किडनी की बीमारी क्या हैं और आयुर्वेद द्वारा मधुमेह की स्थिति में इसका इलाज कैसे किया जा सकता हैं?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी की बीमारी के लक्षण आमतौर पर गैर विशिष्ट और जीवन शैली से संबंधित होते हैं जिसकी वजह से लोगों का इनपर ध्यान ही नहीं जाता हैं। इसके लक्षण तब दिखाई देते हैं जब रोग गंभीर रूप धारण कर लेते हैं। लक्षणों की पहचान न होने के कारण इसके निदान में देरी हो जाती हैं। इसलिए समय पर इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में पता होना चाहिए, समस्या से लड़ने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए और समय पर जांच करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।

किडनी रोग बेहद गंभीर होता है और अगर इसका समय से इलाज नहीं करवाया जाएं तो इससे रोगी की मौत भी हो सकती हैं। विकासशील देशों में ज्यादा पैसे लगाकर संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी की वजह से किडनी रोग से पीड़ित सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत मरीज डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट का उपचार करना लेते हैं, लेकिन बाकि मरीज सामान्य उपचार पर स्थित होते हैं। जिसे उन्हें कई परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। क्रोनिक किडनी जैसे रोग ठीक हो पाना बेहद मुश्किल हैं। फिर रोगी अंतिम स्टेज में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही होता हैं वो भी बहुत लागत में, इसलिए आप कर्मा आयुर्वेदा से कम खर्च और बिना साइड इंफेक्टस के किडनी रोग से मुक्त हो सकते हैं।

लक्षण:

किडनी खराब होने लगें तो पेशाब त्याग के समय दर्द होता हैं और रक्त भी आता हैं। इसके अलावा लक्षण देखने को मिलते हैं।

  • गर्मी में भी ठंड लगना
  • भूख कम लगना
  • शरीर कुछ हिस्सों में सूजन आना
  • थकान और कमजोरी आना
  • पेशाब के समय जलन होना
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ना
  • त्वचा पर चकत्ते पड़ना और खुजली होना
  • मुंह का स्वाद खराब होना और मुंह से बदबू आना

विश्व और भारत में बढ़ती आबादी और शहरीकरण के साथ-साथ डायबिटीज मधुमेह के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही हैं। डायबिटीज के मरीजों में क्रोनिक किडनी डिजीज और पेशाब में इंफेक्शन के रोग होने की संभावना ज्यादा होती हैं। लंबे समय से चली आ रही मधुमेह में लगातार उच्च शर्कर से किडनी की छोटी खून की वाहिकाओं को काफी नुकसान होता हैं। शुरू में इस नुकसान के कारण पेशाब में प्रोटीन की मात्रा दिखाई देते हैं। जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप, शरीर में सूजन जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो जाते हैं और किडनी फेल्योर की ओर अग्रसर हो जाती हैं। मधुमेह के कारण जो किडनी की समस्या होती हैं उसे डायबिटीक किडनी डिजीज कहते हैं। इसका मेडिकल शब्द डायबिटीक नेफ्रोपैथी हैं।

डायबिटीज के कारण होने वाले किडनी डिजीज के विषय में प्रत्येक मरीज को जानना क्यों जरूरी हैं।

  • क्रोनिक किडनी डिजीज के विभिन्न कारणों में सबसे महत्वपूर्ण कारण डायबिटीज है जो अत्यंत विकराल रूप से फैल रहा हैं।
  • डायलिसिस करा रहे हैं क्रोनिक किडनी डिजीज के 100 मरीजों में 35 से 40 मरीजों की किडनी खराब होने का कारण डायबिटीज होता हैं।
  • डायबिटीज किडनी डिजीज से पीड़ित रोगियों में ह्रदय रोगों के होने और उनसे मृत्यू होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
  • डायबिटीज के कारण किडनी खराब होना प्रारंभ होने के बाद ये रोग ठीक हो सके ऐसा संभव नहीं हैं, लेकिन शीघ्र उचित और परहेज द्वारा डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट।

आयुर्वेदिक उपचार

किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक दवाएं काफी फायदेमंद साबित हुई हैं। आयुर्वेदिक दवाएं 100% नेचुरल होती हैं और उससे कोई साइड इफेक्टस नहीं होता हैं। किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, योग्य आयुर्वेदचार्य डॉ. पुनीत धवन के मार्गदर्शन में किडनी रोग के लिए सबसे ज्यादा सहायता प्रदान की हैं। कर्मा आयुर्वेदा में रोगियों को दवाओं के साथ-साथ डाइट चार्ट की भी सलाह दी जाती हैं। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल 1937 में स्थापित किया गया था।

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