  • पैरों की पिंडलियों में खिंचाव होना
  • पेशाब करते समय प्रोटीन के साथ रक्त का आना
  • तंद्रा

किडनी की बीमारी से बचाव के उपाय

किडनी की बीमारी से बचने का सबसे अच्छा उपाय ये हैं कि, हमें ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है और हर 3 से 6 महीने में यूरिन टेस्ट करवाएं।

लेख प्रकाशित

Scroll to up