दुनिया भर में आए दिन कोई ना कोई बीमारी के कारण लाखों लोगों की जान जा रही है उन्हीं बीमारियों में से एक बीमारी है किडनी की समस्या। आज के समय में लगभग 10 में से 3 लोग किडनी की कोई ना कोई समस्या से जूझ रहे हैं। सही समय पर इस बीमारी का पता न लग पाना या सही इलाज न मिलने के कारण किडनी की समस्या का गंभीर रूप लेने के कारण कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा रहा है। किडनी मनुष्य के शरीर का एक अहम अंग होता है जो खून को साफ करने का काम करती है। किडनी हमारे शरीर में खून में मौजूद अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के ज़रिए बाहर निकालने में मदद करती है। जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा और कोई बीमारी नहीं होगी।
किडनी की बीमारी एक मुद्दा क्यों है?
आज के समय में कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी तक का इलाज खोजा जा चूका है लेकिन अंग्रेजी इलाज में आज भी किडनी का कोई विशेष इलाज नही मिल पाया है। आज भी अगर किसी व्यक्ति को किडनी की कोई भी समस्या हो जाती है तो अंतिम चरण तक आते-आते उस व्यक्ति को डॉक्टर किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दे देते हैं। यह दोनों ही उपचार बहुत ही दर्दनाक और महंगे हैं जिसके कारण कई लोग इन उपचार का खर्चा नहीं उठा पाते हैं या इन उपचार के दर्द को सुनकर ही अपना फैसला बदल देते हैं।
सही जानकरी और सही इलाज न पाने के कारण किडनी की समस्या दुनिया भर में एक मुद्दा बना हुआ है। किडनी की समस्या के लक्षण और कारण से लोग वंचित है जिस वजह से कई बार इस रोग को जान पाना भी कठिन हो जाता है।
किडनी समस्या के लक्षण-
- हाथ-पैरों और आंखों के नीचे सूजन,
- सांस फूलना,
- भूख न लगना
- हाजमा ठीक न होना,
- खून की कमी से शरीर पीला पड़ना,
- कमजोरी,
- थकान,
- बार-बार पेशाब आना,
- उल्टी व जी मिचलाना,
- पैरों की पिंडलियों में खिंचाव होना,
- शरीर में खुजली
किडनी खराब होने के कारण-
धूम्रपान करना– धूम्रपान करने का सीधा असर हमारे शरीर पर दिखाई पड़ता है, जिसकी वजह से रक्तचाप में बदलाव नज़र आता है। धूम्रपान के कारण हमारी दिल की धड़कने भी बढ़ने लगती है जो एक समस्या का रूप ले सकती और जिसका बुरा असर हमारी किडनी पर पड़ता है। धुम्रपान करने के कारण हमारी किडनी की समस्याओं की संभावना अधिक बढ़ जाती है। धूम्रपान करने वालों की किडनी की कार्यक्षमता धूम्रपान नहीं करने वालों की संभावना धीरे होने लग जाती है।
पेशाब को रोकना– कई बार देखा गया है कि काम के दबाव या किसी भी कारणवर्ष हम ज्यादा देर तक पेशाब को रोक लेते हैं। जिसकी वजह से ब्लैडर भर जाता है और पेशाब किडनी की तरफ चला जाता है। ऐसा बार-बार करना हमारे लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि ऐसा करना, किडनी की समस्या का कारण बन जाता है।
उच्च रक्तचाप– अगर आपको रक्तचाप की समस्या है और आप उसे नियंत्रण में नहीं रख पा रहे हैं तो यह भी एक किडनी की समस्या को पैदा कर सकता है। हाई ब्लड प्रेशर किडनी की क्षति का एक प्रमुख कारण है।
मीठे से करें परहेज– हर व्यक्ति को अपने मीठे का ध्यान रखना चाहिए। कम मात्रा में मीठा लेने से हमारी किडनी स्वस्थ रहेगी। एक रिसर्च के अनुसार ज्यादा फ्रुक्टोज (Fructose) का उपयोग करने से यूरिक एसिड के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे कार्डिनल (Cardinal) की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
पेन किलर का अधिक सेवन– हर दवाई का एक नियमित कोर्स होता है और उसे माना चाहिए। किसी भी दवाई का लंबे समय तक उपयोग करना हमारी सेहत और किडनी दोनों के लिए ही हानिकारक होता है। अक्सर देखा गया है कि हम छोटी-छोटी समस्याओं में भी पेन किलर और एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल कर लिया करते हैं। ज्यादा पेन किलर का इस्तेमाल हमारी किडनी पर बुरा असर डालता है और किडनी फेल्योर की समस्या को पैदा कर सकता है।
शराब को बंद करें- शराब में मौजूद हानिकारक पदार्थ को हमारी किडनी सही से फिल्टर नहीं कर पाती है और जब आप अधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं तो किडनी पर ज्यादा दबाव पड़ता है। अगर किडनी पर युही किसी कारण दबाव पड़ता रहे तो किडनी खराब या किडनी फेल्योर की समस्या का खतरा भी बढ़ जाता है।
सोडियम का सेवन कम करें– हमारे शरीर में सोडियम या नमक की मात्रा का अधिक होना उच्च रक्तचाप की समस्या को जन्म देता है जिसके कारण किडनी पर दबाव अधिक पड़ता है। किडनी पर दबाव पड़ने की वजह से वो अपना काम धीमा कर देती है। किडनी के काम में गिरवट आने पर किडनी फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है।
अधिक पानी पीये– हर व्यक्ति को दिन में कम से कम 3 लीटर पानी पीना चाहिए। कम पानी पीने के कारण शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बढ़ जाते हैं और किडनी पर बुरा असर पड़ता है। ज्यादा पानी पीने से किडनी को टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
किडनी की कौन-कौन सी समस्या हो सकती है?
किडनी की बहुत-सी समस्या हो सकती है और हर व्यक्ति को अलग-अलग समस्या का सामना करना पड़ सकता है तो कई बार एक ही व्यक्ति को किडनी की एक से ज्यादा समस्या से जूझना पड़ सकता है। अब जानते है किडनी की कुछ समस्याओं के बारे में-
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क्रिएटिनिन की समस्या क्या है?
हमारे शरीर में भोजन द्वारा कई तरह के पदार्थों का निर्माण होता है जिसमें से एक क्रिएटिन है। यह एक तरह का मेटाबोलिक पदार्थ है जो भोजन द्वारा मिलने वाली ऊर्जा को बदलने में सहायक होता है और टूटकर एक व्यर्थ पदार्थ ‘क्रिएटिनिन’ के रूप में बदल जाता है, जिसे किडनी द्वारा खून में छानकर पेशाब के ज़रिए शरीर से बाहर निकाला जाता है। जब शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ने लगती है तब कारण किडनी खराब होने का संकेत देने लग जाती है।
क्रिएटिनिन स्तर क्या है?
खून में क्रिएटिनिन का स्तर आपकी किडनी की क्षमता के बारे में बताता है कि वह अच्छी तरह से काम कर पा रही है या नहीं। यदि आपके खून में उच्च स्तर पर क्रिएटिनिन की मात्रा पाई जाती है तो इसका साफ मतलब है कि आपकी किडनी सही से कम नही कर पा रही है और जल्द ही आपकी किडनी खराब हो सकती है। आमतौर पर पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक क्रिएटिनिन स्तर मौजूद होता है क्योंकि पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले अधिक मांसपेशिया होती हैं।
मनुष्य में क्रिएटिनिन का सामान्य स्तर
- पुरुषों में: 0.6–2 मिलीग्राम प्रति लीटर/ दशमांश( mg/dL)
- महिलाओं में: 0.5–1 मिलीग्राम प्रति लीटर/ दशमांश( mg/dL)
- किशोरों में: 0.5–0 मिलीग्राम प्रति लीटर/ दशमांश( mg/dL)
- बच्चों में: 0.3–7 मिलीग्राम प्रति लीटर/ दशमांश( mg/dL)
2. नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है?
नेफ्रोटिक सिंड्रोम किडनी की एक बीमारी है जिसमें विशेष रूप से ग्लोमेरूलस को क्षति पहुँचती है। इसके कुछ संकेत हैं। यह बीमारी पेशाब में प्रोटीन के असामान्य स्तर का कारण भी होती है। इस स्थिति में इंफेक्शन, नशीली दवा के संपर्क में आना, वंशानुगत विकार, प्रतिरक्षा विकार या शरीर को प्रभावित करने वाली कई अन्य बीमारियों के परिणामस्वरूप भी नज़र आते हैं, जैसे की मधुमेह, सिस्टमैटिक ल्यूपस एरिथेमैटोसस, मल्टिपल माइलोमा और एमिलॉयडोसिस आदि।
3.पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज क्या है?
किडनी के इस रोग में किडनी के ऊपर पर या उसके अंदर बड़ी संख्या में पानी जैसे तरल से भरे हुए बुलबुले जैसी छोटी-छोटी बहुत सारी रचनाएं बन जाती है जिसे सिस्ट कहा जाता है। यह बहुत ही पीड़ा देती है। यह किडनी पर होने वाली सिस्ट ना केवल किडनी को नुकसान पहुंचाती है बल्कि लीवर, दिमाग, और आँतों पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। किडनी सिस्ट कुछ सिस्ट छोटे तो कुछ बड़े होते हैं, साथ ही कुछ ऐसे सिस्ट भी होते हैं, जिन्हें आँखों से नहीं देखा जा सकता है।
पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज एक प्रकार का ऑटोजोमल डोमिनेन्ट आनुवंशिक रोग है, यह अधिकतर वयस्क लोगों में पाया जाता है। इस रोग में अक्सर मरीज के बाद उसकी संतान को किडनी रोग होने की 50% तक की आशंका बढ़ जाती है। पी.के.डी के मरीज को अपने खून से जुड़े रिश्तों जैसे माता-पिता, भाई-बहन और अपनी संतान की जांच ज़रूर करवानी चाहिए, ताकि समय रहते इस बीमारी का सही समय पर इलाज करवाया जा सकें।
किडनी का आयुर्वेदिक उपचार केंद्र
यह वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया आयुर्वेदिक अस्पताल जो किडनी से जुड़ी हर समस्या का इलाज करता है जिसका आज के समय में संचालन धवन परिवार की पाचंवी पीढ़ी के डॉ. पुनीत धवन द्वारा किया जा रहा है। कर्मा आयुर्वेदा के ज़रिए डॉ. पुनीत धवन ने हर साल कई हजारों किडनी रोगियों का इलाज कर, उन्हें एक नया जीवनदान दिया है।
कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक औषधि का ही इस्तेमाल करता है और आयुर्वेद पर ही विश्वास करता है। अब तक, कर्मा आयुर्वेदा ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें किडनी के रोग से मुक्त किया है, वो भी किसी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना। यहां किडनी रोगियों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ एक उचित आहार के बारे में भी बताया जाता है।
अगर भारत में इस समस्या की बात की जाए तो यहाँ आयुर्वेद के ज़रिए किडनी की हर समस्या का इलाज मुमकिन है। सबसे बेहतरीन बात यह कि आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यदि आप या आपके किसी जानने वाले को डायलिसिस जैसे दर्दनाक उपचार से गुज़रना पड़ रहा है तो कर्मा आयुर्वेदा से उचित सलाह लेकर एक रोगमुक्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं।